अभी कुछ दिन पहले एक टीप आई कि ,,,क्या आप जो करते हैं वो चिट्ठा चर्चा है , मैंने कहा नहीं , ये चिट्ठा चर्चानहीं है ये चिट्ठी चर्चा है , जैसा कि मैं पहले से कहता आ रहा था । मगर फ़िर सोचने बैठा तो लगा कि ये तो कुछ भीनहीं है न चिट्ठा चर्चा और न ही चिट्ठी चर्चा । और फ़िर जब थोडा और सोचा तो लगा कि इस हिसाब से को हमचर्चाकार जो भी करते हैं इस नाम पर वो चिट्ठा चर्चा तो नहीं होती............अलबत्ता उसे पोस्ट चर्चा जरूर कहा जासकता है । और मैं तो वो भी नहीं करता तो फ़िर जो मैं करता हूं वो क्या है .......अंदर से आवाज आई, कुछ नहीं जीआप बस अपनी दो लाईनों की एक पटारी बनाते हैं जिस पर चल कर कोई रेल की तरह जिस स्टेशन पर पहुंचजाता है जो किसी की पोस्ट होती है , तो लीजिए जी पटरियां बिछा दी हैं दौडाईये रेल अपनी । और हां चर्चा के बारेमें तो कुछ कहा ही नहीं .....तो लीजिए अब जाते जाते ये भी सुन लीजीए ....चिट्ठा चर्चा और पोस्ट चर्चा का नमूनाअब भाई महेन्द्र मिश्रा जी के ब्लोग समयचक्र पर ही दिखाने का प्रयास करूंगा ...बांकी तो आप खुद तय कीजीएगा
......?????
देखिए जी ज्यादा न टीपों के आने पर करें घमंड,
क्योंकि टिप्पणियां नहीं होती गुणवत्ता का मापदंड ॥
ब्लोगवाणी के नाम लिखी गई एक अलबेली चिट्ठी,
इसी बहाने खोल दी जाने कितनी पोल पट्टी ॥
मिश्रा जी ने बताया कौन सुर है कौन असुर,
हमने जता दी आपत्ति कहां गए भैंसासुर ॥
देखिए सुनिए एलियन अदा जी का सुर ताल,
एक ने गाया, एक ने लिखा, बिना कहे गया ये साल
इहां जाहिर कर रहे हैं मेजर साब अपनी कविताई शंका,
आपही किजीये समाधान , कुछो ना सूझा हमका ॥
शास्त्री जी की चर्चा को नहीं देखा तो क्या पढा,
आप भी उठाईये न इस चर्चा का मजा ॥
देखिए काजल भाई की तूलिका क्या बोल रही है आज,
उन्होंने कैसे खोला साफ़ सुथरी ब्लोग्गिंग का राज ॥
उफ़्फ़ा अदा हर अदा निराली , कविता हो गज़ल हो,
आज की पंक्तियां, हाथ में गंगा जल हो ॥
टूर से वापस आ गई है देशनामा की जीप,
नई पोस्ट लेके आ गये भाई खुशदीप
ताउ जी की पहेली का देखिए कौन बना विजेता,
हाय हमसे तो न गया इसे कभी भी जीता ॥
आज गोदियाल जी ने बात कही एक तगडी,
नए गढे कुछ शब्द, छोडिये ब्लोग , ब्लोगरी ॥
एक साथ बहुत सी पोस्टों को यहां पढा कीजीए,
फ़िर एक बार धांसू सी चिट्ठाचर्चा का मजा लीजीए॥
बाबा लंगोटानंद जी ने भभूत का बता दिया है रेट,
जल्दी से और्डर कीजीए, हो न जाना लेट ॥
सिदार्थ जी ने उठाया अमरूद के लिए तरसने का मजा,
तस्वीरें देख तो हमरे मुंह में भी पानी आ गया
विशुद्ध साहित्यिक चर्चा है नहीं कोई विवाद,
अद्भुत है ये चिठियाना-टिपियाना संवाद ॥
आज फ़िर हैं नीरज, और साथ हैं उनकी किताब,
अरे यहां पहुंच के देखिए, कहां हैं आप जनाब ॥
रंजना जी लिखी फ़िर से पोस्ट आज ये खास,
शीर्षक उसका रखा है, कुछ यूं ही एहसास ॥
पल्लवी ले के आई हैं , नए साल की चाट,
चल मुसाफ़िर लपक ले देखता किसकी बाट ॥
शिल्पकार के मुख से निकली पंक्तियां क्या कहने लगी हैं ,
कहती हैं बडी वाली हवेली भी अब ढहने लगी है ॥
ब्लोगवाणी ने बदला कलेवर , सज के हुआ तैयार,
यहां पर आप भी व्यक्त कीजिए आप उसका आभार ॥
वर्मा जी ले के आए सुंदर शब्दों की छांव,
आज एक कवि को याद आया है अपना गांव ॥
तुम्हारी लटें, मेरा ख्याल और चांद रात,
इस पोस्ट में लिखी गई है ये बात
तो बस आज इस छोटी लाईन की पटरियों का मजा लीजीए, कल की छु्ट्टी में बडी लाईन ......या टि्प्पी का टिप्पा ....जैसा आप चाहें ..............???????????
हम भी अपनी लाइनें बिछा दे रहे हैं!
जवाब देंहटाएंनए वर्ष पर मधु-मुस्कान खिलानेवाली शुभकामनाएँ!
सही संयुक्ताक्षर "श्रृ" या "शृ"
FONT लिखने के चौबीस ढंग
संपादक : "सरस पायस"
बहुत बढ़िया लिंक दिए है आभार।
जवाब देंहटाएंचिट्ठी चर्चा ने कह दी अपनी बात।
जवाब देंहटाएंअब चैन से सोते है हो गयी रात्।
गजब के लिंक दिए हैं अजय भाई
जवाब देंहटाएंआपका हमारी बधाई
गजब के लिंक दिए हैं अजय भाई
जवाब देंहटाएंआपको हमारी बधाई
मजे दार, दो लाईनो को लिखना बना कर आसान नही, हम तो टिपण्णी देने मै भी सोचते है कि केसे लिखे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
hamesha ki tarah zabardast linkiyaaye hain bhai...!!
जवाब देंहटाएंकहाँ किन बातों में उलझ गये...आप तो लगे रहो..हमारे जैसे अनेक आन्नदित होते हैं. ऐसे किसी भी प्रायोजित स्टेटमेन्ट से विचलित न हों.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ एवं साधुवाद एक नया आयाम देने को.
--
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
दू दू लायना करके खोला चिट्ठों की भानुमती का पिटारा ....!!
जवाब देंहटाएंगजब रही यह भी.
जवाब देंहटाएंवाह फिर से न अ आया वही रंग !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह बेहतरीन "दो लाइना"
जवाब देंहटाएं"मिश्रा जी ने बताया कौन सुर है कौन असुर,"
पर यह भी तो बताना था कि कौन है ससुर?
असली सन्नाट चर्चा के लिये बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अति सुन्दर चिट्ठीचर्चा झा साहब।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ..
जवाब देंहटाएंदो लाईन का हाल करे कमाल शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंjabardastt....yahan aakar to 2 line main hi sab pata chal jata hai.
जवाब देंहटाएंबच्चा अजय, कल्याण हो! तुम्हारा प्रयास बहुत पसंद आया, हमने भभूत की दूकान जरूर खोली है,पर इससे होने वाली आमदनी का हम क्या करेंगे इसका जवाब हमने एक भक्त को दिया है, उसी की प्रति यहाँ पेस्ट कर रहा हूँ जरूर पढ़ना!
जवाब देंहटाएं-----------------------------------
लंगोटा नंदजी महाराज said...
बच्चा विनीत ! कल्याण हो ! बच्चा,आसाराम बापू से हमारी तुलना न करो,ये लोग मक्कार और ठग हैं, इन लोगों ने देश की जनता के साथ
विश्वासघात किया है,लाखों-करोड़ों गरीब जनता को धर्म के नाम पर लूटा है,ये लोग बाबाओं की खाल में छुपे क्रिमनल हैं,हमारा स्थान ये कभी नहीं
ले सकते,हम मात्र लंगोटा के सहारे चल रहे है और चलते रहेंगें, हम भभूत भी बेचते हैं तो सिर्फ इसलिए की इस भभूत से होनेवाली आमदनी से
किसी गरीब बिटिया की शादी करवा सकें , किसी गरीब को दो जून की रोटी उपलब्ध करा सकें, किसी गरीब को ठण्ड की मार से बचाने के लिए
उसे गर्म कपडे उपलब्ध करा सकें, हमें कुछ नहीं चाहिए,हम अपनी इज्जत की खातिर मात्र एक लंगोटा बांधते हैं,क्योंकि हमें मां-बहनों के बीच भी
जाना होता है..अन्यथा हमें,लंगोट का भी लालच नहीं है, आसाराम बापू जैसे नक्कालों के लिए ही हम बार-बार चेतावनी देते आये हैं-नकली बाबाओं से सावधान ! बच्चा, आज तुम्हारी टिपण्णी सभी टिप्पणियों से सर्वोत्तम है, हम ऐसी ही टिप्पणियों का स्वागत करते हैं,हम तुम्हे आत्मा की गहराई से आशीष देते हैं-खूब तरक्की करो,सफलता तुम्हारे कदम चूमें !
उत्कर्षों के उच्च शिखर पर चढ़ते जाओ।
जवाब देंहटाएंपथ आलोकित है, आगे को बढ़ते जाओ।।
ये चिट्ठाचर्चा है, चिट्ठीचर्चा है या दोहाचर्चा है... जो भी हो प्यारी चर्चा है जो सभी ब्लागरों को आकर्षित करती है। क्रम बनाए रखिए॥
जवाब देंहटाएं