शिकायत हो रही की ,
अब हम टिपियाते नहीं हैं,
सत्यानाश हो नौकरी को ,
अब तो ठीक से लिख पाते नहीं.....
उम्मीद है की मुझे थोड़ी रियायत मिल सकेगी...
बिना शीर्षक के विवेक भाई , कितना कुछ बोल गए हैं...
बहुत से मुद्दों पर, राज कई खोल गए हैं.......
ताऊ ने खंभों पर सबको है लटकाया ,
बिल्लन ने तिप्प्न्नियों के चक्कर में है फंसाया,
हुआ अफ़सोस इस बार भाग नहीं ले पाया ,
इब तो चुग गयी चिडिया खेत, के करें इब भाया
सपनो का मनोविज्ञान , खुद समय ने बताया है
इस अनोखे विषय पर एक उम्दा लेख पढ़वाया है .
संगीता जी के ब्लॉग के पाठकों की संख्या पचास हजार से बढ़ गयी है..
ज्योतिष की बातें, नए कीर्तिमान , गढ़ गयी है ....
रायगढ़ में ब्लोग्गर्स ने महफिल थी सजायी.
महफ़िल चित्रों की एल्बम, यहाँ है लगाई ..
विनीत जी कहते हैं , फसबुक में क्या है रखा ..?
क्या आपने इस पोस्ट का स्वाद है चखा ........?
हिंदी साहित्य में नया इक डॉन है आया,
कबाड़खाने में आज गया है ये फरमाया
गे के बहाने ,युवा पर चन्दन जी ने पोस्ट है लिख मारी,
आराम से पढ़ लेना, बात अभी है जारी (क्रमश है यार )
किसका नाम क्या था , दिलचस्प रहा ये किस्सा,
हमने तो पढ़ लिया, अब आप भी ले लो हिस्सा ..
उफ़, क्या आ गयी महंगाई की मस्ती ,
दाल हो गयी महंगी, और मुर्गी हुई है सस्ती .
जनसँख्या दिवस पर खत्री जी ने इक अलबेला पोस्ट लगाया,
नब्बे साल की बुजुर्ग के , कुनबे से मिलवाया ....
उन्हें मालूम था सबकुछ, फिर भी प्रेम ही चुना ,
थोड़े से शब्दों में, क्या ताना बाना बुना
ये व्यंग्य का समय है , व्यंग्य पढा कीजिये,
अरे हुजूर, कभी कभी तो , हंसा कीजिये ..
छोटी छोटी बातों पर हंसने के लिए यहाँ पर जाइए,
लतीफे पढिये और खूब मुस्कुराइए ....
नए जमाने में नए शब्द के मायने जानिए ..
कौन हैं कमीने, जरा तो पहचानिये....
आज कोई टिप्स नहीं है, इक क्वेश्चन गया है उठाया ,
टीपने का मनोविज्ञान, कौन समझ है पाया...?
रूपचंद जी हमेशा , ऐसी पोस्ट लगाते हैं,
बिन डोर ,सब खींचे चले आते हैं
शाम को देहलीज पर, कौन है ये आया,
आवाज दो हमको, उसने है कहलाया ..
इस सुन्दर पोस्ट को , चित्रों से सजाया गया है,
बच्चों का एक खूबसूरत रूप दिखाया गया है .
चलिए अब बस,,,आज कुछ और भी लिखना है ....
अजय जी .. बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंचर्चा मस्त
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स पस्त।
चिट्ठे का यह संकलन अच्छा लगा प्रयास।
जवाब देंहटाएंकहते कहते कह गए बात यहाँ कुछ खास।।
चसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मस्त जी..
जवाब देंहटाएंलगे रहो..
समय की बात की चर्चा की आपनें।
जवाब देंहटाएंवह बात अनुगृहित हुई।
क्या कहा जाना चाहिए ऐसे में?
वह सब नाचीज़ समय ने आपसे कहा, नोश फ़रमाइये।
चर्चा करने का यह ढंग हम सब को लुभाया, बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
मस्त कवितामयी सन्डे की चिट्ठी.
जवाब देंहटाएंacchee lagee aapakee sunday mahafil badhaaI
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंझा जी !
जवाब देंहटाएंमार गए बाजी !
झा जी,
जवाब देंहटाएंमस्त चर्चों की मनोहर दूकान आपने सजाई है
शुक्रिया की एक बोरी 'अदा' भी ले आई है
नमस्कार !
जवाब देंहटाएंदेहरादून से प्रकाशित होने वाली
साहित्यिक पत्रिका "सरस्वती -सुमन" का अगला अंक हास्य-व्यंग्य
विशेषांक निकल रहा है जिसका सम्पादन इस बार विद्वान् साहित्यकार
और लेखक श्री योगेन्द्र मौदगिल (पानीपत) कर रहे हैं .
आपसे अनुरोध है कि अपनी चुनिन्दा रचनाएं भेजें
१ श्री योगेन्द्र मौदगिल - (०९८९६२ ०२९२९)
या
२ डॉ आनंद्सुमन सिंह मुख्या सम्पादक
सरस्वती सुमन
१- छिबर मार्ग (आर्य नगर )
देहरादून . (०९४१२० ०९०००)
सधन्यावाद
---मुफलिस---
भाई जबरदस्त काव्य मयी चर्चा है. बहुत शानदार..शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह्! बढिया छन्दमयी चर्चा!!!!!
जवाब देंहटाएंवाह.. बहुत ही शानदार रही संडे की यह चर्चा .. आभार
जवाब देंहटाएंBada mast likha apne..ise kahte hain jindadil andaj !! Kabhi hamare yahan bhi ayen to khushi hogi.
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