ई बात तो हम आप लोगन को पहले ही बता दिए न थे , ई बार छट पर गडिया का मारामारी देख कर हमहूँ अपना प्रोग्रम्वा कैन्सल कर दिए थे , मुदा बीचे में घर से फ़ोन आ गया आना ही पडेगा छोटका का शादी फ़ाइनल हो गया है। हालांकि ओकर शादिया त फ़ाइनल बहुत पहले से ही था मगर कहे से पमेंत्वा का बात पुआ ना ना हुआ था सो डेत्वा लोग फ़ाइनल नहीं किया था। खैर जाना त था ही , इसलिए फटाफट सब कपडा लत्ता लेके चल दिए। ऊ शैदिया में का का हुआ ई त अगली बार आप लोगों को बिस्तार से बताएँगे ई बार त आप लोगों को खाली ई बता देते हैं कि दिल्ली से मधुबनी ( हाँ उही मधुबनी चित्रकला वाला) तक का सफर कईसन कटा।
गडिया पर चढ़ते ही चादरवा निकाल के पसर गए। खाना ऊना सब पहिले ही नेपटा दिए थे महाराज।
झाप्कियो नहीं लगा था कि आ गए टी टी सिंह," चलो रे अपना अपना टिकट सब दिखाओ "
हम धड़ दनी अपना टिकट निकाल के देखा दिए , दरअसल हमहूँ ई बार चालाकी मार के एगो दोस्त्वा के मदद से "ई-टिकेट " कटवा लिए थे।
ऊ टिकट देखते ही कूद पडा , रे ई का कगाज्वा देखा रहा है, टिकट नहीं का ई केकर लैटर है, किसी का स्टाफ है रे , बोलो ना रे"
हम कहे कि सर एही त टिकट है ई जो टिकट है ना ई "ई -टिकट "है।
आएँ , का मतलब ई टिकट , रे ई टिकट नहीं ऊ टिकट दिखाओ , नहीं है का।
अरे बड़ी मोश्किल से बैठा के उनका समझाना पड़ा कि ई टिकट का होता है।
थोडा आगे चले त रेल पुलिस आ गया, रे ई मोटरी ई बैग्वा किसका है रे , चल दिखाओ'
का दिखाओ महाराज सब खाए पिबे वाला समनवा सब खा गया ले के कहा कि ई से तोहरे समनवा का भार जादे हो रह है।
आ उसके बाद पूछिये मत कि कहाँ कहाँ का का चेक हुआ का का उतारे -खोले ।
जब मधुबनी पहुंचे त एक्दुमे ऐसन हालत था कि कोनो चलता फिरता मधुबनी पेंटिंग आ रहा हो।
बियाह का पूरा जानकारी आ विवरण अगला बार बताएँगे.
हाहा, बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती