कुछ लोग यहाँ पर आजकल,
गजब की हिम्मत (हिमाकत )दिखा रहे हैं,
हिंदी में कर रहे हैं ब्लॉग्गिंग,
और हिंदी ब्लॉग्गिंग को ही गरिया रहे हैं,
पोस्ट , दो-चार लाइन की ठेल कर,
किसी को भड़का, किसी को उकसा रहे हैं,
लोग पढें ,पसंद करें, और टिपियाएँ भी,
सबसे यही अपेक्षा लगा रहे हैं,
टिप्पियाँ भी हाँ जी वाली तो ठीक, नहीं तो,
मोडरेशन के बहाने ,,उड़ा रहे हैं...
सिर्फ वही करते हैं, गंभीर लेखन,
ऐसा बार -बार जता रहे हैं.....
खुद की चर्चा नहीं हो कहीं, या की कोई करे आलोचना,
बस वहीं,,उबल उबल कर टिपिया रहे हैं...
समझ नहीं आता जब हिंदी ब्लॉग्गिंग इतनी ही गंदी है,
तो क्यूँ अपनी कलम यहाँ चला रहे हैं...
हमें तो उनका अंदाज पसंद न आया, जिस थाली में खाया,
खुद खा खा कर, उसी में छेद बना रहे हैं....
आप सब भी समझ गए होंगे ही,
और वो भी ,जिनके लिए इतना लिखे जा रहे हैं..
आम तौर पर मैं इस तरह की बातें नहीं लिखा करता..मगर पिछले कुछ दिनों से देख पढ़ रहा हूँ की कुछ लोग यहाँ सिर्फ नकारात्मक बातें ही कर रहे हैं..कारण वे ही बेहतर जाने.....यदि आलोचना करनी ही है...तो फिर पूरे तर्क के साथ और स्वस्थ अंदाज में कीजिये....अजी किसी पर उंगली उठाना तो सबसे आसान काम है..हो सकता है हिंदी ब्लॉग्गिंग में अभी बहुत सी कमियां हों मगर इन्हें दूर करने के लिए आसमान से कोई उतरेगा नहीं......ज्यादा नहीं कहना चाहता..मुझे हिंदी ब्लॉग्गिंग पसंद है..और इसके लिए किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं लगती....
गजब की हिम्मत (हिमाकत )दिखा रहे हैं,
हिंदी में कर रहे हैं ब्लॉग्गिंग,
और हिंदी ब्लॉग्गिंग को ही गरिया रहे हैं,
पोस्ट , दो-चार लाइन की ठेल कर,
किसी को भड़का, किसी को उकसा रहे हैं,
लोग पढें ,पसंद करें, और टिपियाएँ भी,
सबसे यही अपेक्षा लगा रहे हैं,
टिप्पियाँ भी हाँ जी वाली तो ठीक, नहीं तो,
मोडरेशन के बहाने ,,उड़ा रहे हैं...
सिर्फ वही करते हैं, गंभीर लेखन,
ऐसा बार -बार जता रहे हैं.....
खुद की चर्चा नहीं हो कहीं, या की कोई करे आलोचना,
बस वहीं,,उबल उबल कर टिपिया रहे हैं...
समझ नहीं आता जब हिंदी ब्लॉग्गिंग इतनी ही गंदी है,
तो क्यूँ अपनी कलम यहाँ चला रहे हैं...
हमें तो उनका अंदाज पसंद न आया, जिस थाली में खाया,
खुद खा खा कर, उसी में छेद बना रहे हैं....
आप सब भी समझ गए होंगे ही,
और वो भी ,जिनके लिए इतना लिखे जा रहे हैं..
आम तौर पर मैं इस तरह की बातें नहीं लिखा करता..मगर पिछले कुछ दिनों से देख पढ़ रहा हूँ की कुछ लोग यहाँ सिर्फ नकारात्मक बातें ही कर रहे हैं..कारण वे ही बेहतर जाने.....यदि आलोचना करनी ही है...तो फिर पूरे तर्क के साथ और स्वस्थ अंदाज में कीजिये....अजी किसी पर उंगली उठाना तो सबसे आसान काम है..हो सकता है हिंदी ब्लॉग्गिंग में अभी बहुत सी कमियां हों मगर इन्हें दूर करने के लिए आसमान से कोई उतरेगा नहीं......ज्यादा नहीं कहना चाहता..मुझे हिंदी ब्लॉग्गिंग पसंद है..और इसके लिए किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं लगती....
आपकी बात बिल्कुल सही है, हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है, फिर उसका उपयोग हम ब्लॉगिंग में करें, या बोलचाल में करे, हर तरह से यह भाषा हमारे लिये सम्मान का विषय है । सच्ची बात कहने के लिये बधाई, व समर्थन ।
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएंshastri ji baat kar rahe ho .unka kam hi yahi hai logo ko uksaane ke liye ghatiya lekh likhna fir tippani ka rona rona .
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग में केवल एक गुट है जो ब्लोगिंग का नास कर रहा है वो है ताऊ ओर उसके चेलो का गुट .फूहड़ पहेलिया ,एक दूसरे के इंटरव्यू ,एक जात को बढ़ावा .
जवाब देंहटाएंaisaa hai benami jee...aap bhee apnaa teer maar lein...magar asleeyat mein..jo main keh rahaa hoon ..wo der sawer sabkee samajh mein aa hee jaaegaa..aur rahi shashtri jee kee baat to..unkaa main samman kartaa hoon...aap dobara padhein..shaayad fir kuchh naya mile....aur haan ye anaam kyun ..are saamne aaiye aur khul kar baat karte hain...
जवाब देंहटाएंjha sahab
जवाब देंहटाएंaap shareef aadmi hai isliye nahi jaante ,mai khulkar teen bar pahle aa chuka par ye log mushkil kar dete hai .shastri to keval naam ka bhookha hai .par tau ko aap lagatar das din watch karo .kahan tippani karta hai ,kisko karta hai .aurto ko kaise makhhan maarta hai .samjh jaayoge
pata nahin mitra ..magar mujhe lagtaa hai ki yadi aapko inse koi shikaayat hai to ..nischit roop se unke yahaan karnee chaahiye..ya fir ek alag post par..jab aap itnaa keh hee rahe hain to main bata doon ki ye ..kam se kam un dono mein se kisi ke liye nahin likha gaya hai..
जवाब देंहटाएंझा साहब मुझे पता चला है कि ताऊ ने बेनामी की भैंस खोल ली है। मैं उन्हें कह दूंगा कि वे वापिस बांध दें। पर जब ताऊ इसकी भैंस खोल रहे थे तब भी बेनामी बेनामी ही रहा। सामने नहीं आया। क्यों ? क्या इसके जवाब भी पहेली में मांगे जाने चाहिए। अगर मांग लें तो शायद ये खुश हो जाएं। पर असली खुशी तो दूसरों की खुशी में होनी चाहिए न कि दूसरों के दुख में खुशी तलाशी जाए। आप भैंस बेच दें और मदर डेयरी से दूध लिया करें, मेरी सलाह है। इसकी जिम्मेदारी ताऊ जी की ही है।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी अगर नाम के भूखे हैं तो बेनामी ने तीन बार इतना नाम कमाया है कि उनकी नाम की भूख मर गई है।
इसमें दोष किसका है। मैं तो कहूंगा कि शास्त्री जी का है।
कमजोरी तो इन्होंने अपनी बतलाई है पर नाम ताऊ का ले दिया है। अपनी अपनी फितरत है। इन्हें बेनामी होने की लत है। सामने आयें और मुकाबला करें। मुकाबले से कभी न डरें। इसमें दोष डर का है इनका नहीं।
डरना अच्छी आदत नहीं है। डराना भी नहीं। आएं और मिलें। ऊंगली न उठाएं, न दिखाएं। सिर्फ कीबोर्ड दबाएं ऊंगलियों से। फिर आनंद आएगा। मन का जहां खिल जाएगा। यह सफर अच्छा नहीं लगता है क्यों ?
अजय झा जी बढिया तुकबंदी किये हैं। बेनामीजी लगता है बहुतै नाराज हैं शास्त्रीजी और ताऊजी से। ऐसा अच्छा नहीं न होता है जी।
जवाब देंहटाएंआपकी बात बहुत हद तक सही है.....परन्तु इसका समाधान यही है कि अपने प्रयासों को हम सतत सकारात्मक दिशा में लगाये रहें.....
जवाब देंहटाएंajay jee ye kyaa kar rahe hain are aap kyon aise jhanjhat me padate hain abhi ek blog par itana jhagada ho chukaa hai kahin ye blogging ladaai kaa akhaadaa to nahin ban rahee sab apanaa apanaa kaam karo koi kyaa karta hai karne do aap to bas vyang hee likhiye padh kar computer par man lag jaataa hai boriat nahin hoti vaise tukbandi achhi lagi
जवाब देंहटाएंअरे ...का बताएं...अविनाश भाई..शुकल जी....ई ट्रेजडी ..ससुर हमरे साथ ही होता है..चलाये कहीं थे तीर ..आ पता नहीं किसको लग गया...देखें ..उनको कब लगता है jinke लिए etna likhe हैं....
जवाब देंहटाएंजाने भी दो... कर्म किये जाओ..
जवाब देंहटाएंjaane do .......karma kiye jawo
जवाब देंहटाएंतीर से न तलवार से
जवाब देंहटाएंलडिये शब्दों के बाण से..
अजय जी आप के तीर सही स्थान पर ही लगे है, तभी तो यह अनामी जी बन कर अपने आप को साफ़ सुथरा दिखा रहा है, ओर ताऊ ओर शास्त्री जी पर ऊगली उठा रहा है, अब ताऊ ओर शास्त्री जी भी समझ गये होगे कि यह अनामी/अनामिका जी कोन है.
जवाब देंहटाएंअजय जी आप का तीर बिलकुल सही निशाने पर लगा, मै भी काफ़ी समय से इस बारे लिखना चाहता था, लेकिन मुझे शव्द नही मिल रहे थे.
ओर रही ताउ जी ओर शास्त्री जी की बात तो वो आप से नारज नही होगे, क्योकि उन्हे भी पता है यह अनाम/ अनामिका जी कोन है??
धन्यवाद
nirmala jee andaaj to mera bhee ye nahin hai......magar kya karun jab koi hindi kee..apne is desh kee..apne shahar kee buraai..aur sirf buraai karta hai aur kartaa hee rahtaa hai to kabhi kabhi kuchh aisaa nikal hee jata hai..chaliye aage se vaisa hee hogaa jaisaa aap log chaahenge...
जवाब देंहटाएंहम तो आपकी लेखनी की धार से डरे जा रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंसच्ची बात कही आपने । आभार ।
अजय जी वैसे इतने दिन क्या हुआ हम नही जानते पर रंजना और निर्मला जी की बात से सहमत है ।
जवाब देंहटाएंशायद ये महारथी लोग हिंदी ब्लॉग्गिंग को सुधारे बिना मानने वाले नहीं. :)
जवाब देंहटाएंBlogging ke star par bicharne ke liye kai senior pade hue hain, aap jaisi yuva pratibhaon ko to sirf creativity par dhyaan dena chahiye.
जवाब देंहटाएंअभिषेक भाई...हिंदी ब्लॉग्गिंग की दिशा और स्तर....ये बातें तो मैंने कही भी नहीं हैं..और जानता हूँ की ये वक्त के साथ ब्लोग्गेर्स खुद ही तय कर लेंगे...मैंने तो बस उस बात का प्रतिकार करना चाहा है ..जो हिंदी ब्लॉग्गिंग के लिए एक हिंदी ब्लॉगर ने ही कही...कोई दूसरी भाषा का ब्लॉगर कहता तो ..जरूर बहस भी कर लेते...और मैंने तो बस अपने मन की बात कही है...कष्ट हुआ...सो लिख दिया...किसी का अपमान ..मेरा चरित्र नहीं ..आदत भी नहीं..ये सिर्फ उनके कानो तक पहुचाने के लिए था ..जो सचमुच ऐसा कर रहे हैं...वक्त पड़ा तो सब कुछ मिनटों में साबित हो जाएगा...
जवाब देंहटाएंJANE BHI DO YARO
जवाब देंहटाएंदूसरों को छोड़िये। आप अच्छी अच्छी चिट्ठियां लिखिये।
जवाब देंहटाएंबहुत जरुरी था इस विषय में लिखना. आपका साधुवाद. जहाँ निशाना लगाया था वहाँ तो जरुर पहुँचेगा मगर रास्ते में और कोइन को बेध जाये, कह नहीं सकते. हमारे यहाँ कहते हैं कि काना हो तो कौंच जाये...तो कौंचने दो. आपने मस्त काम किया है, मित्र. जय हो!!
जवाब देंहटाएंअजी जाने भी दीजिये ...और भी बहुत कुछ है लिखने के लिए ..यह सब छोडिये, अपनी लेखनी पर ध्यान दीजिये .किसी के कहने या लिखने से कोई छोटा -बड़ा नही होता
जवाब देंहटाएंचलिए छोड़ दिया ....हाय ..पता नहीं ..उस संगदिल सनम तक ...पैगाम पहुंचा या नहीं..या बस पूरी बस्ती ही पढ़ गयी हमारे दर्द ए दिल की दास्ताँ....मेहरबान कब आओगे....मुझे पता है ...नहीं आओगे...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक.........
जवाब देंहटाएंआपकी पूरी रचना पढी. और हम इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि यह पूरी रचना ही हिंदी ब्लागिंग की देन की रचना है. वैसे बेनामी बनकर एक तीर से दो बढिया निशाने साधे हैं. शाबाश.
जवाब देंहटाएंझा जी, कह चुके?
जवाब देंहटाएंअब हमारी सुनिये।
शांति से इतना ही कहना चाहते हैं कि हम समझ गये हैं कि इस रचना की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली।
:-)
झा जी,, बढ़िया रहा... सही चोट की है.
जवाब देंहटाएंभई मामला कुछ ज्यादा ही उलझा हुआ लगता है......वैसे आपकी रचना साधुवाद की अधिकारिणी है।
जवाब देंहटाएंझा श्रीमान
जवाब देंहटाएंआप हैं बडे महान
हमने अब फ़ुरसत से
पूरा मामला देखा
आप तो निकले महा चालू
एक के बदले दो दो आलू
आपके ब्लाग पर
बेनामी टिपणी की
नही है सुविधा
फ़िर बेनामी टिपणी कैसे हुई?
प्रथम दृष्टया पाया गया कि
आपने खुद ही आपकी भडांस
बेनामी टिपणी करके निकाली है
यानि झा बनाम बेनामी
वैरी स्मार्ट...
यानि आपने खुद ने ही
आप थोड़ी देर से पहुंचे..दरअसल जब मैंने देखा किस अनाम भाई/बहन ..लगातार अपना स्नेह शास्त्री जी के प्रति दिखा रहे हैं तो मजबूरी में मुझे ये करना पड़ा..और यकीन माने जिस दिन मुझे अनाम बनके टिपियाने की जरूरत पड़ी...मैं उससे पहले ब्लॉग्गिंग छोड़ दूंगा....मगर ऐसा होगा नहीं..वैसे आपको ये सब जांचने की जरूरत क्यूँ पड़ी...
जवाब देंहटाएंअरे ब्लॉग वकील साहब आप तो बेनामी के भाई निकले..आपके ब्लॉग का तो खुद ही कोई पता नहीं है....२००९ से हैं मगर प्रोफाईल दृश्य ..सिर्फ सात बार....क्या चक्कर है महाराज..हम भी कोर्ट वाले हैं भाई...हमसे कैसा शर्माना..
जवाब देंहटाएंअजय जी आपका ये पोस्ट बहुत बढ़िया लगा और बिल्कुल सही कहा है आपने! पर मैं ये मानती हूँ कि किसीके कहने या करने से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए बल्कि हमें अपनी लेखनी पर ध्यान देना चाहिए ! हिन्दी तो हमारी राष्ट्रभाषा है और मैं बहुत गर्व से ये बात कहती हूँ और इस भाषा का सम्मान करती हूँ! सभी हिन्दी ब्लोग्गेर्स को मेरी तरफ़ से शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने -ऐसे संस्कारहीनों और कृतघ्नों का क्या कहियेगा जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं और समाज को एक अपसंस्कृति का एक बदनुमा चेहरा दिखाते हैं ! धिक्कार है !
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लागिंग अमर है !
अजय सही लिखा है, पर ये क्या कुछ तो बिल्कुल पीछे ही पड़ चुके हैं आपके। भई बेहतर तो सब के लिए ये होगा कि दूसरे के ऊपर दोष मढ़ने से तो ये बेहतर होगा कि ब्लॉगिंग करें और कुछ नहीं। बेनामी जी दूसरा क्या कर रहा है वो ना देखो, आप क्या कर रहे हो वो दूसरों को दिखाओ पर छुप कर वार ना करो। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है ..जिसने जो कहना है कहता रहे ,लिखने वाले लिखते रहेंगे .आपने इस विषय पर बिलकुल सही लिखा है ..
जवाब देंहटाएंजब मैंने ये उपरोक्त पंक्तियाँ लिखी थी तो वो एक गुस्से की तरह था..जो मुझे उन पर आया था जिन्होंने जाने अनजाने हिंदी भाषा का न भी नहीं तो हिंदी ब्लॉग्गिंग पर कटाक्ष किया था....मेरी किसी से भी कोई निजी अदावत नहीं है ..न ही मेरा उद्देश्य किसी का अपमान करना होता है कभी भी...मगर दिल ने जो कहा ..मैंने लिख दिया...बहाने से हमेशा की तरह बहुत से लोग बहुत सी भडास निकाल गए..और बहुत लोग समझ भी गए की मैं कहाँ , क्या कहना चाह रहा हूँ....जिन्होंने भी टिप्प्न्नी की मैं उनका आभारी हूँ की उन्होंने अपने अपने विचार रखे...और न तो मैं किसी की टिप्प्न्नी हटाने जा रहा हूँ .....न ही ब्लॉग्गिंग छोड़ कर भागने वाला हूँ.....हाँ शायद कुछ बातों को ध्यान में रखना सीख गया हूँ........
जवाब देंहटाएंबढिया व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंहमनें कयास लगाने की कोशिश की और कुछ अनुमान भी लगे । पर कन्फ़र्म नहीं हो पाये कि यह इशारा किसकी तरफ़ है ।
जवाब देंहटाएंजो भी हो आपने छंद बहुत बढिया बनाया है ।
इतना जरूर कहना चाहते हैं की अनाम टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करना चाहिये । इससे भ्रम फ़ैलता है । अनाम क्यों ? कोई देशद्रोह का मुकदमा तो चलाया जाने वाला नहीं है । नाम भी ना खराब हो और काम भी हो जाये ।
जवाब देंहटाएंऎ झा जी, तनि हमरो सूनीयेगा । बतवा त आप ठीकै कहते हँय लकीन ई बुझौव्वल से कोन फ़ायदा ?
ऎतना ज़ुलुम बात सब अथिया घुमाफिरा कर होगा, त लटपटा न जायेगा जी ।
ज्ञान त हमको मील हि गया, बकिया लोग त फेरा में पड़ न गये जी ।