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गुरुवार, 29 नवंबर 2007

अब का पहनेंगे जनरल साहब ?

बज्रंगिया हमेशा के तरह चिचियाते हुए आया, " जान रहे हैं झोल्तानमा भैया , सुने हैं ई पाकिस्तानी गेनेराल्वा मुस्श्र्रफ अपना बर्दी उतारे बाला है ?

हम कहे, " हाँ त ठीके सूना होगा, का करेगा,। पिछला छियालिश बरस से ओही बर्दी पहन के घूम रहा है।
आ जब से पाकिस्तान का गद्दी पर बैठा एको बार शर्ट-पैंट का बटन आ चैन भी नहीं खोला ई डर से कि कहीं कोई लपक के आउउर न पहन ले॥ हो सकता है ओकर मोन नहीं ओक्ताया होगा तईयो खुजली-नोच्नी हो गया होगा। आ फेर ई हो त है कि सोचा होगा कि लोग सब जबरदस्ती बर्दी उतार के नंगते कर दे ओ से पहले खुदे उतार दो।"

हाँ भैया, सही कह रहे हैं, मुदा खबर में ई न बताया कि बर्दी उतारे के बाद का पहनेगा?

हाँ रे, बजरंगी ई बात त हिये है। मुदा का पहन सकता है बर्दी के बाद। हमरे ख्याल से त धोती-कुर्ता पहन लेगा।"

आयं, ई का कह रहेद हैं झोल्तान्मा भैया, धोती कहे लूंगी काहे नहीं ?

"रे बज्रंगीय, लुंगी कईसे पहनेगा आब, सुनले ना था कि पाकिस्तान का सब मौलवी-इमाम सब गोस्सायल है ओकरा से, आ फेर बर्दी के गरम आ कड़क कपडा पहने के बाद धोती कुर्ता के मोलायम कपडा आराम भी त देगा।

एगो बात आउउर हमरे त लगता है कि जल्दी ओकरा नाम जनरल मुश से जनरल फुश होई जायेगा.

गुरुवार, 22 नवंबर 2007

दिल्ली से मधुबनी ( का यात्रा रही )

ई बात तो हम आप लोगन को पहले ही बता दिए न थे , ई बार छट पर गडिया का मारामारी देख कर हमहूँ अपना प्रोग्रम्वा कैन्सल कर दिए थे , मुदा बीचे में घर से फ़ोन आ गया आना ही पडेगा छोटका का शादी फ़ाइनल हो गया है। हालांकि ओकर शादिया त फ़ाइनल बहुत पहले से ही था मगर कहे से पमेंत्वा का बात पुआ ना ना हुआ था सो डेत्वा लोग फ़ाइनल नहीं किया था। खैर जाना त था ही , इसलिए फटाफट सब कपडा लत्ता लेके चल दिए। ऊ शैदिया में का का हुआ ई त अगली बार आप लोगों को बिस्तार से बताएँगे ई बार त आप लोगों को खाली ई बता देते हैं कि दिल्ली से मधुबनी ( हाँ उही मधुबनी चित्रकला वाला) तक का सफर कईसन कटा।

गडिया पर चढ़ते ही चादरवा निकाल के पसर गए। खाना ऊना सब पहिले ही नेपटा दिए थे महाराज।

झाप्कियो नहीं लगा था कि आ गए टी टी सिंह," चलो रे अपना अपना टिकट सब दिखाओ "

हम धड़ दनी अपना टिकट निकाल के देखा दिए , दरअसल हमहूँ ई बार चालाकी मार के एगो दोस्त्वा के मदद से "ई-टिकेट " कटवा लिए थे।
ऊ टिकट देखते ही कूद पडा , रे ई का कगाज्वा देखा रहा है, टिकट नहीं का ई केकर लैटर है, किसी का स्टाफ है रे , बोलो ना रे"

हम कहे कि सर एही त टिकट है ई जो टिकट है ना ई "ई -टिकट "है।

आएँ , का मतलब ई टिकट , रे ई टिकट नहीं ऊ टिकट दिखाओ , नहीं है का।

अरे बड़ी मोश्किल से बैठा के उनका समझाना पड़ा कि ई टिकट का होता है।

थोडा आगे चले त रेल पुलिस आ गया, रे ई मोटरी ई बैग्वा किसका है रे , चल दिखाओ'

का दिखाओ महाराज सब खाए पिबे वाला समनवा सब खा गया ले के कहा कि ई से तोहरे समनवा का भार जादे हो रह है।


आ उसके बाद पूछिये मत कि कहाँ कहाँ का का चेक हुआ का का उतारे -खोले ।

जब मधुबनी पहुंचे त एक्दुमे ऐसन हालत था कि कोनो चलता फिरता मधुबनी पेंटिंग आ रहा हो।

बियाह का पूरा जानकारी आ विवरण अगला बार बताएँगे.

गुरुवार, 15 नवंबर 2007

का औज़ार है ई मोबईल्वा ?

"देखो भैया ई नायका मोबाईल लिए हैं। का कलर है, का फीचर है । " झबरू ख़ुशी से झूमते हुए हमसे कहिस।

हमरा त पहिले से ही ओकर पर नज़र पडल था सो रहा नहीं गया, " रे झाबरुआ , तनिक खोल के दिखाओ बताओ। ई त एकदम छोटकी गो टी वी लग रहा है रे"

"टी वी , अरे झोल्तानमा भैया ई त टी वी के भी बाप है। आवा हम बताते हैं एकर खुबिया । ई देखौ ई रहियो है सब ऐफाम चैनैल्वा पकड़ लेट है। ई है ऍम पी थ्री , माने भुझो त छोट-मोट गो टेप रेकर्देर हो। ई है कैमरा ;फोटो किचे खातिर। आ जानत हो इमें कोनो रील -फील डाले का जरूरत नहीं है। ई है वीदेओ रिकार्डिंग। आरे एही से त पिछला महीना में ऊ पण्डे जी के लड़कियां वाला ऍम ऍम अस कानदवा नहीं हुआ था । आ ई है एकदम लेटेस्ट कोनो पिक्चुर सिनेमा लोड कर के मज़ा ला। झोल्तान्मा भैया कोनो सिनेमा -ई टाइप चाहे ऊ टाइप"

जैसे -जैसे झाब्रुआ बताते जा रहा था हमरे चेहरा का चमक बढ़ते ही जा रहा था। मुदा फेर हमका कुछ याद आया । अरे झाबरुआ रे ई त ना बताया कि ई से बतियाया कैसे जाता है रे,रे मोबाईल त बतियावे खातिर न होता है?

झोल्तानमा भैया ऊ हमका नहीं पता । ओइसे भी आजकल मोबाईल से सुब बतियुआते कम हैं aaur dosar kaam jaade hotaa hain.हाँ सुने हैं कि mobaaeelwa में कोनो kaarad lagtaa hai batiyawe khaatir.

अच्छा झाब्रुआ je हमरे राशन kaarad से काम chaltau त ले जाओ।

अरे नहीं bhaiyaa ee baatava kaa kamaal ke auzaar hai ee mobaaeelwaa?

बुधवार, 14 नवंबर 2007

dilli में छठ पूजा

dilli में छठ पूजा,जरूर,
ई का मतलब है दूजा,
साल भर बिहारी को गरियाते हो भाई,
वोतन के चक्कर में ,
अब दे रहे हो बधाई,।

त्रैन्वा से घर जा न सके,
आउउर पूजा त करना जरूरी है,
ई काली जमुना में डुबकी लगाना,
सच कहें त बस मजबूरी है।

हे सूरज देवता, कुछ त कर ऊपाय,
या त जमुना के नदी बना द ,
या द
सबके आपण घर पहुंचाया ॥


झोल्तानमा

रविवार, 11 नवंबर 2007

बहुतों से तो हमही लोग better हैं भाई

आज अचानक ई ख्याल आया कि यार अपने लोगों के चारों तरफ कितना बवाल मचल है भाई। पाकिस्तान में देखिए त ई मुश्र्राफ्वा जब देखो अपन फौजी वर्दी को धो पोच के प्रेस कर के पहन लेता है आ बन जाता है जनरल साहब । चाहे शरीफ साहब हों कि बेनजीर बीबी कोनो का खैर नहीं है। बर्मा का भी लगभग ओही हालचाल है उहाँ भी ऊ बेचारी कमजोर सी अंग सां सू की अकेले अपना दम पर लड़ाई लड़ रही है आ पूरा वर्ल्ड का मर्दावा सब खाली तमाशा देख रहा है।

अब पड़ोसी नेपलवा को ही देखिए ना जब से लोकतंत्र लोकतंत्र खेल ऱहा है तबे से हर चौथा दिन ओकरा प्रधानमंत्री ही नया नया बन जा ऱहा है आ ई सब से बेचारा मधेशिया सब का बात सब एकदम पीछे छूटता जा रह है। बंगलादेश का त पूछिये मत वहाँ त जितना नेता अऊर नेएतानी सब थी सबको जेल्वा में ठूस दिहिस है आ कोनो पूछने वाला नहीं है। श्रीलंकन का भी हाल कोनो ठीक नहीं हैं । जब लिट्टे वाला सब गरमा गया त लड़ाई शुरू।

ऐसन में त लगता है कि हमनी लोग ही ठीक हैं भैया। बस ई ज़रा नंदीग्राम में सब ठीक होई jaye

बुधवार, 7 नवंबर 2007

फेर शुरू बा रेल गडिया के मारामारी

हाँ भैया ई त अब एगो परमानेंट दुःख बन गया है। जैसे ही पर्व त्यौहार का मौस्म्वा आता है गडिया सब में टिकेट के खातिर मारामारी बढ़ जाता ही । पिछला साल स्थिति इतना बिगड़ गया था कि धाका मुक्की में बौहुते लोग मारा गया। बुझैबे नहीं करता है कि कोन ऊपाय किया जावे । इतना ट्रेन्वा गडिया सब चला दिया है , अऊर अब त एगो नया नियम भी बना दिया है कि" कनिया के साथ लोकान्या "वाला चक्कर नही चलेगा । माने जेकरा सब के जाना है वही सब खाली प्लातफार्मावा पर जा सकता है ।
लेकिन जान रहे हैं सब से ज्यादा कौन चीज तकलीफ देता है , ई जो लोग सब इहाँ से बड़का बडका तृंक पेटी ,बाल्टी, लोटा, कुर्सी, tebul, पंखा , आ पता नहीं का का ठूंस ठूंस के ले जाता हैं महाराज । ऐसन लगता है कि खाली इंटा पत्थर ,मिटटी सब छोड़ देता है । अरे भैया लोग्नी यार जब इहाँ से पैस्वा कमा के ले जा रहे हो त वहीं कहे नहीं खरीद लेते हो ऊ सब ।
बही हमरा त जाना हो नहीं पाया इहे सब के चक्कर में । देखिए अगला साल का होता है?

सोमवार, 5 नवंबर 2007

लूट मचल है भाई

दिव्लाई के रेलमपेल जयीसे ही बढ़त है बस पूछिये मत चारों तरफ भागम-भाग लग जावत है। हमरो बीच में एगो दोस फुनिया दिहिस , कहिस कि झोल्तान्मा भैया का कर रहे हो जाओ हात बाज़ार पहुँचो आ देखो मज़ा। हमहूँ तन्तना गए आ पहुंचे सीधा बडका बाज़ार। बाप रे बाप, पूछिये नहीं जी, इतना भीड़, खाली मुन्डी मुडी नज़र आ रहा था। अऊर सबको फेल कर रहा था , बालिका सबका नया फैशोन । महाराज एकदम लग रहा था कि मुन्ब चाहे कैसनो हो मुदा , कम कपडा पहिनने के कारण सब के सब खांटी हेरोइन लग रही थी। बुझा नहीं रहा था कि ई सब बाज़ार देखने आईल है कि ई बालिका सबन को देखे खातिर ई बाज़ार लगावल गया है।

ऐतना में आगो बोर्ड्वा पर नज़र गया। देखे त लिखल था "लूट लो "। हम कहे ई का घोटाला है भी । पहुंच गए आ वहीं खडे एगो बालिका से पूछे ए जी, ई का लिखे हैं , लूट लो , ऐसे ई सब लिखा जाता है ।"

हाँ , सर , ऐसा मौका नहीं मिलेगा , दिवाली ऑफर है , ले जाइए, सब लूट रहे हैं। एक के सात दो फ्री है । एक के पैसे में कुल तीन हो जायेंगे सर ।"



अरे ,अरे, ई का अनाप-शनाप बतिया रही हैं आप, एक के साथ दो फ्री। अऊर एक का पैसा भी काहे दें । जब लूट्बे करना है त। ई आप लोग का लूट का मतबल कुछ अऊर है का? हमरे इहाँ त लूट, डकैती ,खून,अपहरण, सबका उहे मतबल होता है जो असली में होता है । आ ई "लूट लो "बोर्ड्वा के नीचे से खुद हट ना जाइए ,शरीफ आदमी सब कंफुज़ होता है ना जी॥

मूडवा खराब हो गया त वापस लॉट आये । अब काल्हे जायेंगे तब बताएँगे।

रविवार, 4 नवंबर 2007

बिहार में त्यौहार

ओइसेय त हमरे बिहार में मुख रुप से फगुआ (होली) सरोसत्ती पूजा ,दुर्गा पूजा आ छट पूजा है। मुदा साल भर में हनी वाला सब पावन त्यौहार भी मनाएबेय करते हैं सब जैसे दिवाली, भैहाडूज, राखी, सब कुछ।

दिवाली( नहीं नहीं ,दिया-बाती कहते हैं हमरे यहाँ ) सच कहें त बिहार में ओतना तड़क-भड़क और जोरदार में नहीं मानता है बल्कि ई कहें कि छठ पूजा के जोराम्जोर महोत्सव के नीचे दब के रह जाता है।
हाँ दिया बाती में कुछ खास जरूर होता है। पहला है कि पूरा गाँव ,मोहल्ला , का लोक सब एकदम जोर शोर से
सफाई-लिपाई ,पोताई, में लग जाता है। घर ,अंगना, दालान, खादिहान, सब कुछ चमका देल जात है।

दिया बाती के दिन लक्ष्मी पूजा के बाद बढियां-बढियां, पाक-पकवान पर हाथ साफ कराल जाईत है। एगो खास बात कि ओहां ई गिफ्ट शिफ्ट का कोनो चक्कर नहीं है भी। रही बात पटाखा और बम सब फोड़ने कि त ऊ भी बहुत ज्यादे नहीं हो पाटा है। हाँ एक बात जरूर है कि रात में जब बहुत सारा डिबिया और छोटा छोटा दीप से घर अंगना जग्माता हैं ना त सच मानिए पूरा अँधेरा दूर हो जाता है। इहाँ शहर में कहाँ रहता है ओतना अँधेरा त सच में त दिवाली का असली मकसद त ओहीं पूरा होता है।

त कभी चलिए न हमरे साथ आप भी दिवाली में हमरे देश

झोलटनमाँ

शनिवार, 3 नवंबर 2007

हो गया सेलेक्शन बीस- बीसिया टीम में

" jholtanma भैया , बहुत बडका खुसखबरी है । जान रहे हैं , हमारा सेलेक्शन ऊ जो बीस-बीसिया टीम है ना उसमे हो गया है । देखे ना हम कर दिए ना आपका नाम ऊँचा।"


"अबे, का कह रहा है,भुल्चुक्बा, । तेरा सेलेक्शन , वो भी क्रिकेट में ऊपर से २०-२० क्रिकेट में , क्या कह रह है पूरी बात बता। तेरा और क्रिकेट का क्या मेल ?"


हैं हैं, ऐसन बात कहे करते हो jholtanma भैया ।मेल त ऊ मंदिरा बेदी का भी कहाँ था क्रिकेट से आप ही बताइये त ।फिर हम प्रैक्टिस और मेह्नातो त कम नहीं ना किये थी ई पिछला बाला worldcup में ।


अमा पिछले worldcup में कहे की प्रक्तिस कर ली तू ने पूरी बात बता भुल्चुक्बेय॥

" बात ए है झोल्तान्मा भैया, कि पिछले worldcup में हम पूरा ध्यान्वा लगा कर देखे थे , एक एक स्टेप गौर से देखे आउउर सीखे थे कि किस्से चौका -छक्का लगते ही ऊ में आउउर ऊ लडिका सब एकदम धमाल नाचे लगता था। बस हम त तभी फ़ाइनल कर लिए कि एक दिन ई नचनिया टीम में हम जरूर शामिल होई जायेंगे। फिर जब अपना इहाँ बीस -बीसिया मैच हुआ त नाचानियाँ सब एकदम बेकार था। जान रहे हैं तभी हमको चांस दिया आ हो गया हमरा सेलेक्शन॥

अब देखियेगा , जब हम आ हमर टीम अपना परफॉर्मेंस देगी। अचा jholtanma भैया प्रणाम.

चिटठा अधिकृत कड़ी

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

हमहूँ हैं मैदान में

सोच रहे थे कि अपना बिहारी स्टाइल में भी कुछ लिखेंगे और सबको पढ़वायेंगे काहे से कि फिर हमारी मौलिकता का पता भी तो चलना ना चाहिए । तो बंधू लोगों को हमारा प्रणाम और स्नेह भी ।


नहीं नहीं यदि आप लोग सोच रहे हैं कि हम आप लोगों को कुछ भी अंट-शंट पढ़ने के लिए कहेंगे तो ई तो आप लोगों का भ्रम है कहे से कि उसके लिए और भी बहुत जगह है । यहाँ तो हम आपको सब कुछ विस्तार से बताएँगे ।

देखिए आगे आगे होता है क्या...............
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