यूँ तो सबका समय एक सा नहीं रहता और आनी जानी तो दुनिया की रीत है ही इस लिहाज़ से यदि एक समय पर दुनिया भर में समानांतर पत्रकारिता की सूत्रधार बनी ब्लॉग्गिंग जिसने और जिसमें लिखे कहे देखे गए सच ने कई देशों के तख्ता पलट तक कर दिए थे। वहीँ से मुख्य पत्रकारिता को एक सीधी स्पष्ट चुनौती मिलनी शुरू हुई थी। ब्लॉग्गिंग उन दिनों तीखे सच को सीधा सबके सामने जस का तस रख देने के कारण सबसे धारदार और प्रभावी प्लेटफॉर्म बन गया था।
उन दिनों अंतर्जाल पर हिंदी में लेखन तो दूर की बात , पढ़ने को भी अधिकाँश सामग्री अंग्रेजी भाषा में ही मिलती व दिखती थी। फिर हिंदी ब्लॉग्गिंग की शुरुआत , दखल और बढ़त ने धीरे धीरे हिंदी अंतर्जाल पर देवनागरी की सामग्री को बढ़ाने में खूब बढ़ चढ़ कर योगदान दिया।
इतना ही नहीं स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय समाचार पत्रों तक ने ब्लॉग पोस्ट को स्थान देना शुरू किया और पत्रकारिता सहित विभिन्न क्षेत्रों से खिलाड़ी अभिनेता राजनेता आदि भी ब्लॉग लेखन में आ गए। इनमें से मनोज बाजपेयी , अमिताभ बच्चन और रवीश कुमार अपने ब्लॉग लेखन को लेकर काफी चर्चित रहा करते थे।
ब्लॉग लेखन पठन का ये सिलसिला तेज़ी से आगे बढ़ा नए नए लेखक और पाठक रोज़ जुड़ते गए , जल्दी ही न्यू मीडिया का एक हिस्सा बन कर उभरा ब्लॉग मुख्य मीडिया को अखरने भी लगा क्योंकि यहां बना किसी रोक टोक के बिना काट छांट के सब कुछ जस का तस लिखा पढ़ा जा रहा था । हर विषय , हर मुद्दे , पर हर क्षेत्र के लोग ब्लॉग लेखन करने लगे ।
यात्रा ,कुकिंग , कानून , समाचार ,हास्य , साहित्य ,अनुवाद सभी विधाओं में खूब सारा लेखन किया जाने लगा जो अब तक ब्लॉग्स पर मौजूद है।
पोस्ट लंबी होती जा रही है , शेष बातें अगले पोस्ट में
आप लिख रहे हैं क्या ब्लॉग , पढ़ भी रहे हैं या नहीं ???