लो जी हम एक बार फ़िर हाजिर हैं दो लाईना ....ओह माफ़ कीजीए हुजूर ....अपनी पटरियां लेकर ...तो बैठिए इस पर और पहुंचिए जहां जहां आपको पहुंचना है ॥ हां यहां एक बात बताने का मन हो रहा है ,. लोग बाग कह रहे हैं कि फ़ूं फ़ां वाली चर्चा को तोक दिया जाना चाहिए , सो उनके लिए बुरी खबर है जिन्हें लगता है कि झाजी को खाली पटरी बिछाना आता है ...........हम भाई महेन्द्र मिश्रा जी के ब्लोग पर आपको एक नए अंदाज की चर्चा दिखाएंगे और हां न सिर्फ़ पोस्ट चर्चा बल्कि चिट्ठा चर्चा भी .......और हां उस एक्प्रेस गाडी पर बैठ कर आपको भी मजा न आया तो कहिएगा । तो इंतजार कीजीये और तब तक जब तक हम पटरी बिछा रहे हैं .........
अवधिया जी ने नए साल में खोली टीपों की दुकान,
इश्क हुआ हमें तो इससे , आप अपनी कहो सनम ॥
आज तो हर पोस्ट में बस है एक ही नजाकत,
अजी अभी और पढना है ब्लोग्गिंग को, क्या मन नहीं भरा,
देखें कब मिलता है सौभाग्य सबको गले लगाने का ॥
सुना है झांसाराम, और आरामदेव को हो रही है टेंशन ॥
अरे थोडा साहस आप भी दिखाईये और जाकरे पढिये न दोस्त ॥
खुदा के नाम पे इनके ब्लोग पर भी एक चट्खा लगाएं ,
बेरोजगारी में कमाईये ऐसे ,
बताईये उनसे करें कैसे शिकवे गिले ,
जिंदगी के मेले में ढूंढिए अपने जज्बात ,
उदास रातें, बहुत बेकरार करती हैं ॥
देखिए आदर्श भाई ने उनसे आज प्रश्न कितना बडा किया ॥
पहले पढिए पोस्ट, फ़िर टीप भेजिए ॥
मगर लगता है इस बार तो अंतर बडा है भारी ॥
बूझो तो जानें
देखिए न कितनी पोस्टें पढा रहे हैं ॥
आसान अंदाज में, विधिगत जानकारी, वाह॥
यहां गया है पूछा , कि क्या खूबसूरती है अभिशाप,
ठंड में दूबे जी के कार्टून ने किया कुछ गर्मी का इंतजाम,
उनकी तूलिका के अमर सिंह हैं परमानेंट मेहमान ॥
आज मिला एक नया नाम , कहा गया है कायर ॥
तो बस जी इस पोस्ट के बाद और कुछ कहने सुनने का मन नहीं है अभी फ़िलहाल । इसलिए अभी तो इतना ही ........
एक से बढ़ कर एक धमाका ब्लॉगिंग जगत में सब के सब एक जगह आपके इस पोस्ट में मिला..सुंदर चर्चा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...और हाँ सबसे बढ़िया तो यह है की आपके प्रस्तुति का अंदाज थोडा अलग और मस्त है...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया चर्चा अजय जी ..चर्चा की बढ़िया पटरियां बिछाई है .... बधाई.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा .. कई अच्छे लिंक्स मिले !!
जवाब देंहटाएंकुछ तो घूम आए जी...बाकी भी घूम आते हैं :)
जवाब देंहटाएंआपने तो चर्चा के जरिए गागर में सागर भर डाला!!!
धन्यवाद्!
दो लाईन मे ही पूरी बारात निकाल देते हैं आप तो..फिर बैंड बाजे की कौन जरुरत!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!!
कहाँ जाएँ- कहाँ नहीं, ये बड़ा था झंझट
जवाब देंहटाएंदो लाइना झा जी की ,ख़त्म हुआ सब चक्कर
हमें का पता भइया कि ब्लॉगिंग का बला है?
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी मेरा आशय पंडित वत्स जी से है
जवाब देंहटाएंमजा रहा, अच्छे लिंक्स मिल गये :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अजय जी, आप ने कुछ अच्छे लिंक पर पहुँचाया।
जवाब देंहटाएंअभिनंदन है।
जवाब देंहटाएंएकदम झक्कास ह्वै जी
जवाब देंहटाएंअजय भइया,
जवाब देंहटाएंये कौन सा यंत्र फिट किए हैं...घने कोहरे की वजह से रेलवे-उड़न खटोले हलकान है...लेकिन आपकी दो लाइना की लौहपथगामिनी सरपट दौड़े जा रही है...
जय हिंद...
उड़न जी ने ठीक ही कहा है
जवाब देंहटाएंदो लाईन मे ही पूरी बारात निकाल देते हैं आप
बैंड बाजे की जरुरत ही नही है.:) अच्छा फ़ायर किया है.
जवाब देंहटाएंदो लाइना आपकी कमाल कर देती हैं जनाब!
जवाब देंहटाएंअब आगे कुछ क्या कहें, धन्य हैं झा जी आप!!
विनोद कुमार पाड़ेय जी की टिप्पणी मेरी भी समझी जाये ।
जवाब देंहटाएंअच्छॊ पटरियां बिछाई झा जी.... बस, यह रेल निरंतर चलती रहे :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंwaah waah..........bahut hi badhiya charcha rahi patriyon ke bahane...........rail chal jaayegi to kabhi hum bhi sawaar honge.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया चर्चा......
जवाब देंहटाएंवाह भैया वाह!
जवाब देंहटाएंयह चर्चा प्रस्तुति तो हीट है
क्या मेरी रिपोर्ट भी हीट है
-सुलभ
वाह जी वाह जी वाह वाह झा जी
जवाब देंहटाएंहमारे लिए आपने तो पटरियां बिछा दी
देर से आया मगर लाईना दुरुस्त पाया
जवाब देंहटाएंबिल्कुल पटरी पर है चर्चा!
जवाब देंहटाएंहाँजी पटरी पर है चर्चा बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लगी आप की यह दो लाईन
जवाब देंहटाएंवाह झा जी बहुत ही सुन्दर तरीके से आपने चर्चा की है !! बहुत मेहनत की है सचमुच !! लाज़वाब!!!
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