मैं पहले ही ये बात कह चुका था कि न सिर्फ़ सोलह अगस्त से अन्ना हज़ारे को दोबारा अनशन पर बैठना होगा बल्कि अपनी आदत से मजबूर सरकार इस फ़ुंसी को जब तक असाध्य फ़ोडा नहीं बना देखेगी तब तक उसकी समझ में कुछ नहीं आएगा । आंदोलन का रुख क्या होगा और परिणाम क्या ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन उससे पहले उस सैलाब का हिस्सा बनकर इस क्रांति को भीतर से महसूसने का आनंद अवर्णनीय है । मैं अपना हिस्से की सारी बातें आपसे धीरे धीरे साझा करूंगा , किंतु फ़िलहाल आप पिछले दो दिनों में खींची गई लगभग एक हज़ार चित्रों में से कुछ देख कर महसूस करिए इस तपिश को
और जाने कितने ही चेहरे मिले , बहुत कुछ कहते हुए , कितने हाथों के तिरंगों ने जाने क्या क्या कह दिया , और अब भी कह रहे हैं , मैं बताता रहूंगा आपको