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शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

ब्लोगों को पढने का ठेका उठाया है, चिट्ठों की चर्चा का , कुरियर फिर आया है..

पिछले कुछ समय से ,ब्लॉग्गिंग में मच रहा ये शोर है,
कोई पढ़ नहीं रहा किसी को,बस लिखने पर जोर है....
यदि सचमुच है ऐसा तो समस्या घनघोर है ...
औरों का पता नहीं, पर आपका एक पाठक श्योर है ..

कमाल है विश्वास नहीं होता आपको...अजी लीजिये सर्टिफिकेट पेशे खिदमत है.....


अनिल जी ने मुख्यमंत्री के चमचे से मिलवाया.
एक पोस्ट में , दो थे , दोनों ने रुलाया...

आज उन्होंने जख्मों का सब राज खोल दिया,
अभिव्यक्ति ने अनोखी भाषा में बोल दिया ..

उड़नतश्तरी भी कह रही आज , बाप रे,
क्या कहा नहीं पढ़ा, ब्लॉगर अब तो जाग रे ..

इस व्यक्ति से अच्छा , बन्दर से रिश्ता बेहतर है ,
वाह अपने भी दोस्तों में, कोई लंगूर तो कोई बन्दर है

दोस्ती की देन-लेन,का इक तल्ख़ अनुभव सुनाया है,
नेकी कर और गाली सुन , नया मुहावरा बनाया है ..

नेहा जी ने, इस मुद्दे को इक अलग नज़र से देखा,
क्या हमने खींच रखी है, सचमुच ऐसी रेखा

वो कहते हैं की काश अब होश में आने ना पाएं,
अजी ब्लॉगर हैं, जाएँ तो कहाँ जाएँ..

मिश्र जी पूछ रहे हैं, का पुरुषवादी मानसिकता की परिभाषा है,
जाए आप भी बताइये, जो भी आपको ....आता है...

कॉलेज में उनका पहला दिन, नहीं हुई रैगिंग ,
आप भी पढिये , और करिए लाफिंग...

चमत्कार को आज फिर नमस्कार हो गया,
नुक्कड़ का ४२० का स्कोर , पार हो गया .

मेहेंगाई की मार बृहस्पति जी भी झेल रहे हैं.
इसे विषय पर शांतनु ये पोस्ट ठेल रहे हैं...

न्यूज़ चौबीस ने , मायावती को आईना दिखाया,
मीडिया मार्ग ने आज की पोस्ट में यही है बताया...

आप भी पहुँचिये, ताऊ के दीवाने ख़ास में,
देखिये क्या हो रहा है, रामप्यारी की अंगरेजी क्लास में

कह रही हैं रंजना, बेटी , लक्ष्मी स्वरूपा है,
सच है, इससे अनमोल रत्न नहीं कोई दूजा है ..

नोटिस बोर्ड लग गया ,तैयारी कर आइये,
या तो जाके पढ़ आइये, नहीं तो .....कर आइये ....

आप भी देखिये कौन कैसे कर रहा है सच का सामना,
सुरेश भाई ने उडेल कर रख दी हैं सबकी भावना...

17 टिप्‍पणियां:

  1. आपका चिट्ठा चर्चा करने का अंदाज हमको भाया

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  2. वाह, हमारे ठेकेदार!!! पढ़ने का ठेका लिये हो यह जानकर खुशी हुई... :)

    जवाब देंहटाएं
  3. अगर एकदम ऊपर की लाईनों में 'है ' अंत में न आकर पहले हो जाये तो
    मतलब इस तरह
    पिछले कुछ समय से ,ब्लॉग्गिंग में मच रहा है शोर ,
    और ऐसे आगे भी .....
    नहीं नहीं मैं कोई पिंगल शास्त्री नहीं हूँ बस ऐसे ही कह रहा हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  4. खूबसूरती है आपके इस अंदाज में । अच्छा लगता है ।

    जवाब देंहटाएं
  5. समां आपने बांधा हुया है

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह वाह... मस्त अंदाज है.

    जवाब देंहटाएं
  7. झा जी कहिन में सभी को ठेल दिया
    बैठे बैठे कच्चा चिट्ठा खोल दिया॥

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह झा जी वाह !!!!बड बढ़िया....

    आप तो बस नियमित कवितायेँ लिखा कीजिये....आपमें जबरदस्त हुनर है......

    लाजवाब कवितामयी चर्चा की है आपने....आभार.

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह बडा खूबसूरत अंदाज है. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  10. अरे झा जी हम तो लिख भी रहे हैं और पढ़ भी रहे है
    क्योंकि हमरी टिपण्णी हमरे होने की कहानी कह रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  11. बढ़िया. अजय जी आप चिट्ठा चर्चा के सदस्य बनकर वहाँ चर्चा क्यों नहीं लिखते? यदि आप चाहें तो निमंत्रण भेजें?

    जवाब देंहटाएं
  12. आदरणीय रतलामी..काहे को हमें इत्ते बड़े बड़े लोगों की मंडली में बिठाने के चक्कर में लगे हैं आप..हम तो इतना कीर्तन भजन ही कर सकते हैं..आप लोगन का गंभीर गंभीर चर्चा हमरे बस की ...अरे बस की का..ट्रक, टेम्पो किसी का बात नहीं है सर जी..हाँ निमंत्रण दावत का दीजिये..हम तो युगों युगों के पेटू हैं...वो झट से स्वीकार कर लेंगे.

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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