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मंगलवार, 15 मई 2012

मेरा तो यही अंदाज़े बयां है .......















कार्टून पर प्रतिबंध लगाओ , फ़ेसबुक और गूगल को कर दो चाहे बैन ,
मैं उठा के कोयले का टुकडा, लिखूंगा सडकों पे ,छीनूंगा तुम्हारा चैन
(लगाओ न लगाम मेरी सोच पे , बोलो है , हिम्मत)


लखनऊ में निर्मल बाबा के खिलाफ़ मुकदमा हो गया दर्ज़ ,
लेकिन बाबा टीभी पर अब भी कर रहे किरपा , सुन रहे हैं सबका मर्ज़
(दसबंदी का करो इंतज़ाम ले ले करके कर्ज़ ...ई देस में बाबा एंड ढाबा ,दुन्नो फ़ुल इस्पीड में चलते हैं)


ये मत भूलना सियासत , हम ही लोकतंत्र हैं ,हम इस देश की अवाम हैं ,
हमसे ही वज़ूद है तुम्हारा , हम ही आगाज़ हैं और हम ही तुम्हारा अंज़ाम हैं
(जो हम मिट्टी तो तुम मिट्टी , जो हम पानी तो तुम पानी ....).


अनु आगा ने शपथ ले ली , सचिन और रेखा का अब हो रहा इंतज़ार ,
टी एन शेषण , किरन बेदी , जैसों को बुलाने की कभी हिम्मत दिखाओ यार
(बोलो है हिम्मत , अबे ओ मजबूत जोड के लोकतंत्र वालों)


सेना में अनुशासनहीनता पर हुआ रक्षा मंत्रालय सख्त ,
संसद की अनुशानहीनता के लिए मगर आपको कितन चाहिए वक्त
(जीर्ण शीर्ण सी काया तेरी ..और श्वेत तुम्हारा रक्त)


बोले हैं चाचा गडकरी ,अगिले चुनाव में राजग फ़िर सत्ता में आएगा ,
भिम बार से मांज मांज के फ़िर से , इंडिया शाईन कराएगा ..
(निरमान से लेकर साइनिंग तक ,भाई लोग इंडिया को चमका के ही मानेंगे)


साठ साल की हो गई संसद , लोकतंत्र का जरूर मनाओ जश्न ,
कितने साल और चाहिए होने को परिपक्व , उठ रहा मन में प्रश्न


राजधानी एक्सप्रेस में घटिया खाना , खाके सांसद समेत कई हुए बीमार ,
अच्छा बेट्टा तभी खबर है आई , टरेन में तो अईसने खाना रोज़े मिलता है यार ॥
(दीदी ..आपनी देखते होबि कि ना ..ई कि गंडोगोल होईचे रे बाबा)


साठ साल की हुई रे संसद , पीएम विशेष सत्र में बोले हैं ,
चलो शुक्र है आखिरकार , रिटायरमेंट की उम्र में मुंह तो अपना खोले हैं


राष्ट्रहित सर्वोपरि है , बोलीं अध्यक्षा , सीरीमती मीरा कुमार ,
पब्लिक तो समझबे करती है , तनिक नेताजी को भी तो समझाओ कोई यार



बोले हैं पिरधान जी , लोकतंत्र हुआ और भी मजबूत ,
ल्यो और सुनो ,अबे ई लोकतंतर है कि है लोकतंतर का भूत
(लोकतंतर तो कब्बे का भईया जी शुशाईईईईईड कर लिया हो पिरधान जी)


बोले चचा अडवाणी कल , पार्टियां करें एक दूसरे की विचारधारा का सम्मान ,
घनघोर घोटाला करके साइन करें इंडिया , आ घपला से करें भारत निरमान
(गनवा आता है न जी कि गा के सुनाएं , हो रहा भारत निरमान)



गिलानी ने कहा , हाफ़िज़ के खिलाफ़ सबूत नहीं हमरे पास ,
भेज दो इंडिया ,बिरयानी खिलाएंगे ,उहां तो साला खाता होगा घास
(अबे कसाब बना नवाब , आप देखे नहीं जनाब ???)



राष्ट्रपति ओबामा पर क्लिंटन हैं नाराज़ , दिया पद छोडने का सुझाव ,
अबे अईसा का करे दिहिस ओबमवा हिलेरी को , अचानक काहे इत्ता ताव
(कौनो भित्तर का है घाव , कुछो समझे नहीं रे भाव ..)


बोले बाबू जेटली ,सुधार की जरूरत है , भारतीय राजनीति की तस्वीर में ,
कद्दू सुधरेगी तस्वीर पोलटिक्स की , जब अईसन नेता हैं, देश के तकदीर में
(अबे फ़ेंको उठा के सबको गंगा जी के तीर में)


एयरसेल में अधिक विदेशी निवेश है , आया जांच के घेरे में ,
ल्यो एक बढी और मुसीबत , फ़िर से फ़ंस गए लुंगी बाबू फ़ेरे में
(लुंगी बाबू ...बोले तो ..???)


भाजपा से भली है कांग्रेस , अभी अभी फ़रमाए हैं , येदुरप्पा ,
हा हा हा मेडम्म का गुणगान किए हैं , मान के अपना पप्पा
(पोलटिस जो न कराए , बप्पा रे बप्पा)



साख को लेकर चिंतित संसद , गरिमा बनाए रखने का पास हुआ प्रस्ताव ,
अबे शाख की चिंता जाने दो , जड काट के ,दे चुके ,पहिले ही गहरा घाव ,
(काम धाम कुछ करते नहीं , बस खाओ फ़ैला के पांव)



झूठी निष्ठा , झूठी चिंता , झूठी है संवेदना , तुम्हारा जब सफ़ेद हुआ है खून ,
भूख ,अपराध , भ्रष्टाचार कुछ भी नहीं दिखता , तुम्हारा मुद्दा है बस इक कार्टून



साठ साल का हुआ लोकतंत्र कल से तुम पीटे जा रहे हो ढोल ,
काले धन , जन लोकपाल , भ्रष्टाचार पर मुंह से एक भी फ़ूटे नहीं रे बोल
(अबे कोई एक तो बोलता - भक्क साला , दु पईसा का औकात नहीं है)


बोले हैं बाबू लुंगी , मार डालो , पर ईमान पर , मत उठाओ सवाल ,
अच्छा बेटा लुंगी , हम क्वेश्चन भी न करें , तुम उडाते जाओ माल ,
(काहे हो गए पीले लाल , नोट पीट रहा है तुम्हरा लाल)



टेलिविजन चैनल एक घंटे में 12 मिनट से ज्यादा विज्ञापन नहीं दिखाएंगे ,
आयं ! ई का , लेकिन एक घंटे में दिखाने लायक , कार्यक्रम कहां से लाएंगे ,
(देखिए हो मर्दे , विज्ञापन दिखाइए कि कार्यक्रम , दुन्नो कूडा ही है आजकल)



पोंटी चड्ढा की मुश्किलें बढीं , पकडी गई 175 करोड की अघोषित आय ,
हाथी के संग थी दोस्ती , तो इतना तो खाना बनता ही था , हाय हाय ,
(ई बहिन जी के रिलेटिव भाई जी हैं ..)


अबे तुमसे कार्टून तक तो संभाले नहीं जाते , क्या खाक तुम हो बडे हुए ,
साठ साल साठ साल गा रहे हो कल , हो बैसाखी पर अब तक खडे हुए ..
(लूलों लगडों की सरकार , दुहाई तोरी बुद्धि रे)


जिन बच्चों का हवाला देकर ,माननीय भकभका के ,किताबों से कार्टून रहे हैं हटा,
तुम क्या समझे इसका मतलब , और वो क्या समझे , उनसे ही पूछ के देखो ज़रा
(मुझे यकीन है कि वो तुमसे ज्यादा समझदार हैं , न मानो , तो पूछ लो)


पूछी सीरीमती जी , कैसा हल्ला मचा है आजकल , खबरों में क्यूं है इतना है लोड ,
हमने समझाया, साठ साल का हुआ लोकतंत्र , संसद का चल रहा है महाएपिसोड ,
(ऊ फ़ौरन अंडरइश्टैंड कर गईं , महाएपिसोड एकदम्मे लपक के बूझ गईं)

6 टिप्‍पणियां:

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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