ओइसेय त हमरे बिहार में मुख रुप से फगुआ (होली) सरोसत्ती पूजा ,दुर्गा पूजा आ छट पूजा है। मुदा साल भर में हनी वाला सब पावन त्यौहार भी मनाएबेय करते हैं सब जैसे दिवाली, भैहाडूज, राखी, सब कुछ।
दिवाली( नहीं नहीं ,दिया-बाती कहते हैं हमरे यहाँ ) सच कहें त बिहार में ओतना तड़क-भड़क और जोरदार में नहीं मानता है बल्कि ई कहें कि छठ पूजा के जोराम्जोर महोत्सव के नीचे दब के रह जाता है।
हाँ दिया बाती में कुछ खास जरूर होता है। पहला है कि पूरा गाँव ,मोहल्ला , का लोक सब एकदम जोर शोर से
सफाई-लिपाई ,पोताई, में लग जाता है। घर ,अंगना, दालान, खादिहान, सब कुछ चमका देल जात है।
दिया बाती के दिन लक्ष्मी पूजा के बाद बढियां-बढियां, पाक-पकवान पर हाथ साफ कराल जाईत है। एगो खास बात कि ओहां ई गिफ्ट शिफ्ट का कोनो चक्कर नहीं है भी। रही बात पटाखा और बम सब फोड़ने कि त ऊ भी बहुत ज्यादे नहीं हो पाटा है। हाँ एक बात जरूर है कि रात में जब बहुत सारा डिबिया और छोटा छोटा दीप से घर अंगना जग्माता हैं ना त सच मानिए पूरा अँधेरा दूर हो जाता है। इहाँ शहर में कहाँ रहता है ओतना अँधेरा त सच में त दिवाली का असली मकसद त ओहीं पूरा होता है।
त कभी चलिए न हमरे साथ आप भी दिवाली में हमरे देश
झोलटनमाँ
वाह भई वाह
जवाब देंहटाएंबिहार घुमाने के लिए शु्क्रिया
एक ठो दीया हमार ओर से भी बार दीहब