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बुधवार, 21 अक्टूबर 2009

ब्लोगजगत का आईना : चर्चा दो लाईना (चिट्ठी चर्चा )

शुकल जी ने जब चिट्ठा चर्चा की शुरूआत की होगी ,.तो जरूर ही ये उनके बहुत से धमाकेदार आडिईया में से एक होगा..महेन्द्र भाई ने इसे साप्ताहिकी का रूप दिया...हमने भी हंसते खेलते जो बन पडा ठेल दिया..और अब तो आदत बन गयी है..अब चच्चा टिप्पू जी ने और पंकज जी ने ये कारवां और भी लंबा कर दिया ..और अब तो टीम लगातार बढती ही जा रही है । यानि कुल मिला कर मौजां ही मौजां...अब विकल्पों की कमी नहीं रहेगी और न चर्चा मंचों की। मुझे बहुत ही खुशी हो रही है..कि जो अलख जगी थी अब वो रौशन हो रही है। अब सोचता हूं कि ..जब नियमित चर्चाएं आ ही रही हैं तो एक नए प्रयोग के रूप में आपको उन चिट्ठों, पोस्टों से रूबरू कराया जाए जो अनछुए से रह जाते हैं......तो तैयार हैं न आप फ़िर एक नए प्रयोग के लिये.........


ब्लोग ऐग्रीगेटर्स की खुल गई इक नयी नगरी,


हम काहे लें इतना टेंशन, ले वो, जिसका है...॥


दि्ल्ली में शादी, किसी झमेले से नहीं होती कम,


आप भी हंसते हंसते ,पकड लेना पेट...॥



देखिये न चर्चा कितनी आ रही निखरकर॥



हे झगडा झंझट वालों , तुम तो भैया पास ना आओ ॥



इन यक्ष प्रश्नों से कब तक आखिर बचेगा ये समाज ॥



अब टेलिविजन पर भी आएगी ब्लोग्गिंग की बारी॥



आप जरूर ही पढिये इसे, हमरा है निवेदन॥



आपके तो ठाट हैं जी खूब सारी चर्चायें पढा किजीये,


और हिंदी ब्लोग्गर्स की मालगाडी को भी अपनायें॥


तुम तक पहुंचने से पहले, कहो और कहां पहुंचा जाए,



ऐसे सवाल जवाब से ही तो है ताऊ लाजवाब॥


अरे आपको सिर्फ़ पंसद है करना, पैसा नहीं है देना॥


हर रोज अपनी अदा से चौंकाने की ठानती हूं॥


दिल टूटने से बढ जाती हैं दिलों की दूरियां ॥



मिसर जी राम जी उजागिर कथा रहे हैं बांच,


एक तरफ़ मकान मालिक, एक तरफ़ किराएदार,



मटुक जूली तो पहले ही एक इतिहास रच गए,



सच कह रहे , जो खिलाए, पाले, वो भगवान है किसान ॥



उफ़्फ़ पाकिस्तान में अब कुत्तों की कैसी हालत होगी ॥


रिशते जब यूं ही रिसने लगेंगे......



आज की चर्चा एतने ..अब समेटते हैं जी..कल से देखिये फ़िर कुछ नया नया...

28 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो अजय भाई अभी १० मिनट पहले तक की पोस्ट सर्पेट दिए अब हम का लिखे काली के लिए ?:)

    जवाब देंहटाएं
  2. ये चर्चा का स्वरुप बेहतरीन है..अब काफी विविधता देखकर अच्छा लगता है..बधाई एवं शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  3. रोचक अंदाज़, विविधतापूर्ण, सरस एवं पठनीय।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी चर्चा का नहीं कोई जवाब
    आप है झा जी लाजवाब
    चर्चा का यह अंदाज भी भाया
    हमको भी बहुत मजा आया

    जवाब देंहटाएं
  5. बढिया चिट्ठाचर्चा..कई ब्लॉगों के दर्शन एक ही जगह हो जातें हैँ

    जवाब देंहटाएं
  6. चिठ्ठा चर्चा के कपिल देव है झा जी,
    इसलिए झा जी दा कोई जवाब नहीं...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही रोचक ढंग से आप चर्चा करते है.

    जवाब देंहटाएं
  8. शीर्षक पढ़े तो लगा झा जी सबको हड़का रहे हैं..
    हम का गलती किये की हमको आईना देखा रहे हैं ...
    बाद में समझ में आया इ तो आप चर्चिया रहे हैं....
    रंग-बिरंगी चर्चा को दो लाइना में सजा रहे हैं
    जय हिंद....

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  10. वाह .. बहुत खूब...!
    एक और मिनी एग्रीग्रेटर।
    लाजवाब है भई!
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  11. चिट्ठी-चर्चा में नित अभिनव प्रयोग और नये आयाम संयुक्त करते हैं आप !

    चर्चा सुन्दर है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  12. एक और सुन्दर चिठ्ठा चर्चा ......एक न्ये अन्दाज मे हाजिर होने के लिये बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  13. एक और सुन्दर चिठ्ठा चर्चा ......एक न्ये अन्दाज मे हाजिर होने के लिये बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  14. मजा आ गया भाई आप की चर्चा पढ कर.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  15. बस एतने ई चर्चा चलिये ठीक है ठीक क्या ..बढ़िया है ।

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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