इक नए प्रयोग से रहे थे खुद को जांच,
डरते डरते पहली चिट्ठी यूँ रहे थे बांच,
खूब मिली शाबाशी, चटके लगे कुल पांच,
झाजी का मन मयूर रहा ,,बिन बदली के नांच
तो सोच लिए अब ऐसे ही पोस्टवा सबको जांचेंगे,
जब भी मिला मौका, हम रोज चिट्ठिया बांचेंगे ..
तो लीजिये पेश है :-
सुरेश जी की पत्नी श्री ने , ऐसे सालगिरह मनाया,
मायके की फौज बुला लूंगी, उनको है धमकाया
नुक्कड़ ने आज ही अपना चार सौ का आंकडा पार किया,
अविनाश भाई ने फ़टाफ़ट, बधाई सन्देश तैयार किया..
विवेक भाई ने स्वप्नलोक से जाग कर बहुतों को जगाया है,
गहने कहाँ पर साफ़ कराओ, इस पोस्ट में बताया है.
उड़नतश्तरी कार में बैठी,,तगडी थी रफ़्तार ,
बीडी पीती महिला चालाक खूब रहे थे ताड़
टाईम टाईम पर , सूअर से भी कर ली आँखें चार ,
कितने मजे में,,इत्ता लम्बा सफ़र दिया गुजार .
विक्स की इस शीशी को आदि ने सैर करवाई,
इस नन्हे शैतान की, शैतानी सबके मन को भाई
पता नहीं राज भाई ने इस बार ये किसकी बुत है लगाई.
सुबह से गूगल बाबा ने भी मदद नहीं की भाई ..
धारा ३७७ पर , क्वेस्चन गया उठाया ,
डोगरा जी ने समलैंगिकता पर बधया लेख पढ़वाया
सविता भौजी को बैन किया चिंतित इतनी सरकार है.
नैय्यर साहब कह रहे..ये फ़ैल रहा कारोबार है
गे का हिंदी अनुवाद यादव जी ने बतलाया,
इस मुद्दे का परखाच्चा गजब उडाया
ताऊ जी की मंडे मैगजीन, अभी अभी छप के आयी है..
इतने ही दिन में ये ब्लॉग पत्रिका , सबके मन को भाई है
संगीता जी ने बारिश का पूरा हिसाब किताब लगया है .
चिंता करो , और चिंतन भी , इस पोस्ट में समझाया है
पशु पक्षी भी करते हैंं इलू इलू ,..मिश्र जी बतलाते हैं..
पढ़ पढ़ कर हम दाँतों तले उंगली दबाते हैं..
शहरी बाबू भी देहाती बोल से काम चलाते हैं.
आज अजित भाई ,,कुछ ऐसा ही फरमाते हैं..
मैसेज पे मैसेज.दीप्ती जी परेशान हैं.
न माँ ,न बिटिया बनना, कुछ भी नहीं आसान है .
आज अनिल भाई ने एक नया राज खोला है..
टिकट आ रहा एक और नया..कुछ ऐसा ही बोला है
इस बार एक और इनकी अदा देखिये,
बैंगन की डंठल में चिकन का मजा लीजिये..
इसी के साथ बंधू आज की चिट्ठी यहीं पर ख़तम हुई..
चख कर बता देना,,किसको कितनी हजम हुई ..
वाह जी , झा जी !
जवाब देंहटाएंउस्ताद जी आप तो छा गए...हमरे दिल को भा गए
जवाब देंहटाएंइस कविता को पढ़ने में समय लगा कुछ 122 मिनिट। अभी तो टिप्पणी नहीं की। अगर वो भी करते तो लगते 157 मिनट और। झा जी आप तो वाकई अजय हैं। पढ़ने लिखने और कविता रचने में तो कई घंटे खो गए होंगे। बधाई ब्लॉगिंग की सारी मस्ती छांट रहे हो।
जवाब देंहटाएंमजा आया.. बहुत सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंहम भी करने आ गये वाह वाह
जवाब देंहटाएंमजेदार चिट्ठाचर्चा रही अजय जी।
जवाब देंहटाएंवाह झा साहेब ,आज नये अंदाज में देखने को मिली चर्चा.
जवाब देंहटाएंझा साहब! बहुतों को बैकलिंक दे रहे हो! हमारी बारी कब आएगी?!:)
जवाब देंहटाएंझा जी कमाल की कविता की है आप ने, बार बार बहर निकला आखिर बैंगन के डंठल खा कर आया तो आप को धन्यवाद इस कविता के लिये भाई इतनी जल्दी कविता ओर वो भी एक दम सटीक वाह वाह जी
जवाब देंहटाएंआपकी मेहनत और कविताई को प्रणाम
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
जय हो!! मस्त चर्चा..बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंझा जी,
जवाब देंहटाएंआप तो एकदमे छा गए हैं, एकदम नीमन बा ...
झा जी,
जवाब देंहटाएंअरे बाह, हमहूँ इहाँ इस्थापित हैं, हमको तो पते नहीं था, बहुत बहुत सुक्रिया आपका जो हमको इस काबिल समझे...
मेरी पोस्ट की चर्चा करने के लिए धन्यवाद .. बहुत बढिया लिखते हैं आप !!
जवाब देंहटाएंbahut achha !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। चर्चा जारी रहे।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार,लज़्ज़तदार।चखना क्या जी पूरा हजम कर डाला और ना तो पेट भरा नाही जी भरा।ये दिल मांगे मोर्।
जवाब देंहटाएंवाह गजब
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत बडिया हज़्म हो गयी पोस्ट्
जवाब देंहटाएंवाह वाह झा जी क्या बात है! तुसी छा गए! मज़ेदार!
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जवाब देंहटाएंअरे वाह अजय बाबू... बढ़िऽऽया है !