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शनिवार, 17 अप्रैल 2010

नो चर्चा , ओनली सूचना : अपनी ब्लोग्गिंग , अपनी कमाई

 

 

 

 

जी हां आज कोई चर्चा नहीं , वैसे भी ये तो हिंदी ब्लोग्गर्स ही हैं जो तरह तरह की चर्चाएं झेल रहे हैं एक ही दिन में , जाने कितनी कितनी बार । और कुछ हमारे जैसे ब्लोग्गर भाई बंधु , पता नहीं इतने फ़जीहत के बाद भी ढीठ की तरह चर्चाएं पढवाने पर तुले बैठे हैं । भाई उन सबसे तो थोडे में यही कहा जा सकता है कि जब तक पोस्टें लिखी जाती रहेंगी तब तक उनकी चर्चा भी होती रहेगी । अब इससे क्या फ़र्क पडता है कि झाजी करें , या कोई और …क्योंकि आपकी नज़र में सारे चर्चाकार पक्षपाती और पूर्वाग्रह से ग्रस्त होते हैं , गुट बनाकर चर्चा करते हैं । चलिए आप अपना स्नेह इसी तरह से सभी चर्चाकारों पर बरसाते रहें , आखिर कभी न कभी तो कुछ लुढक ही जाएंगे न । मगर मैं तो आज सिर्फ़ कुछ सूचनाएं देने आया हूं जी । अरे भाई कोई ऐसी वैसी सूचना नहीं है । जी इतनी कडक महंगाई में ,ब्लोग्गिंग से आपको ईनाम शिनाम के रूप में ही सही कुछ नकद नारायाण मिलेगा और दूसरी तरफ़ खुद को अभिव्य्क्त करने का मौका भी ।

 

१.

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प्रिय ब्लागर मित्रगणों,
हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. ताऊजी डाट काम पर हमने प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं का प्रकाशन शुरु कर दिया है जिसके अंतर्गत आज श्री अविनाश वाचस्पति की रचना पढिये.
आपसे एक विनम्र निवेदन है कि आप अपना संक्षिप्त परिचय और ब्लाग लिंक प्रविष्टी के साथ अवश्य भेजे जिसे हम यहां आपकी रचना के साथ प्रकाशित कर सकें. इस प्रतियोगिता मे आप अपनी रचनाएं 30 अप्रेल 2010 तक contest@taau.in पर भिजवा सकते हैं.

२.

Home  »  ब्लागस्पाट क्यूं ? अब ब्लॉगप्रहरी पर ब्लॉग करें ! ब्लॉगिंग से पैसे की शुरुआत ..

यहां प्रकाशित हुई। आप लेखक के ब्लाग पर जाकर भी अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

ब्लागस्पाट क्यूं ? अब ब्लॉगप्रहरी पर ब्लॉग करें ! ब्लॉगिंग से पैसे की शुरुआत ..

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जैसा की आप जानते हैं ब्लॉगप्रहरी लगातार ब्लॉग जगत को एक सशक्त माध्यम बनाने को लेकर प्रयासरत है. परन्तु हम सब की व्यक्तिगत कोशिशे अपनी जगह है और सामूहिक प्रयास अलग मायने रखता है. हम सब में से कोई भी अगर सच में एक सशक्त मंच खड़ा करना चाहता है तो उसे एक टीम , एक बड़ी इक्षाशक्ति की आवश्यकता है . और टीम खड़ी करना , आज के समय में जहाँ हर कोई खुद को विशिष्ट समझता हो, एक बड़ी चुनौती है.


पिछले कुछ दिनों से मैं वह कुछ नहीं कर पाया जो उद्देश्य लेकर ब्लॉगप्रहरी की शुरुआत की थी . नियुक्त ब्लॉगप्रहरियों का सहयोग भी नाममात्र का रहा .हालाँकि रजिस्टर्ड users की संख्या ४१२ हो गयी है , और यह एक उपलब्धि है . पर बहुत अफ़सोस होता है जब कोई पोस्ट में उन्ही बातों को किसी के द्वारा लिखा हुआ पाता हूँ ..
मसलन … ब्लॉगजगत में सुचिता का आभाव है, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप नहीं होने चाहिए , सार्थक पहल हो, सार्थक बातचीत हो … धार्मिक आंदोलनों की मशाल यहाँ नहीं जलनी चाहिए … वगैरह वगैरह ….
शायद यहीं सब बातें मैंने भी की थी , जब ब्लॉगप्रहरी की शुरुआत की . परीक्षाओं में व्यस्तता की वजह से मैं ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाया . एक स्टाफ रखा है पर वह भी तकनीकी रूप से दक्ष नहीं . और साच कहूँ तो ऐसी किसी दक्षता से ज्यादा विजनरी होने की आवश्यकता होती है .

पर सभी को यह बात समझनी होगी की किसी भी बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए , उसे वहीँ रास्ते पर चलना होगा जिस रास्ते पर कई गुजर रहे है , उसे भी टीम खड़ी करनी होगी. चल अकेला …. वाली धुन यहाँ गुनगुनाने से बड़े लक्ष्य हासिल नहीं किये जा सकते .
मैं कुछ व्यक्तिगत बातें भी आपसे बता दूँ. मैं पत्रकारिता का क्षात्र हूँ, अगले महीने अपनी शिक्षा,( जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता का कोर्स) ख़त्म कर रहा हूँ. मेरे समक्ष दो विकल्प है, या तो किसी चैनल में जा कर अपनी ऐसी तैसी करूं या एक रास्ता तैयार करुं, अपने लिए ….हम सब के लिए …. इस दिशा में तीन प्रयास हैं.
१. विचारमीमांसा डोट कॉम को स्थापित करना ( जो एक दैनिक समाचार पात्र के भांति, गैर-व्यवसायिक पत्रकारों द्वारा संचालित वेब -मैगज़ीन होगी .)
कारण : हम या हम सब में से आज तक कोई भी डोट कॉम या पोर्टल जो किसी बड़े मीडिया हाउस द्वारा संचालित नहीं होता हो, वैकल्पिक मीडिया का रूप नहीं ले सका. वजह सिर्फ एक हीं है . आप जब अख़बार खरीदते हैं या बी बी सी , जागरण जैसी साइट्स पर जाते हैं, टी वी ऑन करते हैं तो यह सुनिश्चित होता है कि उस वक़्त के सारे ताज़ा घटनाक्रम आपके सामने है. यानि आप अप- टू-डेट हैं . परन्तु एक भी ऐसा वैकल्पिक माध्यम बताइए जहाँ जाकर आपको यह आश्वस्तता मिल सके .अपने अपने निजी ब्लॉग के आलावा हम सबकी जिम्मेदारी है ..एक विकल्प खड़ा करने की. और मैं मेनस्ट्रीम की पत्रकारिता को त्याग कर इसी मुहीम में अपना भविष्य लगाने जा रहा हूँ . उम्मीद है आपका अनुज , जो युवा है (मात्र २३ साल ) :) , तकनीकी रूप से सक्षम है , और पत्रकारिता का अनुभव और माद्दा रखता है , के लिए आप सब का सहयोग मिलेगा . इस दिशा में मैं आप सभी की व्यक्तिगत रूप से सहयोग की अपेक्षा करता हूँ . विचारमीमांसा पर आप सब अपने क्षेत्र-विशेष , रुचि- विशेष की खबरें या लेख प्रकाशित कर एक वैकल्पिक मीडिया के रूप में , सशक्त मंच की स्थापना करें .

 

अब बात करें मुद्दे की :

ब्लॉगप्रहरी पर ब्लॉग लिखने या पोस्ट करने के लिए, log-in करने के लिए या प्रतिक्रिया करने के लिए… सभी के लिए आपको POINTS मिलेंगी . जो ब्लॉगर सर्वाधिक POINTS अर्जित करेगा उसे ..उसके द्वारा अर्जित points के बराबर राशी बतौर पुरस्कार दी जाएगी . और अपनी आर्थिक क्षमता के हिसाब से अभी यह केवल सबसे बड़े ब्लॉगर के लिए है. आगे चल कर इसे १० बड़े ब्लॉगर के लिए करने की योजना है . ऐसी किसी भी पहल को लेकर कई दफा अविनाश वाचस्पति जी , अलबेला खत्री जी और खुशदीप सहगल जी से बातचित हो चुकी है. जैसे हीं हमारी आय का कोई साधन निकल आएगा ..वह राशी आगे खर्च करने में संकोच नहीं . फिलहाल तो जो अपने जेब से बन पड़े
यह राशी 5000 -10,000 तक भी हो सकती है . यह आपकी सक्रियता पर निर्भर करता है.

तो देर किस बात की अभी लोग- इन करें ब्लॉगप्रहरी पर और शुरू हो जाएँ . जब ब्लॉगर पैसा देगा , गूगल adsense पैसा देगा तब वापस यहाँ खपत करेंगे, अपनी उर्जा , समय और बुद्धि की !

http://www.blogprahari.com/wp-login.php

 

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Friday, April 16, 2010           

अब ब्लोगरों को अपने टिप्पणियों और सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों पर ह़र हप्ते मिलेगा इनाम / इनाम कि राशी अकाउंट पेयी चेक द्वारा कुरिअर से उनके घरपर पहुँचाया जायेगा ---------

आज  से ही ब्लोगरों को अपने अच्छे सोच पर इनाम के रूप में कमाने का मौका / http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/         ने अपने पोस्ट  सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए -------------- पर देश हित में ईमानदारी और गंभीरता से किये गए टिप्पणियों पर और उन में से सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों को कटेगरी १-सबसे गंभीर टिप्पणी और केटेगरी २-सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणी इन दोनों केटेगरी में ब्लोगरों को अपने टिप्पणियों और सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों पर ह़र हप्ते मिलेगा इनाम / इनाम कि राशी अकाउंट पेयी चेक द्वारा कुरिअर से उनके घरपर पहुँचाया जायेगा / इनाम कि सूचना ह़र हप्ते के सोमबार को इस पोस्ट के सबसे ऊपर प्रकाशित किया जायेगा और इनाम का चेक मंगलवार को विजेता के पते पर ह़र हाल में भेज दिया जायेगा / ह़र हप्ते दोनों केटेगरी में इनाम कि राशी ५०० रुपया प्रति केटेगरी होगा / इन दोनों केटेगरी का इनाम किसी एक व्यक्ति को भी मिल सकता है अगर किसी ब्लोगर का टिप्पणी सबसे उम्दा हुआ और सबसे ज्यादा लोगों द्वारा सराहा भी गया तो /

इसमें एक ब्लोगर के लिए भाग लेने के दो मौके होंगे ,दोनों केटेगरी यानि एक बार तो आप अपनी उम्दा टिप्पणी कर सकते हैं और दूसरी बार किसी के टिप्पणी पर अपनी टिप्पणी कर सकते हैं / इस देश हित के इनामी प्रतियोगिता कि शुरूआत आज रात दिनांक १७/०४/२०१० के ठीक १२.०१ मिनट AM से होकर पूरे दो महीने यानि १३/०६/२०१० के रात्रि ११.५९ PM तक होकर समाप्त होगा / इसमें कुल १६ ब्लोगर इनाम पा सकेंगे क्योंकि इस हप्ते में सिर्फ दो दिन शेष रहने कि वजह से पहले इनाम कि घोषणा २६/०४/२०१० को और अंतिम इनाम कि घोषणा १४/०६/२०१० को किया जायेगा और हर हाल में  पहले इनाम कि राशी २७/०४/२०१० को और अंतिम इनाम कि राशी १५.०६.२०१० को विजेता ब्लोगर को भेज दिया जायेगा / इनाम तो इनाम कि जगह है लेकिन देश हित में आपकी सोच और विचारों को हम क्या कोइ भी किसी इनाम से नहीं तौल सकता है ? आपका देश हित का सोच अपने आप में अमूल्य और इस देश के उच्च संस्कार कि निशानी है / आशा है आप हमारे इस प्रयास में अपनी विचारों कि भागीदारी देने के साथ-साथ अपने मित्रों को भी प्रोत्साहित करेंगे / आपका जय कुमार झा

 

 

कुछ भी कभी भी में ….image

दूसरा और बहुत जरूरी उपाय है कि इतना लिखो , इतना लिखो ...मगर सकारात्मक , ..इतना प्यार उडेलो , इतने मुद्दे उठाओ कि ये सब अतडे पतडे ...उस सैलाब में बह जाएं या उस तूफ़ान में उड जाएं तिनके की तरह । ब्लोग परिकल्पना उत्सव जैसे प्रयासों को भरपूर समर्थन मिलना चाहिए , और ऐसे ही नए नए प्रयास शुरू किए जाने चाहिए । मैं खुद बहुत जल्द ही एक योजना की शुरूआत करने जा रहा हूं जिसमें प्रति माह एक ब्लोग्गर को उसके लेखन कार्य के लिए नकद रूप से पुरुस्कृत किए जाने की  योजना पर विचार हो रहा है ।

 

तो  भईया बस अब फ़िर मत कहिएगा कि ब्लोग्गिंग में तो कमाई धमाई होती नहीं है……उ का कहती हैं अदा जी …..हां नहीं तो …

 

कल मिलते हैं कुछ पोस्ट झलकियों के साथ

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

जस्ट एन कटपिटिया चर्चा जी …झा जी कहिन

 

बुधवार, १४ अप्रैल २०१०

परिकल्पना ब्लोगोत्सव-2010 का भव्य शुभारंभ

मैं समय हूँ , मैंने देखा है वेद व्यास को महाभारत की रचना करते हुए , आदि कवि वाल्मीकि ने मेरे ही समक्ष मर्यादा पुरुषोत्तम की मर्यादा को अक्षरों में उतारा...सुर-तुलसी-मीरा ने प्रेम-सौंदर्य और भक्ति के छंद गुनगुनाये, भारतेंदु ने किया शंखनाद हिंदी की समृद्धि का. निराला ने नयी क्रान्ति की प्रस्तावना की, दिनकर ने द्वन्द गीत सुनाये और प्रसाद ने कामायनी को शाश्वत प्रेम का आवरण दिया .....!

मैं समय हूँ, मैंने कबीर की सच्ची वाणी सुनी है और नजरूल की अग्निविना के स्वर. सुर-सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित करने वाली महादेवी को भी सुना है और ओज को अभिव्यक्त करने वाली सुभाद्रा कुमारी चौहान को भी, मेरे सामने आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री की राधा कृष्णमय हो गयी और मेरे ही आँगन में बेनीपुरी की अम्बपाली ने पायल झनका कर रुनझुन गीत सुनाये ....!

 

बीबीसी ब्लोग्स से देखिए

थरुर पिच पर रहें कि जाएं...

राजेश प्रियदर्शी राजेश प्रियदर्शी | बुधवार, 14 अप्रैल 2010, 22:03 IST

देश में हरियाली के लिए ज़िम्मेदार मंत्री क्रिकेट की लहलहाती फ़सल संभाल चुके हैं, जब इतने सारे विदेशी खिलाड़ी आईपीएल में खेल रहे हैं तो विदेश राज्यमंत्री को अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास नहीं होगा?

यूएन में ऊँचे ओहदे पर रह चुके मंत्री जी ने विवादों की लड़ी से जूझने के बाद कहा था कि उन्हें अभी भारतीय राजनीति के 'तौर-तरीक़े' अच्छी तरह सीखने की ज़रूरत है.

शायद उन्होंने शरद पवार और सुरेश कलमाडी जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से नए 'तौर-तरीक़े' सीखे हैं, खेल की सियासत और सियासत का खेल.

 

नवभारत ब्लोग्स से ……….

उन्हें तो लड़ने का बहाना चाहिए           image

संजय खाती Thursday April 15, 2010

उनका मकसद सोसायटी को तोड़ना और अपने हवाई सपनों को लागू करना है। वे आज से सौ हजार या लाख साल पीछे चले जाना है। दुनिया के हर कोने में उग्रवादी-आतंकवादी एक जैसे होते हैं, लेकिन हर मामले में एक जैसे नहीं। और उनके ये फर्क हमें सोसायटी के बारे में कुछ नया बता सकते हैं, जिसमें वे पैदा होते हैं। लोकल टेररिजम एक ऐसा सब्जेक्ट है, जिससे हमें इंसानी सभ्यता के विकास या विनाश का अंदाजा हो सकता है।

 

गुरुवार, १५ अप्रैल २०१०

भारत ने कबड्डी विश्व कप जीता , IPL की चीयर गर्ल्स ने दावत दी


खबर :-भारत ने कबड्डी विश्व कप जीता
नज़र:-अच्छा अबे ये कब हो गया यार । बताओ भला विश्व कप जीत लाए और यहां रत्ती भर भी हलचल नहीं , कोई स्वागत सत्कार नहीं । जब पुरस्कार , सम्मान राशि की भी कोई बात नहीं है तो फ़िर उन्हें विज्ञापन कौन देने की सोचेगा । बताओ भला ये भी कोई खेल है , विश्व कप भी जीत लाए तो भी धेले भर की पूछ नहीं । अच्छा क्या कहा .....ऐसा नहीं है । उनका भी स्वागत करने की पूरी योजना बनाई गई है । IPL की एक चीयर गर्ल ने अपने एक दिन के मैच में मिली फ़ीस से ही पूरी टीम को शानदार जलसा दावत देने की सोची है । सुना है कि सभी चीयर गर्ल्स ने ये पेशकश की है कि वे अपने अपने गुल्लक को फ़ोड के उसमें से जो भी चिल्लर चुनमुच निकलेगा उसीसे , कबड्डी टीम के लिए घर बार, कार सबका इंतज़ाम करवा लेंगे । ये सब देखते हुए बहुत से कबड्डी खिलाडियों ने अगले साल IPL में चीयर गर्ल्स बनना ही बढिया औपश्न समझा है । ये भी ठीक है ...यार कबड्डी के विश्व कप जीतेने से तो अच्छा ही है

 

गुरुवार, १५ अप्रैल २०१०            image

के है कोई सबेरा

है कोई तो पहलू अँधेरा
के जिसकी तह में है कोई तो चेहरा
चलना है आँख मूँद कर
वरना क्या वक़्त है कभी ठहरा
साये सा उभरता है वो
तन्हाँ देखते ही लगता है पहरा

 

Thursday, April 15, 2010       image

लोकतन्त्र के बाराती

हम सात-आठ थे। सबके सब पूरी तरह फुरसत में। करने को एक ही काम था - भोजन करना। सबको पता था कि छः बजते-बजते भोजन की पंगत लग जाएगी। याने प्रतीक्षा करने का काम भी नहीं था। सुविधा इतनी और ऐसी कि माँगो तो पानी मिल जाए, चाय मिल जाए-सब कुछ फौरन। नीमच के डॉक्टर राधाकृष्णन नगर (जिसे इस नाम से शायद ही कोई जानता हो। सब इसे ‘शिक्षक कॉलोनी’ के नाम से जानते हैं) स्थित शिक्षक सहकार भवन में हम लोग जुड़े बैठे थे।

मेरे जीजाजी की पहली बरसी पर मेरे बड़े भानजे श्यामदास ने यह आयोजन किया था। सवेरे से भजन-कीर्तन चल रहे थे। महिलाओं ने मानो यह काम अपने जिम्मे ले लिया था। सो, हम सबके सब पुरुष पूरी तरह से फुरसत में थे।

 

Wednesday, April 14, 2010   जय कुमार झा

सामाजिक असंतुलन कि भयावहता और कमजोर चरित्र कहिं भारत को बर्बाद न कर दे ------?

जरा सोचिये जो व्यक्ति अपने धर्म पत्नी के प्रति बफादार नहीं हो सकता,वह व्यक्ति समाज और देश के प्रति क्या बफादारी निभाएगा ? सामाजिक असंतुलन कि भयावहता और उच्च पदों पर कमजोर चरित्र के लोगों कि आसान पहुंच से आज ह़र सच्चा,इमानदार,चरित्रवान और देशभक्त भारतीय नागरिक के मन में एक आशंका बलवती होती जा रही हैं कि कहीं ये सामाजिक असंतुलन कि भयावहता और कमजोर होता चरित्र भारत को बर्बाद न कर दे /

 

माचिस की तीली के ऊपर      गिरीश बिल्लोरे

अप्रैल 14, 2010

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माचिस की तीली के ऊपर

बिटिया की पलती आग

यौवन की दहलीज़ पे जाके

बनती संज्ञा जलती आग

************************

सभ्य न थे जब हम वनचारी

था हम सबका एक धरम

शब्द न थे संवादों को तब

नयन सुझाते स्वांस मरम .

हां वो जीवन शुरू शुरू का

पुण्य न था न पापी दाग…!

*************************

 

Thursday 15 April 2010          image

विवाद,ग्लैमर्स और पैसा

---- चुटकी----
विवाद
ग्लैमर्स
और
ढेर सारा पैसा,
हमारा
आईपीएल
है ही कुछ ऐसा।

 

Wednesday, April 14, 2010    image

॥ रोज रोज की गरीबी॥

(मुंडारी लोकगीत का काव्यांतर : पांच)
रोज रोज की गरीबी कहो या नींद का मरण
मैं कबतक और कितनी इसकी चिंता में रहूं!
रोज रोज की झंझट कहो या जी का जंजाल
कितनी बार ओझा के दरवाजे दौड़ लगाऊं।
ओह, कबतक इन सबकी चिंता में जलूं?
घर की सारी भेड़-बकरियां
बेच-खाकर खत्म हो गईं
हाय, कितनी बार दौड़ूं ओझा के पास
घर के सब मुर्गी-चूजे बिला गए।

 

बुधवार, १४ अप्रैल २०१०       image

प्रणय का संभार कैसा !

हो तुम्हीं यदि दूर तो यह प्रणय का सम्भार कैसा !
तुम लगा पाये न मेरे दु:ख का अनुमान साथी,
जान कर भी अब बने जो आज यों अनजान साथी,
है निराशा की धधकती आग एक महान साथी,
हो चुके हैं भस्म जिसमें छलकते अरमान साथी,
प्राण शीतल प्रेम में यह विरह का श्रृंगार कैसा !
हो तुम्हीं यदि दूर तो यह प्रणय का संभार कैसा !

 

Wednesday, April 14, 2010          image

कौन कहता है नक्सलवाद एक विचारधारा है ?

कौन कहता है नक्सलवाद समस्या नहीं एक विचारधारा है, वो कौनसा बुद्धिजीवी वर्ग है या वे कौन से मानव अधिकार समर्थक हैं जो यह कहते हैं कि नक्सलवाद विचारधारा है .... क्या वे इसे प्रमाणित कर सकेंगे ? किसी भी लोकतंत्र में "विचारधारा या आंदोलन" हम उसे कह सकते हैं जो सार्वजनिक रूप से अपना पक्ष रखे .... न कि बंदूकें हाथ में लेकर जंगल में छिप-छिप कर मारकाट, विस्फ़ोट कर जन-धन को क्षतिकारित करे ।
यदि अपने देश में लोकतंत्र न होकर निरंकुश शासन अथवा तानाशाही प्रथा का बोलबाला होता तो यह कहा जा सकता था कि हाथ में बंदूकें जायज हैं ..... पर लोकतंत्र में बंदूकें आपराधिक मांसिकता दर्शित करती हैं, अपराध का बोध कराती हैं ... बंदूकें हाथ में लेकर, सार्वजनिक रूप से ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बता कर फ़ांसी पर लटका कर या कत्लेआम कर, भय व दहशत का माहौल पैदा कर भोले-भाले आदिवासी ग्रामीणों को अपना समर्थक बना लेना ... कौन कहता है यह प्रसंशनीय कार्य है ? ... कनपटी पर बंदूक रख कर प्रधानमंत्री, डीजीपी,कलेक्टर, एसपी किसी से भी कुछ भी कार्य संपादित कराया जाना संभव है फ़िर ये तो आदिवासी ग्रामीण हैं ।

 

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Wednesday, April 14, 2010       

युद्ध से ज्यादा घातक है खुद क़ी परेशानियां अमेरिकन सिपाहियों के लिए

सुनाने में अजीब लग रहा है पर अगर नीचे उल्लेखित वेबसाइट पर विश्वास किया जाए तो यह सत्य है की अमेरिका के जितने सिपाही युद्ध में नहीं मारे गए, जितने कि आत्महत्या कि वजह से ! इसमें सिर्फ वही आंकड़े शामिल है जब ये सैनिक नौकरी पर थे, अगर रिटायरमेंट के बाद के नंबर भी मिला दिए जाए तो ये आंकड़ा और भी अधिक होगा। इस वेबसाइट के अनुसार पिछले साल ही ३२० सैनिको ने नौकरी के दौरान आत्महत्या करके अपनी जान गंवाई।

 

चुराई हुई रचना है बच्‍चन की ‘मधुशाला’image

पोस्टेड ओन: April,13 2010 जनरल डब्बा में    

उस रात तो मैं हतप्रभ रह गया। अलीगढ़ के नुमाइश मैदान में स्थित गेस्‍टहाउस के कमरे में मैं था और फिल्‍मी दुनियां के जाने माने गीतकार संतोषानन्‍द। वह दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्‍मेलन में भाग लेने आए हुए थे। अभिरुचि के स्‍तर पर साहित्‍य का विद्यार्थी होने के नाते संतोषानन्‍द से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो छंदोबद्ध कविता से लेकर कविता, अकविता, नई कविता, गद्य काव्‍य और तेवरी आंदोलन तक पर चर्चा हुई। संतोषनन्‍द भी पूरे मूड में थे, लेकिन कहीं न कहीं उम्र की ढ़लान उतर रहे संतोषानन्‍द के अंदर कुछ ऐसा था जो उन्‍हें भीतर ही भीतर खाए जा रहा था। मैने भी उनके उसी दर्द को थोड़ा कुरेदने की कोशिश की तो नतीजा सामने था। डाक्‍टर हरिवंश राय बच्‍चन का जिक्र आते ही वो बिफर पड़े-‘ बच्‍चन भी कोई कवि थे ? बेसिकली वह प्रोफेसर थे और एक अच्‍छे अनुवादक। जिस मधुशाला के लिए बच्‍चन को पहचाना जाता है वह मधुशाला उन्‍होंने उमर खय्याम की शायरी के थाट्स चुरा कर लिखी।‘ सचमुच, संतोषानन्‍द की इस बात को सुनकर मैं हतप्रभ रह गया। जिस मधुशाला को काब्‍य जगत में एक कालजयी रचना के रूप में पहचान मिली उसके बारे में ऐसी टिप्‍पणी, मैं तो सोच भी नहीं सकता था। और, संतोषानन्‍द अपनी रौ में बोले जा रहे थे-‘अब कविता नहीं, कविता का धंधा हो रहा है। चुटकुलेबाज मजे ले रहे हैं। अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं से थाट्स चुरा कर गीत लिखे जा रहे हैं। चाहे नीरज हों या कुंवर बेचैन, सब चोर हैं। इनके पास अपना मौलिक कुछ भी नहीं है।‘ मैं चुपचाप संतोषानन्‍द के चेहरे को देख रहा था, क्‍योंकि जिन कवियों के बारे में उन्‍होंने इतनी तल्‍ख टिप्‍पणी की वह न सिर्फ मेरे लिए आदरणीय हैं बल्कि साहित्‍य में रुचि रखने वाले तमाम युवाओं का रोलमाडल भी हैं।

 

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गुरुवार, अप्रैल 15, 2010     

शब्दों के अर्थ: करे अनर्थ

पड़ोस, याने दो घर छोड़ कर एक ग्रीक परिवार रहता है. मियां, बीबी एवं दो छोटी छोटी बेटियाँ. बड़ी बेटी ऐला शायद ४ साल की होगी और छोटी बेटी ऐबी ३ साल की.

अक्सर ही दोनों बच्चे खेलते हुए घर के सामने चले आते हैं और साधना (मेरी पत्नी) से काफी घुले मिले हैं. साधना बगीचे में काम कर रही होती है तो आस पास खेलते रहते हैं और यहाँ की सभ्यता के हिसाब से उसे साधना ही बुलाते हैं. आंटी या अंकल कहने का तो यहाँ रिवाज है नहीं. जब कभी मैं बाहर दिख जाता हूँ तो मेरे पास भी आ जाते हैं और गले लग कर हग कर लेते हैं.

इधर दो तीन दिनों से हल्का बुखार था और साथ ही बदन दर्द तो न दाढी बनाई जा रही थी और न ही बहुत तैयार होने का मन था इसलिए आज सुबह ऐसे ही घर के बाहर निकल पड़ा. सर दर्द के कारण माथे पर हल्की सी शिकन भी थी. आप कल्पना किजिये कि कैसा दिख रहा हूँगा.

 

flower

अपनी एक पुरानी कविता पुनः

शब्द
जब निकल जाते हैं
मेरे
मेरे होठों के बाहर
तो बदल लेते हैं
अपने मानी
सुविधानुसार
समय के
और परिस्थित के साथ

 

ताऊ की नजर से : श्री अरविंद मिश्र

>> Thursday, April 15, 2010

प्रिय ब्लागर मित्रों, इस वार्ता मंच पर मुझे देखकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा? असल मे शुरुआत से ही श्री ललित शर्मा का आग्रह था कि मैं उनके इस वार्ता मंच से वार्ता करूं. पर मुझे वार्ता करना सहज नही लगता और ना ही मैं इस काबिल हूं कि इस विधा के साथ न्याय कर पाऊं. अत: प्रत्येक गुरुवार को यह स्तंभ "ताऊ की नजर से" शुरु कर रहा हूं. जिसमे मैं आप में से ही किसी ब्लागर मित्र की मेरी पसंद की कुछ पोस्ट्स का जिक्र करुंगा और साथ ही कुछ एक दो छोटे से सवाल जवाब होंगे.
आशा है यह प्रयास आपको पसंद आयेगा. आईये इस स्तंभ की शुरुआत करते हैं श्री अरविंद मिश्र से
-ताऊ रामपुरिया

ताऊ से ब्लागिंग ज्ञान प्राप्त करता हुआ रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे"

ताऊ की चौपाल मे आपका घणा स्वागत सै भाई. इब भाई के सुणाऊं...मैं तो कलेवा करके हुक्का पीण लागरया था और म्हारा यो राम का प्यारा "रामप्यारे उर्फ़ प्यारे" मेरे सामने लेपटोप लेके बैठग्या और घणी जिद करण लाग ग्या और नू बोल्या - ताऊ मैं तो इस ब्लाग की दुनिया म्ह नया नया सूं और तू हो लिया पुराणा पापी..तो इब तू मन्नै जरा इसके बारे मे कुछ बता. इब मैं भी लेपटोप खरीद ल्याया और ब्लागिंग शुरु करुंगा.

 

Thursday, April 15, 2010

गब्बल थे बी खतलनाक इन्छान कताई मात्तर

लफ़त्तू की हालत देख कर मेरा मन स्कूल में कतई नहीं लगा. उल्टे दुर्गादत्त मास्साब की क्लास में अरेन्जमेन्ट में कसाई मास्टर की ड्यूटी लग गई. प्याली मात्तर ने इन दिनों अरेन्जमेन्ट में आना बन्द कर दिया था और हमारी हर हर गंगे हुए ख़ासा अर्सा बीत चुका था. कसाई मास्टर एक्सक्लूसिवली सीनियर बच्चों को पढ़ाया करता था, लेकिन उसके कसाईपने के तमाम क़िस्से समूचे स्कूल में जाहिर थे. कसाई मास्टर रामनगर के नज़दीक एक गांव सेमलखलिया में रहता था. अक्सर दुर्गादत्त मास्साब से दसेक सेकेन्ड पहले स्कूल के गेट से असेम्बली में बेख़ौफ़ घुसते उसे देखते ही न जाने क्यों लगता था कि बाहर बरसात हो रही है. उसकी सरसों के रंग की पतलून के पांयचे अक्सर मुड़े हुए होते थे और कमीज़ बाहर निकली होती. जूता पहने हमने उसे कभी भी नहीं देखा. वह अक्सर हवाई चप्पल पहना करता था. हां जाड़ों में इन चप्पलों का स्थान प्लास्टिक के बेडौल से दिखने वाले सैन्डिल ले लिया करते.

 

 

Thursday, April 15, 2010image

हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर ....

कुसुम कुमार, अरविंद कुमार

.........मोनिअर-विलियम्स के ज़माने में अँगरेज भारत पर राज करने के लिए हमारी संस्कृति और भाषाओं को पूरी तरह समझना चाहते थे, इस लिए उन्हों ने ऐसे कई कोश बनवाए. आज हम अँगरेजी सीख कर सारे संसार का ज्ञान पाना चाहते हैं तो हम अँगरेजी से हिंदी के कोश बना रहे हैं. हमारे समांतर कोश और उस के बाद के हमारे ही अन्य कोश भी हमारे दैश की इसी इच्छा आकांक्षा के प्रतीक हैं, प्रयास हैं

 

Wednesday, April 14, 2010image

नेहरु प्लेनिटोरियम मुंबई की सैर और तारों की छांव में हमारी नींद

    सपरिवार बहुत दिनों से कहीं घूमने जाना नहीं हुआ था, और हमने सोचा कि इस भरी गर्मी में कहाँ घूमने ले जाया जाये तो तय हुआ कि नेहरु प्लेनिटोरियम, वर्ली जाया जाये। पारिवारिक मित्र के साथ बात कर रविवार का कार्यक्रम निर्धारित कर लिया गया। बच्चों को साथ मिल जाये तो उनका मन ज्यादा अच्छा रहता है और शायद बड़ों का भी।

 

गुरुवार, १५ अप्रैल २०१०

ब्लागोत्सव -2010 की कला दीर्घा में पाखी की अभिव्यक्ति

आज का दिन खुशियों भरा दिन है। पहली बार ब्लॉग की दुनिया से जुड़े लोग ब्लागोत्सव मना रहे हैं। ब्लागोत्सव-2010 आज से आरंभ भी हो चुका है, जरुर जाइएगा वहाँ पर। वहाँ पर कला दीर्घा में आज अक्षिता(पाखी) की अभिव्यक्ति भी देखिएगा। इस उत्सव के इस सूत्र वाक्य पर भी ध्यान दें- अनेक ब्लॉग नेक ह्रदय।

जब पहली बार मैंने इस उत्सव के बारे में सुना था तो बड़ी उदास हुई थी की हम बच्चों के लिए वहां कुछ नहीं है। फिर मैंने इसके मुख्य संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी को लिखा कि- हम बच्चे इसमें अपनी ड्राइंग या कुछ भेज सकते हैं कि नहीं। जवाब में रवीन्द्र अंकल ने बताया कि अक्षिता जी! क्षमा कीजिएगा बच्चों के लिए तो मैने सोचा ही नही जबकि बिना बच्चों के कोई भी अनुष्ठान पूरा ही नही होता, इसलिए आप और आपसे जुड़े हुए समस्त बच्चों को इसमें शामिल होने हेतु मेरा विनम्र निवेदन है...देखा कितने प्यारे अंकल हैं रवीन्द्र जी। हम बच्चों का कित्ता ख्याल रखते हैं। अले भाई, जब बच्चे नहीं रहेंगे तो उत्सव कैसे पूरा होगा।

 

देख रहा हूं कि आप ये कटपिटिया अंदाज़ पसंद आ रहा है तो सोच रहा हूं कि इसे नियमित कर दिया जाए ……..>….क्यों क्या कहते हैं आप

बुधवार, 14 अप्रैल 2010

कुछ पोस्टें और पढिए …..( पोस्ट झलकियां ) ...झा जी कहिन

 

 

सोमवार, ५ अप्रैल २०१०

फिर सावन रुत की पवन चली ……………….महेन


आज हम एक और कलाकार का आगाज़ यहाँ करना चाहते हैं जोकि कम मशहूर हैं मगर उनकी चंद गज़लें हम दो दोस्तों को बेहद पसंद आयीं थीं और हमनें उनकी कैसेट मिलकर लम्बे अरसे तक तलाश की थीं। दरअसल मुन्नी बेगम मेरे दोस्त ने पहली बार मुझे सुनाई और खुद सुनी थी और एक दिन वह एकमात्र कैसेट टूट गई। जब दूसरी कैसेट ढूँढने निकले तो पता लगा कि Western कैसेट जिसने ये कैसेट भारत में लॉन्च की थी, बंद हो गई थी।

 

Monday 12 April 2010            image

मां रोती है

बेटा जब
रोटी नहीं खाता
तब
रोती है मां,
बाद में जब
बेटा रोटी
नहीं देता
तब रोती है मां ।
यह एक दोस्त के मोबाइल फोन में पढ़े गए एक सन्देश से प्रेरित है।

 

 

Wednesday, April 14, 2010   image

दरकने लगीं आस्था की दीवारें


डॉ. महेश परिमल
एक लम्बे विवाद के आद अंतत: सानिया मिर्जा शोएब मलिक की हो गईं। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि एक भारतीय युवती पाकिस्तानी बन गईं। पिछले एक पखवाड़े में इस शादी के पहले कई बवंडर आए। जिसका दोनों ने मिलकर सामना किया। पर अब हालात बदल गए हैं। इस बीच कई ऐसी खबरें आईं, जिसमें सानिया की सफलता से प्रभावित होकर जिन्होंने अपनी बेटियों का नाम सानिया रखा था, वे अब स्कूलों में यह आवेदन कर रहे हैं कि उनकी बेटी का नाम बदल दिया जाए। इसी तरह जिन्होंने अपनी संस्था का नाम सानिया के नाम पर रखा था, उन्होंने भी अपनी उसका नाम बदलकर साइना नेहवाल रख दिया है।

 

आज वह सॉरी बोलना चाहता है...image

नमिता जोशी Wednesday April 14, 2010

"उसकी आंखों  के नीचे इतने काले घेरे... वह तब तो कितनी सुंदर दिखती थी। बिल्‍कुल मनीषा कोइराला जैसी," उसने मुझसे कहा तो मैंने भी लाइट मूड में कह दिया कि कम ऑन यार, तुम 15 साल पहले की बात कर रहे हो। अब तो उसकी बेटी मनीषा कोइराला जैसी दिखती होगी।
"हां, पर यार मैं तो उसका दीवाना था... मैं ही क्‍या, क्‍लास के सारे लडके उसे अपना दिल दे बैठे थे और वह एक दिन अचानक हम सबका दिल तोडकर किसी आर्मी वाले से शादी कर गायब हो गई। अब दिखी है फेसबुक पर। जाने कहां-कहां नहीं ढूंढा उसे। माफी मांगना चाहता था..."

 

Wednesday 14 April 2010          image

विलियम बेंटिंक के उपरांत 1861 तक की न्याय व्यवस्था : भारत में विधि का इतिहास-63

विलियम बेंटिंक के बाद के गवर्नर जनरलों ने बेंटिंक की नीति का ही अनुसरण करते हुए न्याय व्यवस्था के मूल ढाँचे को यथावत बनाए रखा। 1836 में जातिगत भेदभाव पर अंकुश लगाते हुए स्पष्ट किया गया था कि कोई भी व्यक्ति जन्म और वंश के आधार पर कंपनी के न्यायालयों से मुक्त नहीं रह सकेगा। जन्म और वंश के आधार पर कोई भी व्यक्ति मुंसिफ, अमीन और सदर अमीन के पदों पर नियुक्ति के लिए योग्य या अयोग्य नहीं माना जाएगा।  इस के साथ ही ब्रिटिश प्रजाजनों के मामलों में कंपनी न्यायालयों द्वारा किए गए निर्णयों की अपील केवल सुप्रीम कोर्ट में किए जाने का नियम  भी समाप्त कर दिया गया। इस तरह कंपनी न्यायालयों का स्तर उन्नत ही नहीं किया गया उन्हें स्वायत्तता भी प्राप्त हो गई। 

 

 

सिर्फ एक बार !         image

 

Posted by Pratik Maheshwari at १२:५० AM

काफी दिन हो गए कुछ लिखे हुए.. आपसे गुफ्तगू किये हुए.. काफी व्यस्त था नौकरी की खोज में और आखिर में मैं भी बाबू बन ही गया.. आप सभी की दुआ के लिए शुक्रिया..
मैं कभी भी सोच कर नहीं लिखता हूँ.. कभी मेरे आस-पास कुछ होता है तो लिखता हूँ.. यूँ कहें कि लिखते-लिखते सोचता हूँ और सोचते-सोचते लिखता हूँ..
पहली नौकरी लगी है और यह ख़ुशी शायद ही किसी दूसरी ख़ुशी से बढ़कर हो.. घरवाले भी खुश और हम तो ५० गुना ज्यादा खुश उनको देख कर.. मेरे काफी दोस्तों को भी नौकरी मिल चुकी है और अब बस महिना भर और रहता है जब सब अपने-अपने रास्ते इस ज़िन्दगी की दौड़ में शामिल हो जाएँगे जहाँ कोई किसी का भाई, दोस्त, यार नहीं होता है.. यह कातिल ज़माना है.. आप कमज़ोर पड़े, आप मारे गए..

 

मंगलवार, १३ अप्रैल २०१०       प्रियंका भारद्वाज

जय झूठ बाबा की .......

गोली देना , कैप्सूल देना ,झूठ बोलना न जाने क्या क्या नाम है , पर ये सब है बड़े कमाल की चीज़......पर दोस्तों गोली देते देते परेशान हो गए है, पर क्या करे झूठ बोलना मज़बूरी हो गयी है .... सच कोई सुनना ही नहीं चाहता... चाहे दोस्तों को वक़्त पे पहुचने की गोली दे या ऑफिस में बॉस को काम पूरा करने की गोली ..... हालत ये हो गए है की एक दोस्त ने तो महान गोलीबाज का अवार्ड भी दे दिया है .... ये भाई साहब ऐसे थे जो आठ बजे पहुचने का वादा कर पहुचते थे दस बजे .... आज काम पूरा हो जाएगा बोल ...गायब हो जाते थे

 

सोमवार, १२ अप्रैल २०१०

सरकार को कौन बर्खास्त करे

- नरेश सोनी -
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने सोमवार से राज्य की डॉ. रमन सिंह सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इससे पहले उसने अपनी ही पार्टी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार से मांग की थी कि इस सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए। हालांकि केन्द्र सरकार ने इस मांग को सिरे से इस आधार पर खारिज कर दिया था कि नक्सल विरोधी अभियान केन्द्र की अगुवाई में ही चल रहा है। बावजूद इसके यदि कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को बर्खास्त करने और जनमत तैयार करने के उद्देश्य से अभियान शुरू कर दिया है तो इसे सीधे-सीधे पार्टी हाईकमान के खिलाफ खोला गया मोर्चा कहना अतिशंयोक्तिपूर्ण नहीं होगा।

 

आईपीएल और ट्विटर !      image

 

April 13, 2010

दीपिका राय की कलाकृतियाँ

दीपिका राय की कलाकृतियाँ -

deepika roy

deepika roy (2)

 

14 April 2010

वैसाखी का मेला

नमस्कार बच्चो ,
आपको पता है आज कौन सा दिन है ?....आज है बैसाखी पर्व पंजाब का एक सुप्रसिद्ध त्योहार । आज हम आपको बताएंगे कि यह त्योहार मनाने के पीछे क्या मान्याताएं हैं और यह त्योहार कैसे मनाया जाता है ।

वैसाखी का लगा है मेला

खुश सारे क्या गुरु क्या चेला

आओ सुनाऊँ पुरानी बात

वैसाखी का है इतिहास

सिख धर्म के दश गुरु थे

 

दैनिक जागरण में 'प्रेम रस'

 

Wednesday, April 14, 2010  image

कितने तो उन मयखानों में रात गुजारा करते हैं....

पशे चिलमन में वो बैठे हैं हम यहाँ से नज़ारा करते हैं

गुस्ताख हमारी आँखें हैं आँखों से पुकारा करते हैं

कोताही हो तो कैसे हो, इक ठोकर मुश्किल काम नहीं 

मेरी राह के पत्थर तक मेरी ठोकर को पुकारा करते हैं

 

Tuesday, April 13, 2010image

मेरे रात के साथी

रात तारों से बतियाने का मौका मिल आया,
हर एक के हालात जानने का समाँ आया ।
मेरी तन्हाई में जो इकट्ठे शरीक हो आये थे,
उन्हें हाल-ऐ-दिल अपना दिखाना रास आया।

 

Tuesday, March 23, 2010   image

आतंकवाद की समस्या का समाधान

आतंकवाद से सारी दुनिया जुझ रही है| आतंकवाद एक विश्व व्यापी समस्या बन गयी है और इसकी जड़े सारे ससार में फैलती जा रही हैं| दरअसल आतंकवाद प्राचीन काल से ही इस संसार में एक बड़ी समस्या के रूप में विद्यमान रहा है| इस समस्या के निदान के लिए भगवान राम का चरित्र याद आता है| भगवान राम को उनके सुख-समृद्धि पूर्ण व सदाचार युक्‍त शासन के लिए याद किया जाता है। उन्‍हें भगवान विष्‍णु का अवतार माना जाता है| जो पृथ्‍वी पर मनुष्‍य रूप में असुर राजा, आसुरी आतंकवादी रावण से युद्ध लड़ने के लिए आए। उनका राम राज्‍य अर्थात राम का शासन शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है।

 

मथुरा से लौटकर.....   image
 

कहानी रामदास से शुरू नहीं होती है फिर भी कर रहा हूं।रामदास..ये जनाब बिल्कुल नहीं चाहते थे कि महुआ न्यूज की ओबी वैन वृंदावन की संकरी गलियों में कहीं फिट हो जाए और हम लाइव देने के अपने मंसूबे में कामयाब हो जाएं। बिल्कुल भी नहीं। दरअसल होली वाले दिन हमें वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर से ही लाइव करनी थी और उसके ठीक एक दिन पहले हम होली गेट पर होलिकादहन कवर कर रहे थे।लिहाजा ओबी को रात 12 के करीब होली गेट से हमने मूव कराया।पहले ही लगा था कि ओबी को जगह नहीं मिलेगी।जी न्यूज की दो ओबी के पीछे महुआ न्यूज की ओबी लगी तो लेकिन ट्रैक करने में दिक्कत आ गई।सो हमने पास ही एकमात्र बड़े मकान के दरबान रामदास से बिनती की

 

Tuesday, 13 April 2010    image

चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रहित में जारी(एक व्यंग्य आवेदन पत्र)----->>>दीपक 'मशाल'

एक मित्र द्वारा भेजे गए भविष्य के चुनावों के लिए लोकसभा प्रत्याशी के लिए आवेदन पत्र-

लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशी के लिए आवेदन पत्र

१- आवेदनकर्ता का नाम-    ___________________________________________________________

२-वर्तमान पता-

    जेल का नाम-                 ___________________________________________________________

    कोठरी क्रमांक-                ___________________________________________________________

३- राजनीतिक दल का नाम-

(कृपया अपनी पिछली पांच पार्टियों के नाम समय के साथ क्रमानुसार लिखें)

 

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उसने भिखारी से आठ आने का आटा खरीदा था         

मेरा बचपन महाराष्ट्र के भंडारा नामक कस्बे में बीता है । यह किस्सा उन दिनों का है जब मेरी उम्र 15 -16 साल रही होगी । मेरे पड़ोस में मेरा मित्र भगवान रहाटे रहा करता था । भगवान से छोटी एक बहन थी और एक छोटा  भाई । भगवान के पिता उसके बचपन में ही दुनिया छोड़ गये थे और माँ बीड़ी बनाकर पूरे परिवार का गुज़ारा करती थी । मेरी और भगवान की बहुत गहरी दोस्ती थी ।  वह रोज़ शाम मेरे घर आ जाता था । फिर हम दोनो अपने एक और मित्र नईम खान के यहाँ जाते । फिर हम तीनों भंडारा की सड़कें नापने निकल जाया करते  । रास्ते भर हम लोगों की बातचीत चलती रहती . डॉ.आम्बेडकर  का जीवन उनके जीवन की प्रमुख घटनायें ,महाड़ सत्याग्रह , नाशिक सत्याग्रह , पूना पैक्ट , यह सब पहले पहल उसीसे जाना था मैने

 

 

आज के लिए इतना ही , उम्मीद है कि आपको ये झलकियां और उससे अधिक पोस्टें भी पसंद आएंगी…………

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