( ललित शर्मा जी के पोस्ट से साभार )
बात नहीं ये बडी पुरानी ,
सुनिए जरा सब ज्ञानी ध्यानी ,
मणि रत्नम ने बुनी कहानी ,
राम सीता रावण की बानी
राम जी ने जाने इक दिन कैसी ठानी ,
सीता जी की दुविधा पहचानी ,
और दुविधा देख सिया की ,
जतन से लिखी इक पोस्ट सयानी ,
अब दिल थाम के सुने हर प्राणी ,
अटक गई उसी पर ब्लोगवाणी ,
हाय ऐसी बदली तब सबकी बानी ,
सब ब्लोग्गर्स की याद आई नानी ॥
हर ब्लोग्गर हाय हुआ दिवाना ,
और हर पोस्ट हो गई दिवानी ,
चलो माना कि कुछ गर्मी थी पहले ,
मगर अब आया बरसात और आया पानी ,
कब तक दुविधा में अटकी रहोगी ,
अब तो वापस आओ महारानी ॥
बाबा यह कल युग की सीता है,जिसे बस हक मांगना आता है या फ़िर नखरे दिखाना, साथ मै हमारी ब्लागबाणी को भी ले बेठी....
जवाब देंहटाएंकौनो चिंता नाहि...आने वाली है जल्दी!!! :) कविताई तो चलने दिजिये.
जवाब देंहटाएंएक ने कही और दूजे ने मानी,
जवाब देंहटाएंहम कहे कि दोनों ज्ञानी !
सीता वाली पोस्ट पर ही क्यों अटक गयी । श्राप लगा क्या ?
जवाब देंहटाएंमज़ेदार
जवाब देंहटाएंहम तो समीरजी की बात पर यकीन करते हैं और विश्वास रखते हैं कि जल्दी ही आ जाएगी अपनी महारानी ब्लागवाणी।
जवाब देंहटाएंसमीर जी के कथन से अब कुछ उम्मीद का सूरज दिखने लगा है....
जवाब देंहटाएंअरे ऊ आये चाहे जाए !!
जवाब देंहटाएंहम क्यों विचारें जब ऊ हमारा ब्लोग्वे न देखाए !!!
समीर जी सम नहीं कोई ज्ञानी
जवाब देंहटाएंबोल दिए ऊ भीतर की कहानी
ध्यान लगाइए उनकी बानी
बस शीघ्र प्रकट होगी ब्लागवाणी
लगता है उ वायरस की शिकार हो गई है तभे तो अटका मारे पड़ी है ....राज जी सही कह रहे है की ये कलयुग की सीता है वगैर पटाये मानेगी नहीं ....हा हा
जवाब देंहटाएंराहत मिली जानकर कि सभी इस समस्या के शिकार हैं . मैं तो खुद को ही पीड़ित समझे था ! श्राप तो ये है ही , मैं इस किस्म की बातें मानने लगा हूँ .
जवाब देंहटाएंतुम लिखो , हम पढ़ें
जवाब देंहटाएंहम लिखें , तुम पढो
ऐसे ही चलती जाये जिंदगानी
तो खुद ही आ जाए ब्लोवानी ।
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जवाब देंहटाएं.
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हिन्दी के प्रत्येक ब्लॉग पर आने वाले पाठकों में से ६०-७०% पाठक इसी संकलक द्वारा भेजे जाते थे...सच कहूँ तो बड़े-बड़े ब्लॉग बेनूर हो गये हैं इसके बिना... ब्लॉगवुड में अब पहले सा मजा नहीं आ रहा...
आपके सुर में हम भी सुर मिलाते हैं...
"कब तक दुविधा में अटकी रहोगी ,अब तो वापस आओ महारानी ॥"
आभार!
मेरा व्यक्तिगत मत है कि - कोई भी मुगालते में ना रहे, ब्लागवाणी बन्द हो चुकी है…। जेहादी तत्वों द्वारा पसन्द-नापसन्द के "खेल", "अपनों" द्वारा ही सतत आलोचना की वजह से शायद इसे "टेम्परेरी" बन्द कर दिया गया है। शायद कुछ नई सुविधाओं या पुरानी सुविधाओं के नवीनीकरण करके शुरु हो भी जाये… लेकिन उम्मीद कम ही है।
जवाब देंहटाएंब्लागवाणी को बन्द ही रहना चाहिये, हम जैसे "भारतीय मुफ़्तखोरों" की औकात ही नहीं है, कि हमें कुछ फ़ोकट में मिले और हम उसे पचा जायें…
हम तो समीरजी की बात पर यकीन करते हैं और विश्वास रखते हैं कि जल्दी ही आ जाएगी
जवाब देंहटाएंहा हा हा ....बहुत बढ़िया...आज की सीता...
जवाब देंहटाएंअमित भाई,
जवाब देंहटाएंआपने भी भारत के "मेंढकों" वाली कहानी सुनी होगी ना? जो खुले जार में से भी इसलिये बाहर निकल पाते क्योंकि एक मेंढक दूसरे की टांग खींचता रहता है… :) :)
इसीलिये कहता हूं, ब्लागवाणी को बन्द ही रहने दो और "मेंढकों" को अपनी दुनिया में रमने दो…।
यहाँ पर अपनी लकीर लम्बी खींचने की बजाय, दूसरे की लकीर मिटाने के ओछे हथकण्डों में लगे हुए लोग हैं…
वैसे इस दुर्घटना के लिए चीन-समर्थक लौबी पर शक ज़्यादा जाता है !
जवाब देंहटाएंहा हा हा…………॥जै हो सीता मैया की और जय हो हमारी ब्लोग्वानी की।
जवाब देंहटाएंआ जायेगी……………इंतज़ार का फ़ल मीठा होता है।
सुरेश जी ,
जवाब देंहटाएंचाहे हम कितनी भी तारीफ़ आलोचना , बहस करें मगर इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि ब्लोगवाणी ब्लोग पोस्ट पर पाठकों के पहुंचने/पहुंचाने का सबसे प्रभावी माध्यम था और शायद रहेगा । चाहे लाख इडली डोसे आते जाते रहें
वाह वाह अजय जी क्या खूब कहा। कल आपकी बात से नही समझी थी आज पता चला कि ब्लागवाणी क्यों अटकी हुयी है। बहुत बडिया शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंमगर ये तो बतायें कि दुविधा कब समाप्त होगी?
jis prakar ssae logo ne blogvani kae khillaf likha haen unka band karna hi sahii haen baaki suresh ki baat sae purn sehmati
जवाब देंहटाएंब्लागवाणी को बन्द ही रहना चाहिये, हम जैसे "भारतीय मुफ़्तखोरों" की औकात ही नहीं है, कि हमें कुछ फ़ोकट में मिले और हम उसे पचा जायें…
...किसी को अंदर की authentic ख़बर है क्या ?
जवाब देंहटाएंसमीरजी की बात सही लगती है!
जवाब देंहटाएंसहज पके सो मिठ्ठा होये
@K.K. चीन समर्थकों का गिरोह पूरी तरह इस काण्ड के पीछे है चूंकि राष्ट्रवादियों को एकजुट होते देख उसे चिन्चिने लगने लगे !
जवाब देंहटाएंमंगलवार 29 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/
प्रार्थना के इन सुरों में मेरा भी सुर शामिल कर लें!
जवाब देंहटाएंbadi dard dikh rahi hai.......:D
जवाब देंहटाएंab aa bhi jao.......maharani:D
ब्लोगवाणी की पूरक बन रही हैं और बहुत सी वाणी। अन्तरजाल की तकनीक समझ न आये क्या करे यह निरीह प्राणी। स्थापित/प्रतिस्थापित/सम्मानित ब्लोगर की ख्याति मे न आये आंच। बन्द न होगी अब लेखनी,यही है यहां की सांच। सुन्दर और मार्मिक/व्यन्गात्मक कविता। शुक्रिया।
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