सुना है , अबके,
वो भी,
छठ पूजा मनाएंगे,
मगर शर्त,
ये है की,
पहले मुंबई,
मायानगरी से,
सारे भैया भगायेंगे,
बस में पुलिस से,
और ट्रेन में गुंडों से,
एक एक को पित्वायेंगे,
दो दो लाख के ,
हिसाब से,
जमा कर दिया पहले ही,
सबके घर पर भिजवाएंगे,
छठ से उन्हें,
परहेज नहीं है,
बिहारी से भी,
गुरेज नहीं है,
पर नौटंकी जो दिखलाई तो,
तांडव वे दिखलायेंगे,
कह रहे थे जब,
वक्त हमारा आयेगा,
सबको देख लेंगे, फ़िर,
समुन्दर में अर्घ्य दिखाएँगे,
सुना है अबके,
वो भी,
छठ पूजा मनाएंगे........
क्या कहा, कौन , जी क्षमा करें, ये राज (नाम तो सुना होगा , नहीं सुना तो बहरे हैं आप ), की बात है, वैसे आप यदि अपनी आँखें बंद करके मनसे पूछें तो सारा राज खुल जायेगा। अजी सुना तो ये भी है की एक बड़े ही बड़े नाम वाले बैंक ने दो दो लाख मुआवजा देने के लिए उन्हें स्पांसर भी किया है, सुना है की इससे शायद उस बैंक के डूब जाने वाली अफवाह को थोडा ग़लत समझेंगे लोग, वैसे आप कुछ ग़लत न समझें, और हाँ बार बार ये न पूछा करें की आपने कहाँ सुना , किस्से सुना अजी अपने मनसे , और कहाँ से ?
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शनिवार, 1 नवंबर 2008
सुना है अबके वो भी छठ पूजा मनाएंगे
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008
राम जी ने नल और नील के हाथ काटे
देखा आप सबने तो आखिरकार हमारे सरकार वो सच ढूंढ ही लाई जो अब तक हमें , अजी हमें क्या हमारे बाप दादों, और पुरखों तक को नहीं पता था, यही की ख़ुद राम जी ने ही राम सेतु को तोडा था। मुझे तो लगता है की ख़ुद राम जी को भी इस बात का पता नहीं चला होगा, चलता तो वे किसी को बताते नहीं क्या। खैर, बात सिर्फ़ उतनी नहीं है, सरकार यदि ऐसा कह रही है तो उसके पास कोई सबूत तो होगा ही, मुझे तो लगता है की उन्हें कोई हथोडा , या बुलडोज़र वैगारिरह मिल गया है।
वैसे मेरे शोध के अनुसार तो जिस तरह शाहजहान ने ताजमहल बनवाने के बाद उन कारीगरों के हाथ काट दिए थे जिन्होंने ताजमहल बनाया था , वैसे ही राम जी ने जरूर नल नील के भी हाथ और हाँ पूछ भी, काट दिए थे। ख़बर दार जो मेरे इस शोध पर आपने कोई शक किया तो क्यों सरकार कहेगी वो भी बिना किसी हथोडे और बुलडोज़र को दिखाए तो आप मान जायेंगे और मैं कुछ कहूँ तो नहीं , ये क्या बात हुई भाई। फ़िर मेरे पास एक और सबूत है इस बात का , नल नील ने लंका से लौटने के बाद कभी कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे प्रमाणित होता हो की उनके हाथ और पुँछ सही सलामत थे, और ये तो कतई नहीं मन जा सकता की इतने टैलेंट वाले लोग खाली बैठे रहे होंगे। आप ही बताइए कुछ ग़लत कहा मैंने।
वैसे मैं बता दूँ की मेरा शोध कार्य जारे है, और जैसे जैसे सरकार नया रहस्योद्घाटन करेगी , मैं भी आपको कोई सनसनीखेज जानकारी जरूर दूंगा। और हो सकता है की जब एकता कपूर रामायण बनाएं तो ये सब आपको देखने को मिल भी जाए.
वैसे मेरे शोध के अनुसार तो जिस तरह शाहजहान ने ताजमहल बनवाने के बाद उन कारीगरों के हाथ काट दिए थे जिन्होंने ताजमहल बनाया था , वैसे ही राम जी ने जरूर नल नील के भी हाथ और हाँ पूछ भी, काट दिए थे। ख़बर दार जो मेरे इस शोध पर आपने कोई शक किया तो क्यों सरकार कहेगी वो भी बिना किसी हथोडे और बुलडोज़र को दिखाए तो आप मान जायेंगे और मैं कुछ कहूँ तो नहीं , ये क्या बात हुई भाई। फ़िर मेरे पास एक और सबूत है इस बात का , नल नील ने लंका से लौटने के बाद कभी कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे प्रमाणित होता हो की उनके हाथ और पुँछ सही सलामत थे, और ये तो कतई नहीं मन जा सकता की इतने टैलेंट वाले लोग खाली बैठे रहे होंगे। आप ही बताइए कुछ ग़लत कहा मैंने।
वैसे मैं बता दूँ की मेरा शोध कार्य जारे है, और जैसे जैसे सरकार नया रहस्योद्घाटन करेगी , मैं भी आपको कोई सनसनीखेज जानकारी जरूर दूंगा। और हो सकता है की जब एकता कपूर रामायण बनाएं तो ये सब आपको देखने को मिल भी जाए.
लेबल:
राम सेतु प्रकरण
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 12 अक्टूबर 2008
घर मेरे भी, बिटिया किलकने लगी है.
अब नर्म धूप,
मेरे आँगन भी,
उतरने लगी है।
टिमटिमाते तारों की रौशनी,
और चाँद की ठंडक,
छत पर,
छिटकने लगी है।
पुरबिया पवनें,
खींच लाई हैं,
जो बदली , वो,
घुमड़ने लगी है।
दर्पर्ण मंज रहा है,
ख़ुद को,
आलमारी भी,
सँवरने लगी है ।
फूलों के खिलने में,
समय है,
कल्यिओं पर ही,
तितलियाँ,
थिरकने लगी हैं।
शायद ख़बर,
हो गयी सबको,
घर मेरे भी, बिटिया,
किलकने लगी है.......
हाँ, जी , हाल ही में मुझे पुत्री प्राप्ति का वरदान मिला है। आप सब भी , आशीष दें और हो सके तो एक प्यारा सा नाम भी.
मेरे आँगन भी,
उतरने लगी है।
टिमटिमाते तारों की रौशनी,
और चाँद की ठंडक,
छत पर,
छिटकने लगी है।
पुरबिया पवनें,
खींच लाई हैं,
जो बदली , वो,
घुमड़ने लगी है।
दर्पर्ण मंज रहा है,
ख़ुद को,
आलमारी भी,
सँवरने लगी है ।
फूलों के खिलने में,
समय है,
कल्यिओं पर ही,
तितलियाँ,
थिरकने लगी हैं।
शायद ख़बर,
हो गयी सबको,
घर मेरे भी, बिटिया,
किलकने लगी है.......
हाँ, जी , हाल ही में मुझे पुत्री प्राप्ति का वरदान मिला है। आप सब भी , आशीष दें और हो सके तो एक प्यारा सा नाम भी.
लेबल:
बिटिया के जन्म पर
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
मंगलवार, 8 जुलाई 2008
किसको कहते हैं दहेज़
बउवा पूछा ,
बाबूजी से,
बताइये,
किसको कहते हैं - दहेज़ ?
तेरी जब,
शादी होगी,
जो माल मिलेगा,
उसको , रखेंगे सहेज।
तेरी बहन की,
शादी में,
इस कुप्रथा से,
मुझको,
हो जायेगी परहेज।
शायद दुनिया इसी को कहती है दहेज़.
बाबूजी से,
बताइये,
किसको कहते हैं - दहेज़ ?
तेरी जब,
शादी होगी,
जो माल मिलेगा,
उसको , रखेंगे सहेज।
तेरी बहन की,
शादी में,
इस कुप्रथा से,
मुझको,
हो जायेगी परहेज।
शायद दुनिया इसी को कहती है दहेज़.
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
बुधवार, 4 जून 2008
मुन्नी बहन , पोरा बाई
का हो चित्थासिंग आउउर का हाल है ? अपने देहात का ? ई शहर में तो आजकल परिक्षा रिजल्ट आ कालेज दाखिला का कूदा फांदी चल रहा है। जौन ससुर फेल हुआ ऊ बिल्दिन्ग्वा के छत से कूद रहा है आउउर जे सब पास हुआ है ऊ सब एद्मिसन के खातिर kauntarwaa पर कूद रहा है । पता नहीं ई सरकार सब आल ई कूदाफान्दी देख कर भी कहे चुप रहता है। बताओ यार, विद्यार्थी सब के लिए कालेज वालेज नहीं खुलवा सकता है ढेर सारा, आ ससुरा मल्टीप्लैक्स आ शापिंग मौल्वा त जितना मर्जी खुलवा लो। अरे छोडो इहाँ के बात तू बतावा का चल रहा है देहात साईड में ?
आरे का बतावें यार, ई देहात त शहरो के कान काट रहा है । पिछ्ला हफ्ता देखबे किए होगे की एक गरीब लईकिया , पूरा प्रदेश में टाप किस्हिस एकदम पिछ्डल गाम परिवार से रही। सबका मन खुशी से झूम उठा , का तो नाम रहा उकार, हाँ पोरा बाई ।
अच्छा ,अरे बाह , हमरा भी खुशी से मन का पोर पोर नाच उता है भैई।
अरे जाने नहीं नाच्वाओ मन को पाहिले सुन त लो पूरा बात। आज पता चला की ऊ छौंडी (लडकी ) , ओरा बाई त मुन्नी बहिन निकली। आरे यार मुन्ना भाई जैसे सारा पपेर्वा में चोरी करके टाप कर गयी बहिई। ओसे पूछा गया त कहती है, कहे महिला लोग के बराबर का अधिकार नहीं है का। लेकन सब चोरी करके डॉक्टर बन सकता है तो हम त खाली परीक्षा पास किए हैं।
ई कहकर चित्थासिंग फोनवा काट दिए आ हम त ई पोरा बाई उर्फ़ मुन्ना बहिन के बारे में सोच के पगला गए हैं एकदम , कसम से, हाँ.............
आरे का बतावें यार, ई देहात त शहरो के कान काट रहा है । पिछ्ला हफ्ता देखबे किए होगे की एक गरीब लईकिया , पूरा प्रदेश में टाप किस्हिस एकदम पिछ्डल गाम परिवार से रही। सबका मन खुशी से झूम उठा , का तो नाम रहा उकार, हाँ पोरा बाई ।
अच्छा ,अरे बाह , हमरा भी खुशी से मन का पोर पोर नाच उता है भैई।
अरे जाने नहीं नाच्वाओ मन को पाहिले सुन त लो पूरा बात। आज पता चला की ऊ छौंडी (लडकी ) , ओरा बाई त मुन्नी बहिन निकली। आरे यार मुन्ना भाई जैसे सारा पपेर्वा में चोरी करके टाप कर गयी बहिई। ओसे पूछा गया त कहती है, कहे महिला लोग के बराबर का अधिकार नहीं है का। लेकन सब चोरी करके डॉक्टर बन सकता है तो हम त खाली परीक्षा पास किए हैं।
ई कहकर चित्थासिंग फोनवा काट दिए आ हम त ई पोरा बाई उर्फ़ मुन्ना बहिन के बारे में सोच के पगला गए हैं एकदम , कसम से, हाँ.............
लेबल:
व्यंग्य
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
शनिवार, 8 मार्च 2008
पसंद की घंटी
इन दिनों ,
पसंद की घंटी,
के चक्कर में,
बहुत लोगन का,
घंटा,
बजा हुआ है॥
कौन , कब,
चढा ,
कितना ऊपर,
कौन ,धंसा,
कब,
कितना नीचे,
ये टेंसन, कितना,
बढ़ा हुआ है ॥
कोई खोले,
लिस्ट,
एलेक्सा की,
कोई वाणी,
की पसंद ,
की घंटी,
कोई चिट्ठाजगत की,
रैंकिंग के फेर में,
पडा हुआ है..
वैसे तो ,
टाईम पास को,
ठीक ये ,
धंधा ये भी,
फ़िर हर कोई,
किसी न किसी,
तरह से ,
इस धंधे में ही,
लगा हुआ है ....
तो भैया लगे रहो , हम लोगन को कौनो टेंसन नहीं है हम लोग त जहाँ हैं वहीं ठीक हैं , एकदम फिट हैं जी.....
पसंद की घंटी,
के चक्कर में,
बहुत लोगन का,
घंटा,
बजा हुआ है॥
कौन , कब,
चढा ,
कितना ऊपर,
कौन ,धंसा,
कब,
कितना नीचे,
ये टेंसन, कितना,
बढ़ा हुआ है ॥
कोई खोले,
लिस्ट,
एलेक्सा की,
कोई वाणी,
की पसंद ,
की घंटी,
कोई चिट्ठाजगत की,
रैंकिंग के फेर में,
पडा हुआ है..
वैसे तो ,
टाईम पास को,
ठीक ये ,
धंधा ये भी,
फ़िर हर कोई,
किसी न किसी,
तरह से ,
इस धंधे में ही,
लगा हुआ है ....
तो भैया लगे रहो , हम लोगन को कौनो टेंसन नहीं है हम लोग त जहाँ हैं वहीं ठीक हैं , एकदम फिट हैं जी.....
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 6 मार्च 2008
अबके कईसन है ई फाग बबुआ ?
कहीं छाई है उमंग,
तो कहीं मचा हुडदंग,
अबके आया गजब है ,
ई फाग बबुआ॥
पिच्करिया सब फेल हुआ,
रंग हुए बेरंग,
पेट्रोल पीके, बाबा ठाकरे , देखो,
उगले हैं कतना आग बबुआ॥
मुम्बई बुन गया पाकिस्तान,
काफिर बन गए बिहारी,
शिवसेना का फतवा निकला,
मुम्बई से निकल , भाग बबुआ॥
कहाँ गया , प्रेम मोहब्बत,
खेल-खेल रही सियासत,
जात, धर्म और भाषा भी,
अब बन गए हैं नाग बबुआ॥
बाबा ठाकरे हो गए बीमार,
चढ़ गया दिमागी बुखार,
कुढ़-कुढ़ बाबा कुछ कर न बैठें,
अईसन जतन में तू लाग बबुआ॥
यूं भी बढ़ रहे हैं पाप,
नित नए लग रहे हैं घाव,
फ़िर समाज को काहे , दे रहे हो,
एक नया और दाग बबुआ॥
चलो माना की हम लौट जायेंगे,
आपका,अपना , सब सौंप जायेंगे,
का मुम्बई बन जायेगा मल्येसिया, काहे मराठियों को,
दिखा रहे हो सब्जबाग बबुआ॥
मुंह से बहुते गंद निकाला,
सबकुछ तहस-नहस कर डाला,
फगुआ में त दिल मिला लो,
छोडो अब ई खटराग बबुआ॥
अरे ओ बाबा , और कौनो काम नहीं है का, अरे होलिया में त खुश रहा हो ..
तो कहीं मचा हुडदंग,
अबके आया गजब है ,
ई फाग बबुआ॥
पिच्करिया सब फेल हुआ,
रंग हुए बेरंग,
पेट्रोल पीके, बाबा ठाकरे , देखो,
उगले हैं कतना आग बबुआ॥
मुम्बई बुन गया पाकिस्तान,
काफिर बन गए बिहारी,
शिवसेना का फतवा निकला,
मुम्बई से निकल , भाग बबुआ॥
कहाँ गया , प्रेम मोहब्बत,
खेल-खेल रही सियासत,
जात, धर्म और भाषा भी,
अब बन गए हैं नाग बबुआ॥
बाबा ठाकरे हो गए बीमार,
चढ़ गया दिमागी बुखार,
कुढ़-कुढ़ बाबा कुछ कर न बैठें,
अईसन जतन में तू लाग बबुआ॥
यूं भी बढ़ रहे हैं पाप,
नित नए लग रहे हैं घाव,
फ़िर समाज को काहे , दे रहे हो,
एक नया और दाग बबुआ॥
चलो माना की हम लौट जायेंगे,
आपका,अपना , सब सौंप जायेंगे,
का मुम्बई बन जायेगा मल्येसिया, काहे मराठियों को,
दिखा रहे हो सब्जबाग बबुआ॥
मुंह से बहुते गंद निकाला,
सबकुछ तहस-नहस कर डाला,
फगुआ में त दिल मिला लो,
छोडो अब ई खटराग बबुआ॥
अरे ओ बाबा , और कौनो काम नहीं है का, अरे होलिया में त खुश रहा हो ..
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 2 मार्च 2008
लालू जी इतना आउउर कर देते .
अचानक लालू जी का फोन आ गया , कहे लगे का झा जी , अब तो खुश हैं ना, देखिये काटना बढियां बजट पेश कर दिए है ऊ भी लगाता पांचवी बार, अरे हमका तो मौके नहीं देगा लोग न त हम त पचास्वी बार भी इसने बजट पेश कर देखा देंगे। आप त जानते हैं की जाऊँ चीज़ हम ठान लेते हैं कर के रहते हैं , देखे नहीं सोच लिए थे कि पिछ्ला पन्द्रह बरस में बिहार का टस से मस नहीं होने देंगे । नहीं न होने दिए वहीं का वहीं खडा है । चलिए छोडिये ऊ बात सब आप त बस बजट का बात किजीये।
हम कहे कि लालू जी बांकी सब त ठीक रहा मुदा कुछ और बात सब कर देते ना त आउउर भाधियाँ रहता। मतबल बजटवा त ससुर हिट हो जाता । देखिये हम बताते हैं।
जब इतना सारा ट्रेन सब आप अपना बिहार के लिए चला रहे हैं त इतना और कर देते कि किसी भी जगह का ट्रेन बिना पटना होए नहीं जायेगा। चाहे मद्रास जाओ चाहो आसाम , चाहे जम्मू कश्मीर मुदा बीच में पटना स्टेशन पड़ना ही चाहिए। उससे जानते हैं का होता ई सब लोग जो अपना बिहारी भाई सब को अपना स्टेट से भगा रहा ना , डर के मारे कौनो कुछ नहीं बोलता और जे कोई बदमाशी करता तो पकड़ लेते वहीं पटना में। आ वैसे त यदि एगो मेट्रो भी चल जाता सब जगह से अपने पटना के लिए.... । खैर छोडिये , ई ज्यादा हो जाता। सब हंगामा करे लगता ।
ई आपका कुल्हड़ वाला आईडिया नहीं चला, त हमरे हिसाब से आपको अब ई करना चाहिए था कि लोग सब को पीने का पानी लोटा में मिलेगा। आ ऊ लोटा सब अपने बिहार में बना हुआ होता। अरे आप कहे चिंता करते हैं रामविलास जी से कह के स्टील का दाम सब एडजस्ट करवा लेते। इससे लोग सब जैसे ही पानी पीता उनका सबके अपना बिहार जरूर याद आता।
बस करिये झा जी, प्रोग्रम्वा सब ठीक है अभी लीक नहीं किजीएये अगला इलेक्शन जीतेंगी त करेंगे ई सब लागू । आप आउउर सोच कर रखिये॥
त भइया लोग आप लोगन के पास भी कौनो आईडिया है त बता दीजिये.
हम कहे कि लालू जी बांकी सब त ठीक रहा मुदा कुछ और बात सब कर देते ना त आउउर भाधियाँ रहता। मतबल बजटवा त ससुर हिट हो जाता । देखिये हम बताते हैं।
जब इतना सारा ट्रेन सब आप अपना बिहार के लिए चला रहे हैं त इतना और कर देते कि किसी भी जगह का ट्रेन बिना पटना होए नहीं जायेगा। चाहे मद्रास जाओ चाहो आसाम , चाहे जम्मू कश्मीर मुदा बीच में पटना स्टेशन पड़ना ही चाहिए। उससे जानते हैं का होता ई सब लोग जो अपना बिहारी भाई सब को अपना स्टेट से भगा रहा ना , डर के मारे कौनो कुछ नहीं बोलता और जे कोई बदमाशी करता तो पकड़ लेते वहीं पटना में। आ वैसे त यदि एगो मेट्रो भी चल जाता सब जगह से अपने पटना के लिए.... । खैर छोडिये , ई ज्यादा हो जाता। सब हंगामा करे लगता ।
ई आपका कुल्हड़ वाला आईडिया नहीं चला, त हमरे हिसाब से आपको अब ई करना चाहिए था कि लोग सब को पीने का पानी लोटा में मिलेगा। आ ऊ लोटा सब अपने बिहार में बना हुआ होता। अरे आप कहे चिंता करते हैं रामविलास जी से कह के स्टील का दाम सब एडजस्ट करवा लेते। इससे लोग सब जैसे ही पानी पीता उनका सबके अपना बिहार जरूर याद आता।
बस करिये झा जी, प्रोग्रम्वा सब ठीक है अभी लीक नहीं किजीएये अगला इलेक्शन जीतेंगी त करेंगे ई सब लागू । आप आउउर सोच कर रखिये॥
त भइया लोग आप लोगन के पास भी कौनो आईडिया है त बता दीजिये.
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 7 फ़रवरी 2008
सबको चाहिए वलेंताईन (व्यंग्य कविता )
नाईन्तीन हो ,
कि नाईतीनाईन,
सबको चाहिए,
एक वलेंताईन॥
प्रेम-प्यार की,
ये व्यवस्था,
भी वेरी बेत्टर,
वेरी फाइन॥
दूर दूर से ,
न सेकों आग,
तुम भी करलो,
इसको ज्वाइन॥
कमाल का इजहार और,
कमाल का ये प्यार है॥
सुबह हाथों में फूल-कार्ड,
शाम को है केक-वाइन॥
काले गोरे, अंधे काने,
सब के सब हो रहे दीवाने,
जिसको देखो यही जपे है,
यू आर माइन, यू आर माइन॥
सबका है बस एक ही मकसद,
जोड़ी उसकी बन जाये झटपट,
किसी को एक पर आफत,
किसी के पीछे लगी है लाइन।
हम भी इसका फार्म लेकर,
अपने हिस्से के कालम भर कर,
भटक रहे हैं मरे-मरे, शायद,
कोई कर दे इस पर भी साइन॥
रे भैया हमका कब मिलेगी वलेंताईन ???????????
कि नाईतीनाईन,
सबको चाहिए,
एक वलेंताईन॥
प्रेम-प्यार की,
ये व्यवस्था,
भी वेरी बेत्टर,
वेरी फाइन॥
दूर दूर से ,
न सेकों आग,
तुम भी करलो,
इसको ज्वाइन॥
कमाल का इजहार और,
कमाल का ये प्यार है॥
सुबह हाथों में फूल-कार्ड,
शाम को है केक-वाइन॥
काले गोरे, अंधे काने,
सब के सब हो रहे दीवाने,
जिसको देखो यही जपे है,
यू आर माइन, यू आर माइन॥
सबका है बस एक ही मकसद,
जोड़ी उसकी बन जाये झटपट,
किसी को एक पर आफत,
किसी के पीछे लगी है लाइन।
हम भी इसका फार्म लेकर,
अपने हिस्से के कालम भर कर,
भटक रहे हैं मरे-मरे, शायद,
कोई कर दे इस पर भी साइन॥
रे भैया हमका कब मिलेगी वलेंताईन ???????????
लेबल:
कविता
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 3 फ़रवरी 2008
ई ब्लाग का बला है (कविता )
ऊ दिन आया रामधन,
पूछे लगा धनाधन,
भैया कहीं कुछ लिखत हो,
हमका पता चला है,
हमरे भी तो समझाओ,
ई ससुर ब्लाग का बला है ?
रे, बुरबक का समझायें,
तोरा एकरा बारे में,
अपना के साबित करे के,
ई सबसे खूबसूरत कला है॥
ई माँ बडका बिद्बान की संग,
हमरे जैसन बुद्धू भी,
कदम दर कदम चलत है,
भैया ई ऊ काफिला है॥
रे रामधान्वा तोहरे का कहें,
इहाँ आये हैं जबसे,
हमरे जैसन देहाती को भी,
कतना दोस्त सब मिला है॥
आब त जब तक जियेंगे,
ब्लोग रस ही पियेंगे,
कबहूँ नहीं रुकने बाला,
अब ई सिलसिला है ।
समझा रे अब तू,
ई ब्लाग का बला है ..
पूछे लगा धनाधन,
भैया कहीं कुछ लिखत हो,
हमका पता चला है,
हमरे भी तो समझाओ,
ई ससुर ब्लाग का बला है ?
रे, बुरबक का समझायें,
तोरा एकरा बारे में,
अपना के साबित करे के,
ई सबसे खूबसूरत कला है॥
ई माँ बडका बिद्बान की संग,
हमरे जैसन बुद्धू भी,
कदम दर कदम चलत है,
भैया ई ऊ काफिला है॥
रे रामधान्वा तोहरे का कहें,
इहाँ आये हैं जबसे,
हमरे जैसन देहाती को भी,
कतना दोस्त सब मिला है॥
आब त जब तक जियेंगे,
ब्लोग रस ही पियेंगे,
कबहूँ नहीं रुकने बाला,
अब ई सिलसिला है ।
समझा रे अब तू,
ई ब्लाग का बला है ..
लेबल:
कविता
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
गुरुवार, 31 जनवरी 2008
ये ब्लोग्गिंग हो रही है या बिहारिंग ( बिहार सिंड्रोम par एक चर्चा)
इस ब्लॉगजगत में भी मुझे लगता है कि कोई ना कोई भूकंप,सूनामी, और चक्रवात आता रहता है या फिर कहूँ कि सक्रियता बनाए रखने के लिए लाया जाता रहता है। इन दिनों एक तरफ बर्ड फ़्लू की चर्चा है तो दूसरी तरफ बिहार सिंड्रोम की। मुझे दोनो के बारे में ही नहीं पता पर सुना है कि बीमारी है। चलिए बर्ड फ़्लू के मुर्गे तो खूब लड़ा लिए अब ज़रा इस बिहार सिंड्रोम की बात हो जाये।
अजी चर्चा है कि इस चर्चा से पूरा मोहल्ला गरमाया हुआ है। लो कल्लो बात, अम भैया पेहले ही इतनी चर्चा है , बिहार की, बिहारियों की, और यहाँ तक की बिहारीपन की भी। सड़क से सरका तक, जम्मू से जालंधर तक, और दिल्ली से दरभंगा तक, सब जगह तो चर्चा है ही इसकी। कहीं प्रशंशा में, कहीं आलोचना में कहीं, फबतियों में, कहीं गालियों में तो कहीं द्वेष में। और ये हो सकता है इक इधर ये चर्चा थोडी जोरों पर है , थोडी ज्यादा है दूसरों की अपेक्षा । मगर फिर ये भी तो सच है की हम बिहारियों की संख्या भी तो ज्यादा है।
मेरी समझ में ये नहीं आता कि आकहिर इसे हौवा क्यों बनाया जा रहा है? आप ही बताइये राजधानी में , किसी भी नगर या महानगर में, तरकारी बेचते, रिक्शा चल्ताते, रेहडी लगाते, और पान के खोमचे लगाते ज्यादातर लोग कौन हैं। और ये भी बताइये कि इस देश की राजनीति में , सरकार में, सर्विस में , मंत्री हों, बुरोक्रट्स हों, स्कोलर हों , पत्रकार हों या कुछ भी हों उमें भी बिहारियों की संख्या बहुत ज्यादा ही मिलेगी।
छोडिये जी बहस बहुत लम्बी चलेगी। अन्तिम सच ये है कि बिहारी तो आगे बढ़ रहे हैं, बदल रहे हैं, पर बिहार आज भी बीमार है और इसके लिए हम सबको कुछ ना कुछ करना होगा।सिर्फ राज्यों के बंटवारे, फिल्मों के निर्माण, भाषाओं को अनुसूची में शामिल कराने से परिवर्तन नहीं आयेगा। और हाँ इस ब्लॉगजगत पर इसकी रस्साकशी से भी कुछ बड़ा हासिल होगा ऐसा मुझे नहीं लगता मगर बिहारी होने के नाते यदि कुछ ना कहता तो लानत है मुझ पर।
आपका अपना,
बिहारी उर देहाती बाबू
अजी चर्चा है कि इस चर्चा से पूरा मोहल्ला गरमाया हुआ है। लो कल्लो बात, अम भैया पेहले ही इतनी चर्चा है , बिहार की, बिहारियों की, और यहाँ तक की बिहारीपन की भी। सड़क से सरका तक, जम्मू से जालंधर तक, और दिल्ली से दरभंगा तक, सब जगह तो चर्चा है ही इसकी। कहीं प्रशंशा में, कहीं आलोचना में कहीं, फबतियों में, कहीं गालियों में तो कहीं द्वेष में। और ये हो सकता है इक इधर ये चर्चा थोडी जोरों पर है , थोडी ज्यादा है दूसरों की अपेक्षा । मगर फिर ये भी तो सच है की हम बिहारियों की संख्या भी तो ज्यादा है।
मेरी समझ में ये नहीं आता कि आकहिर इसे हौवा क्यों बनाया जा रहा है? आप ही बताइये राजधानी में , किसी भी नगर या महानगर में, तरकारी बेचते, रिक्शा चल्ताते, रेहडी लगाते, और पान के खोमचे लगाते ज्यादातर लोग कौन हैं। और ये भी बताइये कि इस देश की राजनीति में , सरकार में, सर्विस में , मंत्री हों, बुरोक्रट्स हों, स्कोलर हों , पत्रकार हों या कुछ भी हों उमें भी बिहारियों की संख्या बहुत ज्यादा ही मिलेगी।
छोडिये जी बहस बहुत लम्बी चलेगी। अन्तिम सच ये है कि बिहारी तो आगे बढ़ रहे हैं, बदल रहे हैं, पर बिहार आज भी बीमार है और इसके लिए हम सबको कुछ ना कुछ करना होगा।सिर्फ राज्यों के बंटवारे, फिल्मों के निर्माण, भाषाओं को अनुसूची में शामिल कराने से परिवर्तन नहीं आयेगा। और हाँ इस ब्लॉगजगत पर इसकी रस्साकशी से भी कुछ बड़ा हासिल होगा ऐसा मुझे नहीं लगता मगर बिहारी होने के नाते यदि कुछ ना कहता तो लानत है मुझ पर।
आपका अपना,
बिहारी उर देहाती बाबू
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
रविवार, 20 जनवरी 2008
अबे पगला गए हो का ?
आज भोर भोर फिर ओही खबर्वा देख के त सच पूछिए त दिमग्वा सनक गया। आज फेर कहीं पर कूनो लोग कुछ विदेशी में लोगन के साथ जबरदस्ती किये थे। साला पिछला पता नहीं काटना दिन से खाले एही बात सुनते पढ़ते आ रहे हैं। अमुक जगह पर कौनो किसी महिला के साथ बदमाशी किया तो कौनो जगह पर कौनो लुछा किसी विदेह्सी युवती के साथ बत्मीजी किया है। अबे तुम लोग पगला गए हो का? रे ई ओही देश हैं ना जाऊँ कभी अपना मेहमान लोग को देवी देवता कहता मानता था।
भैया बाबु लोग ई त हमहू देख रहे हैं कि आज का नसल आ फसल दुनु एकदम गद्बदायल है मुदा ई हमको गुमान नहीं था के सब इतना नीचे गिर गया है कि जाऊँ बेचारा सब पता नहीं केतना सुन्दर कल्पना और सपना ले के आता है अपना देश के बारे में ऊ सबके परिवार के साथ इहाँ ई सब हो सकता है। khair ऊ लोग सब जो ई सब kar रहा ऊ सब तो हमरे ख्याल से पशु निशाचर बन गया है इसलिए ऊ लोग ई बात का मतबल नहीं बुझायेगा, मुदा हरेमरे समझ में ई नहीं आता है कि ई अपना पुलिस आ सरकार प्रशाशन सब का बुका आ बहिरा के जैसन चुपचाप तमाशा देख रहा है । काहे नहीं पकड के ठोकता है ई लतखोर सबको।
इहाँ शायद ई बात का कौनो को अंदाजा नहीं है कि ई सब करके ऊ लोग उन लोगन की खातिर कतना बड़ा मुसीबत खडा कर रहा है जाऊँ लोग अपने इहाँ से काम धंधा के वास्ते बेचारा सब बाहर बह्तक रहा है । ई सबका परिणाम देर सबेर ऊ सब बेचारा लोग को भुगतना ही पडेगा ना। आ सबसे बढ़कर का इज्ज़त आ छवि रह जायेगी आपना देश आ लोगन की पूरा संसार में। रे भैया लोग अभियो तनी शर्म कर हो .
भैया बाबु लोग ई त हमहू देख रहे हैं कि आज का नसल आ फसल दुनु एकदम गद्बदायल है मुदा ई हमको गुमान नहीं था के सब इतना नीचे गिर गया है कि जाऊँ बेचारा सब पता नहीं केतना सुन्दर कल्पना और सपना ले के आता है अपना देश के बारे में ऊ सबके परिवार के साथ इहाँ ई सब हो सकता है। khair ऊ लोग सब जो ई सब kar रहा ऊ सब तो हमरे ख्याल से पशु निशाचर बन गया है इसलिए ऊ लोग ई बात का मतबल नहीं बुझायेगा, मुदा हरेमरे समझ में ई नहीं आता है कि ई अपना पुलिस आ सरकार प्रशाशन सब का बुका आ बहिरा के जैसन चुपचाप तमाशा देख रहा है । काहे नहीं पकड के ठोकता है ई लतखोर सबको।
इहाँ शायद ई बात का कौनो को अंदाजा नहीं है कि ई सब करके ऊ लोग उन लोगन की खातिर कतना बड़ा मुसीबत खडा कर रहा है जाऊँ लोग अपने इहाँ से काम धंधा के वास्ते बेचारा सब बाहर बह्तक रहा है । ई सबका परिणाम देर सबेर ऊ सब बेचारा लोग को भुगतना ही पडेगा ना। आ सबसे बढ़कर का इज्ज़त आ छवि रह जायेगी आपना देश आ लोगन की पूरा संसार में। रे भैया लोग अभियो तनी शर्म कर हो .
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
बुधवार, 16 जनवरी 2008
बाबू kanshiram ko भारत ratn to bahan मायावती को nobel kyon नहीं ?
अभिये अभिये पता चला है बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक स्वर्गवास बाबू कांशीराम को भारत रत्न देने कि माँग की जा रही है भैया । त ई में कौन बुरी बात है भिया आज काल त जमनवा ही माँग आ आपूर्ति का है चाहे अधिकार हो कि पुरूस्कार पहले प्यार से मांगो फेर धमकी दये दो आ उसके भी बाद भी ससुर नंबर नहीं आवत है टू खूब हल्ला मचाओ , कहो ई पुरूस्कार का तौहीन है सरकार का बदमाशी है । खैर ई सब टू अपना इहाँ अब एगो स्थापित परम्परा बन गया है , मुदा ई सब के बीच आज हमरे उत्तम दिमाग में एगो नायका ख्याल आ रहा है आ ई भी देखिए काटना उपयुक्त समय पर आया है , अभिये अभिये त बहिन जी का भारी भरकम जनम दिन मनाया गया है । त ई समझिए कि बहिन जी को हमरे तरफ से ई बल डे का गिफ्ट शिफ्ट हो गया।
हमरा विचार है कि जब बाबू कांशीराम को भारत रत्न दिया जा रहा है टू कहे नहीं इसी सुअवसर पर बहन जी को नोबेल पुरूस्कार के लिए नामित कर दिया जावे। आरे चिहुन्किये नहीं इसके पीछे बहुत सारा ठोस रेजन्वा है भाई। पहले बात जब दस्यु सुंदरी फूलन देवी को लोग सब नोबेल पुरूस्कार ऊ भी शांति का नोबेल पुरूस्कार के लिए नामानकर कर दिया था, आ कर का दिया था ऊ त बेचारी का देहांत हो गया न त झुंझला के नोबेल समिति वाला सब दे ही देता एक दिन, त ऐसन में बहन जी को कहे नहीं विज्ञान आ तकनीक के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित कर देल जाये । हाँ समझ गए आप पूछेगे की ई विज्ञान आ तकनीक की कतेग्री में कहे त भैया ई आप लोगन शायद भूल रहे हैं कि "सोशल एन्ज़ीनीरिंग " का फार्मुल्वा कौन इजाद किहिस है ई अपनी बहन जी ही ना।
ओइसे त आप लोग चाहे कुछ भी समझिए देर सवेर बहन जी को उनका चुनाव चिन्ह हाथी के माध्यम से पशु प्रेम को बढावा देने के लिए भी कौनो न कौनो जीव संरक्षण का पुरूस्कार भी मिलबे करेगा।
भैया हम सब त देती आ भैया लोग त बहन जी के साथ हैं , आप कहिये ?
हमरा विचार है कि जब बाबू कांशीराम को भारत रत्न दिया जा रहा है टू कहे नहीं इसी सुअवसर पर बहन जी को नोबेल पुरूस्कार के लिए नामित कर दिया जावे। आरे चिहुन्किये नहीं इसके पीछे बहुत सारा ठोस रेजन्वा है भाई। पहले बात जब दस्यु सुंदरी फूलन देवी को लोग सब नोबेल पुरूस्कार ऊ भी शांति का नोबेल पुरूस्कार के लिए नामानकर कर दिया था, आ कर का दिया था ऊ त बेचारी का देहांत हो गया न त झुंझला के नोबेल समिति वाला सब दे ही देता एक दिन, त ऐसन में बहन जी को कहे नहीं विज्ञान आ तकनीक के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित कर देल जाये । हाँ समझ गए आप पूछेगे की ई विज्ञान आ तकनीक की कतेग्री में कहे त भैया ई आप लोगन शायद भूल रहे हैं कि "सोशल एन्ज़ीनीरिंग " का फार्मुल्वा कौन इजाद किहिस है ई अपनी बहन जी ही ना।
ओइसे त आप लोग चाहे कुछ भी समझिए देर सवेर बहन जी को उनका चुनाव चिन्ह हाथी के माध्यम से पशु प्रेम को बढावा देने के लिए भी कौनो न कौनो जीव संरक्षण का पुरूस्कार भी मिलबे करेगा।
भैया हम सब त देती आ भैया लोग त बहन जी के साथ हैं , आप कहिये ?
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vyangya
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
शनिवार, 12 जनवरी 2008
जान गए बकनर आ bensan का matbal
लोटन जब भी कूनो मोश्किल में पड़ता है सीधा हमरे पास चल आता है ओकरा पूरा विश्वास है कि ओकर जुनो कोइ समम्स्या हो चाहे कौनो प्राब्लेम हो ओकर जबाब हमरे पास जरूर होगा काहे से कि एक त हम बहुत लिखते पढ़ते रहता हूँ आउउर ऊपर से कम्पूटर आ इंटरनेट पर भी जाता रहता हूँ। हमारा इन्तेल्लिगेंत्वा देखिए कि हमका भी सचमुच ऊ सब जबाब आता ही रहता है .खैर ।
ऊ दिन लोटन आते ही पूछा कि भैया ई अपना क्रिकेट टीमवा फेर से एगो आउउर मैच हार गया , भैया हमरे त ई नहीं समझ आता है कि जब ई सब बाहर जा कर ससुर हारे जाता है तो काहे नहीं सब के सब मैच यहीं पर खेलता है , सबको बुलाओ खूब खिलाओ ,पिलाओ, खातिर दारी करो और सारा मैच में हरा के भेज दो । मुदा ई बार त सुने हैं कि ई वाला मत्च्वा सब बेचारा कुछ कहते हैं कि "बकनर " आ बेन्सन के कारण हारा है , । भैया ई का है ई बकनर आ बेन्सन।?
हम थोडी देर गंभीर चिंतन किये आ फिर पूरा मनन के पश्चात् लोटन को विस्तार से बताये ," देख रे लोतानमा जहाँ तक हमका मालूम है, जैसे कि बकलोल होता है जैसे कि बकवास होता है ओएसे ही इतना त निश्चित है कि जैसे बक लगा हुआ सब चीज़ एकदम बेकार होता है ओइसे ही बकनर भी जरूर कोनो बेकार चीज़ , अच्छा अच्छा , बक नर यानी बेकार नर रे अभियो नहीं समझा बेकार पुरुष बल्कि अब तो हमरे लग रहा है कि बक वानर होगा । वैसे भी भज्जी केकरो बन्दर या वानर कह रहा था , शायद केकरो आउउर को था मुदा लगता है की ई बक्नारो को बुरा लग गया था। समझा।
आ भैया ऊ दूसरा बला " बेन्सन "
अरे ऊ त कुछ नहीं है , जैसे पढ़ने लिखने , नाकुरी चाकरी, जिन्दगी, प्यार, सबमें कूनो तरह का पीराब्लेम को टेंसन कहते हैं ना ओइसे ही क्रिकेट में यदि कौनू तरह का पीराब्लेम होता है तो ऊ बेन्सन कहलाता है । तू तो खाली बुरबक ही रहेगा रे हमरे तरह बनो।
ऊ दिन लोटन आते ही पूछा कि भैया ई अपना क्रिकेट टीमवा फेर से एगो आउउर मैच हार गया , भैया हमरे त ई नहीं समझ आता है कि जब ई सब बाहर जा कर ससुर हारे जाता है तो काहे नहीं सब के सब मैच यहीं पर खेलता है , सबको बुलाओ खूब खिलाओ ,पिलाओ, खातिर दारी करो और सारा मैच में हरा के भेज दो । मुदा ई बार त सुने हैं कि ई वाला मत्च्वा सब बेचारा कुछ कहते हैं कि "बकनर " आ बेन्सन के कारण हारा है , । भैया ई का है ई बकनर आ बेन्सन।?
हम थोडी देर गंभीर चिंतन किये आ फिर पूरा मनन के पश्चात् लोटन को विस्तार से बताये ," देख रे लोतानमा जहाँ तक हमका मालूम है, जैसे कि बकलोल होता है जैसे कि बकवास होता है ओएसे ही इतना त निश्चित है कि जैसे बक लगा हुआ सब चीज़ एकदम बेकार होता है ओइसे ही बकनर भी जरूर कोनो बेकार चीज़ , अच्छा अच्छा , बक नर यानी बेकार नर रे अभियो नहीं समझा बेकार पुरुष बल्कि अब तो हमरे लग रहा है कि बक वानर होगा । वैसे भी भज्जी केकरो बन्दर या वानर कह रहा था , शायद केकरो आउउर को था मुदा लगता है की ई बक्नारो को बुरा लग गया था। समझा।
आ भैया ऊ दूसरा बला " बेन्सन "
अरे ऊ त कुछ नहीं है , जैसे पढ़ने लिखने , नाकुरी चाकरी, जिन्दगी, प्यार, सबमें कूनो तरह का पीराब्लेम को टेंसन कहते हैं ना ओइसे ही क्रिकेट में यदि कौनू तरह का पीराब्लेम होता है तो ऊ बेन्सन कहलाता है । तू तो खाली बुरबक ही रहेगा रे हमरे तरह बनो।
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व्यंग्य
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