देखिए जी अपनी खोपडी है कि खोपडा ..हमें नहीं पता ..ससुरी धरती की तरह घूमती ही रहती है ..कभी ब्लोग्गर और ब्लोग की आपसी बातें सुन लेती है …तो कभी बिना मतलब उनकी वसीयत तैयार कर देती है ….और कभी ये कर डालती है ..आप खुद ही देखिए न ….हां है वही …..अरे वही यार ..निर्मल का हास्य ….
ये हम हैं देशनामा वाले मि. खुशनामा …रोज पोस्ट लिखते हैं …विद मक्खन , मक्खानी ऐंड गुल्ली …….और यूं ही ठुड्डी खुजा के सोचते हैं यार ये जीटीवी वालों को पता चल गया तो …कि वो खुशदीप और ये खुशदीप एक ही है तो …ओ कोई गल्ल नईं ..कह देंगे ..अबे तो तो मक्खन सिंग है ..खुशदीप तो उसका निक नेम है
बेटा इत्ते दीदे फ़ाड फ़ाड के …के देख रिया है …कभी भला इंसान न देखा तूने ..हैं यो अपने पूर्वजों को इत्ते गौर से न देखा करते ..कभी ..अबे हमें भी नगर लग सके हैं …तभी तो हमने भी नजर बट्टू लगा रख्या है …हमारा दिमाग पीसी जैसा तेज़ चलता है …साथ में रामपुरिया लट्ठ, रामपुरिया बिल्लन ..और राम्प्यारे प्रोफ़ेसर भी रैवें हैं …बता हो कुछ सुनना है तैने मारे बारे में ..
संगीत सा स्वरूप मारो ….पीछे जो हरियाली दिख रही है .उससे संगीता जी की फ़ोटो हरबल फ़ोटो घोषित की जाती है ..
हुंम्म्म ….जब कोई इंजिनियर ..डायस पर माईक हाथ में लेकर ब्लोग्गिंग शुरू करता है …तो सब कहते हैं कि देखो …लड्डू बोलता है । मगर बोलता तो लड्डू है …फ़िर पोस्ट क्या पेडा लिखता है ????
हें हें हें …जब बहुत दिन तक फ़ैमिली से दूर रह के सबका बीमा करवा करवा के सबको कल्पतरू दिखाए थे न तब ई थोडी सोचे थे कि ..वापसी पर अपने बाल का बीमा नहीं करवाने से ऐसा तगडा घाटा होगा …..शाकाल रस्तोगी जी ..जब बाल उगेंगे तो दोबारा से विवेक रस्तोगी बन जाएंगे ..
देखिए जी इनका कहना है पाबला भोंदू है , मगर कंप्यूटर तेज है , हमें उलटा लगता है , हमें तो ये कम्पयूटर ही भोंदू लगता है …और आप तोंदू लगते हैं । और हां आप जो हमारे नीचे ये हरा बक्सा देख रहे हैं न ..वो ट्रैश नहीं है ओए ….ये तो earthing ले रखी है …तैनु विश्चास नईं ..ते मैंनु हाथ ला के वेख ..इन्नी जोर दा झटका लगूगा न पुत्तर …..
लो ये कौन बडी बात है ..पाबला जी ..आपको क्या लगता है कि पगडी सिर्फ़ आप ही लगाते हैं । ये देखिए ..हम हैं शेखावती रत्न …..। यार ई पोज चुनाव के लिए कैसा रहेगा तनिक बताईयो तो सही ??
बस एक बार …बस एक बार …एक बार ये मैगजीन खत्म हो जाए फ़िर तो क्वचिन्दन्योअपि ..जैसे ही नाम वाले इत्ते ब्लोग बनाऊंगा कि और उस पर ऐसा ऐसा लिखूंगा …कि सबकी नाडी और सांस दोनों अटक जाएंगे । बस एक बार ..उफ़्फ़ ये लोकस …..
हुंह ..घर में , बाहर , स्टूडियो में कहीं भी मूंछों और चश्मों के साथ एक थ्रीडी डायमेंशन वाली फ़ोटो नहीं आई ….तब जाके कार की सीट पर बैठ कर खिंचवाई है ….देखिए गौर से धूप का इमेज इफ़्फ़ेक्ट चशमे और मूंछ पर ठीक आ रहा है न ….
क्या शर्मा जी , आप भी न इत्ती मेहनत करी ..हमें देखिए …हमने भी तो मूंछों और गोगल्स का इफ़्फ़ेक्ट लाया न ..पहले से खींची हुई फ़ोटो को ….मेज पर धर के लिटाया ….और खींच डाला खटैक …वाह उस्ताद वाह …हमें पी सी वैसे थोडी कहते हैं …आखिर पी सी वाला दिमाग पाया है …
उफ़्फ़ ये शची जो न कराए ..इस मुई के चक्कर में अलग ब्लोग बनाना पडा , और जाने कितनी बार , कित्ते कप कौफ़ी पी गई….सर्दियों से गर्मियां आ गईं अब तो लगता है इस कप में लस्सी भी पीनी पडेगी …इस शची ने कित्ता इंतज़ार कराया हुआ है सबको ………..
ऊं बांकी सबका फ़ोटो में ये लीगल एंगल नहीं है गुरू ..गौर से देखिए ..हमारी आंखें चश्में के भीतर से दुनिया तो अनवरत देखती रहती हैं ,आखिर धूप में ही बाल सफ़ेद नहीं किए हैं ……एक मिनट सर …धूप बारिश तो ठीक है ..पहले बाल तो दिखाईये …हां मिल गए …मैं अभी गिनकर टोटल बताता हूं कितने हैं ….वैसे मैंने सुना है कि ..जितना ज्यादा माल आता है उतना ज्यादा बाल जाता है ..सच बताया जाए सर …देखिए कसम से
अबे तुम्हें क्या लगता है एक एलियन , यूं सूट बूट पहन के स्मार्ट कार्ड नहीं लग सकता …..अबे भैया न सिर्फ़ लग सकता है ..बल्कि स्मार्ट कार्ड बन कर विल्स कार्ड भी ठेल सकता है , अरे भाई हमारा पुष्पक विमान कहां है ..चलते हैं टिप्पी मारने …
अओह आज तो सबको पता चल ही गया कि मैं अपनी सारी पोस्टें कलम ऊपर कर के लिखता हूं …तभी तो कल एक पहेली पूछी थी एक गधे को उलटा लटका दिया था हमने …फ़िर भी सबने पहचान लिया कि गधा है ….
देखिए जी हम मास्साब हैं , यार एक तो तुम लोग प्रायमरी को कभी सीरयसली नहीं लेते ..न ही प्रायमरी शिक्षा को न प्रायमरी मास्साब को …। अब क्या लें सीरीयसली ..जब मा स्साब ही निक्कर पहने हुए हैं …हां पढाई के बोझ से चश्मा जरूर लग गया है
मीना कुमारी समझने की भूल मत कर बैठना ..हां नहीं तो …हम ….हम हैं …बांकी सब पानी कम हैं …और फ़िर मीना कुमारी कौन सा गाना गा लेती थी ..चलो ये भी मान लिया कि वो गाना गा सकती थीं …मगर उनके पुत्तर से हमारे पुत्तर जैसी चित्रकारी करवा के दिखाते तब हम भी कहते ..वाह क्या अदा है ..?
देखो भाई मैं ठहरा डागदर ..वो भी हरियाणे वाला ..ठेठ …इब ब्लोग्गिंग में मन्ने तो अपने भीतर जो मंथन होता लाग्या वा सब मैंने ला पट्कया है …इब तू जाने ते तेरी मौज …..ओर हां जे मेरे नाम में टी एस का मतलब जाणना होवे न ,.,.तो इंडिया गेट देखिए ..वा भी कोने से …नीचे ना बैठ के ..
पराया देश …मगर बंदा अपना ,,,नाम का ही राज है यो भाई ..कुछ भी राज न छुपा याके भीतर ..सब का सब ट्रांस्पेरेंट है जी । कभी छोटी छोटी बातें करे है तो कभी अंताक्षरी खेलने लागे है …जर्मनी जाने की जरूरत न है ..यां भी आते हैं ..मिल लेना गले …इत्ते बेसबर क्यों हो रिए हो भाया
गिरि माने जानते हो न बाबू ..पहाड …जाने केतन केतना दबा देते हैं एके पोस्ट के नीचे ई टेढका नज़र करके मुसकियाते हुए फ़ोटो ओईसे नहीं न खिंचाए हैं..बडका बडका को खींच डाले हैं जी
जिनके ऊपर साक्षात सरस्वती मां का आशीर्वाद हो ..उनका अपना नाम के आगे शास्री लगाने का जरूरत है का ..इनके लिए का कहा जाए …यही न कि ईशवर आपको शक्ति दे और हम सब पर स्नेह बनाए रखिएगा ..
सारा शहर हमें लायन के नाम से जानता है ..श्रीमती लायन (श्री अजित )गुप्ता ..हम जब माईक हाथ में लेते हैं न तो बैनरवा लोग अपने आप टांग देता है ..ई में डेट जानबूझ कर छुपा दिए हैं ताकि आप लोगों को ई नहीं पता चले कि फ़ोटो कितना पुराना है ….इससे फ़ोटो हर साल काम न आ सकता है ….बताईय भी कोई गुप्त बात है बताने वाला
ई बाबू साहेब तो गजबे आलसी हैं ,,कुल दो बरस के बाद तो फ़ूल के जगह पर इनका फ़ोटो दिखा कहीं कहीं अब पता नहीं कहां से तो ई मूर्तिया ले आए हैं , मुदा आलस देखिए कि अभीयो कौन उसका पूरा चित्र लगाए हैं ..जेतना आराम से खिंच गया खींच लिए आ डाल दिए ..अब खुदे ढूंढिए कि चित्र में किसका कान छूट गया है गिरिजेश जी का कि राव साहब का ..
और बामुलाहिजा ..,बाखबरदार , मिं हैंडसम , मि. लाल कच्छाधारी सांड , विद लाठी बल्लम , डेडली कौंबीनेशन के साथ ..प्रफ़ेसरी भी करते हैं …और कविता लिखते हैं तो ससुर पोस्ट तो पोस्ट ..उ तो टीशर्ट पर भी छपता है । हम फ़ौरन इनको कहलवाए हैं कि उ कविता पर अपना टीप का पहनने वाले के पाजामे पर देना है । फ़ोटो खिंचा के आ पता नहीं कहां गायब हैं …मिं बैचलर ..मगर जहां हैं ..महफ़ूज़ हैं
हां अब जाके हम कह सकते हैं पूरी ….अरे अब आपकी फ़ोटो हुई है न पूरी ..इसलिए । बैकग्रांउड में ई वेधशाला देख कर पता लग गया कि आप जो ई दिन रात ज्योतिष को गति देती हैं न ऊ तो फ़िर स्वाभाविक ही है …
ओह इत्ते बरस के बाद जाके ..अब जाकर अज्ञेय वाली लुक आई है ..अब देखता हूं कौन कहता है कि मेरी साहित्यकर वाली लुक नहीं आती । वो तो ऐन टाईम पर साथ वाले घर में व्हाईट वाश ..अरे सफ़ेदी यार ..हो रही थी ..और सफ़ेदी करने वालों में से एक ..मकबूल फ़िदा हुसैन से कह कर ..दाढी में ..वो फ़िनिशिंग ..व्हाईट टच डलवाया है ….अब तो भैया …यही लुक रहेगा ..जो फ़ुकता है फ़ुकता रहे …
हें हें हें ..इब अगला एपिसोड तो देखोगे न भाया …या करूं बंद एलबम ..??????
भाई साहब, कान ऐंठने के लिए आज सुबह से कुछ नहीं मिला था क्या ? :)
जवाब देंहटाएंक्या सर सुबह से जो मिला था सब लगा दिया है .......आपके कान तौबा तौबा ...प्रणाम सर ...
जवाब देंहटाएंगहरी नज़र रखने वाले पर भी तो कोई नज़र रख ही रहा होगा.
जवाब देंहटाएंदाद देनी होगी. बहुत अच्छा लिखे हैं.
वाह झा जी तभिए हम कह रहे थे कि कहां बिजी हैं, अब पता चला कि चर्चा बांच रहे थे--- बढिया चर्चा रहा बधाई--आभार
जवाब देंहटाएंचलिए आपकी नजर में हम अब पूरी हो गए .. आपकी पारखी नजर ने सबको अंदर से पहचान लिया .. बहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंवाह...चर्चा का यह नया अंदाज़ बहुत पसंद आया...अच्छा हुआ...मैंने फोटो बदल दी..पुरानी फोटो रेस्तरां में मेन्यु कार्ड पढ़ते हुए थी...आप कहते, कितना खाती हैं....जरा unladylike हो जाता ना,कॉफ़ी तक तो ठीक है :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अंदाज मै आप ने चर्चा कि,मजेदार जी
जवाब देंहटाएंओर धन्यवाद
ब्लोगिंग के इतने सारे महारथियों को एक मैदान में उतार दिया आपने तो।
जवाब देंहटाएंअब ब्लोगर्स से इर्ष्या रखने वालों की खैर नहीं।
बढ़िया रही ये चर्चा बिना लिंक्स के ।
आपकी सानी नहीं है -गजबे हैं आप भी -क्वचिदन्यतोअपि !
जवाब देंहटाएंहा हा!! हरबल फोटो...गजब!!
जवाब देंहटाएंऔर मिश्र जी के लिए तो हम निश्चिन्त हो गये. अंग्रेजी की पत्रिका है..न ये खत्म होगी और न नया ब्लॉग खुलेगा..जय हो!!
बहुत मजेदार!!
वाह... वाह...!
जवाब देंहटाएंसभी को लपेट लिया इस चर्चा में तो!
शुभाशीष तो ले ही लो!
वाह! आज तो ब्लागर चर्चा हो ली। मै न कहता था। हर बार बात ही नहीं अंदाज भी नया होता है।
जवाब देंहटाएंअजय भाई ,
जवाब देंहटाएंये बिना लिंक्स कि पोस्ट तो बहुत ही ज़बरदस्त रही...:):)
और हर्बल फोटो तो झक्कास
खोपडी है कि खोपडा?
जवाब देंहटाएंखुशदीप तो मक्खन सिंग का निक नेम
बोलता तो लड्डू …पोस्ट क्या पेडा लिखता?
शाकाल रस्तोगी
क्वचिन्दन्योअपि ..जैसे ही नाम वाले ब्लोग
कप में लस्सी
जितना ज्यादा माल उतना ज्यादा बाल
पुष्पक विमान में टिप्पी मारने
मीनाकुमारी के पुत्तर
बैनरवा लोग अपने आप टांग देता है
लाल कच्छाधारी सांड , विद लाठी बल्लम
मज़ेदार रहा यह मामला भी
वाह भाई वाह ! मान गये आपको झा साहिब. गजबै जुलुम ढाये परे हैं ब्लॉगर बन्धु और बान्धवियों पर. मजा आ गया पढ़कर.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रयोगधर्मिता आप की पहचान है। गुजरते देखा, अच्छे लगे अपनत्त्व के ढेर सारे स्पर्श ।
जवाब देंहटाएं..विशालाक्ष बुद्ध के विशाल कान, पूर्णता अपने भाग्य कहाँ भैया? कुछ तो बनी रहें ख्वाहिशें!
नया अंदाज़ ...शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंवाह क्या गजब का आईडिया है. इसे कहते हैं नवीनतम खोज. दूसरे इस आईडिये तक पहुंचेगे तब तक आप और कुछ निकाल लाओगे.
जवाब देंहटाएंवैसे बढिया बैंड बजाई है बिल्कुल माईकल जैक्शन वाली.:)
रामराम.
वाकई कमाल कर दिये झाजी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अजय बाबू, आपने तो होली का सा मजा ला दिया। याद आ गए अपने भी दिन जब हम भी ऐसे ही टाइटल्स बनाए करते थे। बहुत ही नायाब। पूरे 100 नम्बर दिए।
जवाब देंहटाएंcharcha ka ye andaaz to bahut hi bhaya.............sabse hatkar magar bahut hi sundar charcha.
जवाब देंहटाएंई बताइए आज कल आप कौनो टोनिक-शोनिक ले रहे हैं क्या ...आइडिया का सूनामी आया हुआ है आपका मगज में..
जवाब देंहटाएंऔर जब से ब्लोगवा का लुक बदला है आपका...हमहूँ निमं दिखने लगे हैं उन्हाँ...
बाकि मीना कुमारी जी की बात कहाँ और हम कहाँ...
ऊ गगन के चंद्रमा हैं हम धरा के मून हैं....
ऊ ठहरीं मोती सरीखी हम ख़ालिश चून हैं
हाँ नहीं तो...!!
Jha sahab, kabhi hamari bhi photo laga diya karo ap.
जवाब देंहटाएंआज ही पहुँच पाये हैं आपके ब्लॉग पर मुंबई आकर,
जवाब देंहटाएंहमें शाकाल का खिताब आपने भी दे दिया, अब तो वैसे भी विवेक रस्तोगी बनने में हमे २ साल और लगेंगे अगले दो साल शाकाल ही बने रहने का विचार है :)
बीमा कंपनी ढ़ूँढ रहे हैं जो हमारे बालों का बीमा करे कि दो साल बाद बाल वापसी की गारंटी दे दे।
wah ! achchi khichyi ki aapne,,,,sbka nmbr aayega ek din!
जवाब देंहटाएं