हिंदी ब्लॉगर मिलन के लिए अब एक कुंभ स्थल का शक्ल ले चुकी राजधानी दिल्ली ने एक बार फ़िर से तैयारी कर ली है एक मिलन , नहीं नहीं महामिलन की । जैसा कि सभी हिंदी ब्लॉगर मित्र जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से हिंदी ब्लॉग लेखन , ब्लॉग पोस्टों , और हिंदी ब्लॉगर्स पर ब्लॉगर श्री रविंद्र प्रभात जी अपनी पैनी नज़र बनाए हुए हैं । वे विगत वर्षों में न सिर्फ़ हिंदी ब्लॉगिंग का वृहद विश्लेषण करते रहे हैं बल्कि पिछले वर्ष परिकल्पना महोत्सव का आयोजन अंतर्जाल पर करके उन्होंने जैसे पूरे ब्लॉगजगत को एक सूत्र में बांध दिया । अब एक नई परंपरा को स्थापित करते हुए और एक एतिहासिक पहल करते हुए परिकल्पना महोत्सव में भाग लेने वाले सभी ब्लॉगर बंधुओं के साथ ही अन्य बहुत सी ब्लॉग प्रतिभाओं को कल यानि शनिवार ३० अप्रैल ,२०११ को , नई दिल्ली के आई टी ओ चौराहे के पास स्थित हिंदी भवन में आयोजित किए जाने वाले एक भव्य समारोह में सम्मानित किए जाने का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है । श्री रविंद्र प्रभात जी के साथ ही नुक्कड डॉट कॉम के संचालक एवं हिंदी ब्लॉगिंग की नेटवर्क रीढ कहे जाने माने जाने वाले श्री अविनाश वाचस्पति जी ने भी हिंदी साहित्य सदन के साथ मिलकर ब्लॉग प्रतिभाओं को सम्मानित करने की योजना बनाई है । इन सम्मानों की सूचना एवं सम्मानित ब्लॉगरों की सूची यहां देखी जा सकती है ।
इस समारोह में न सिर्फ़ हिंदी ब्लॉगर्स को सम्मानित किए जाने का कार्यक्रम है बल्कि हिंदी ब्लॉगिंग पर लिखी एवं संपादित की गई दो पुस्तकों का लोकार्पण , न्यू मीडिया के विभिन्न आयामों पर संगोष्ठी , कई साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं एवं हिंदी साहित्य के पुस्तकों के लोकार्पण की भी योजना है ।
सबसे खुशी की बात ये है कि इस कार्यक्रम में शिरकत के लिए न सिर्द देश भर से बल्कि , बहुत सारे मित्र साथी विदेश तक से आने की सहमित जता चुके हैं । और इस पोस्ट के लिखे जाने तक बहुत सारे मित्र ब्लॉगर्स दिल्ली पहुंच चुके हैं और बहुत अपनी यात्रा शुरू कर चुके हैं । छत्तीसगढ से तो हिंदी ब्लॉगर्स का एक पूरा प्रतिनिधिमंडल ही इस ब्लॉग महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाने आ रहा है । तो आप सभी जो भी हिंदी अंतर्जाल से जुडे हुए हैं , हिंदी लेखन पठन से स्नेह रखते हैं , आप सब भी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं । आईये दिल्ली , दिल्ली के दिलवाले और हिंदी के तमाम सेवक आपका स्वागत करते हैं ...हम बाहें फ़ैलाए आपसे मिलने को आतुर हैं इस उम्मीद में कि जीवन में कम से कम एक बार गले मिलने के इस अवसर को न तो आप गंवाना चाहेंगे न ही हम