हलाँकि शुरू से एक जो बात नियमित रूप से ब्लॉग्गिंग में दिख रही है ...वो है कोई न कोई विवाद ....और वाद विवाद तो एक स्वस्थ और जागरूक समाज की निशानी है .....मगर विवाद भी स्वस्थ और स्पष्ट अर्थों में हो तो सार्थक होता है....इतने बड़े परिवार में मतान्तर होना स्वाभाविक है ...और जरूरी भी...मगर उद्देश्य हमेशा यही होना चाहिए की ...उससे किसी का भला हो न हो ...कम से कम बुरा नहीं हो ...और दूसरी बात जो इन दिनों बहुत ज्यादा देखने में आ रही है ..वो हिंदी ब्लॉग्गिंग पर ..खुद हिंदी ब्लोग्गेर्स के द्वारा ही ..लगातार प्रश्नचिन्ह लगाना ....बात गंभीर है ..और दुखद ये है की प्रवृत्ति बनती जा रही है .....खैर ...इस विषय पर तो मैं अपने दुसरे ब्लॉग पर विस्तार से लिखने का प्रयास करूँगा ..फिलहाल तो आप आज की चिट्ठाचर्चा का आनंद लीजिये ..
यहाँ दिल्ली में पिछले तीन दिनों की लगातार बारिश ने मौसम में थोड़ी सी ठंडक ला दी है ..जबकि ब्लॉग जगत आज काफी गर्मागर्म लग रहा है ...देखिये .....
राज भाई कहते हैं , बस अच्छा लिखते जाओ यार,
टिपण्णी मिले बिलकुल कम , या मिले बेशुमार
विनय पत्रिका में साहित्य पर कुछ है कहा गया,
हमसे तो बिना पढ़े , बिलकुल भी न रहा गया
प्रवीण जी को उनकी बात का, दिया संगीता जी ने जवाब ,
ये पूछ कर कि ,क्यूँ की गयी उनकी छवि खराब
ब्लॉग बुखार से परेशान हैं, बिलकुल मत घबराइये,
अपने चिट्ठे का मुफ्त हेल्थ चेकअप , यहाँ पर करवाइए
ब्लॉग्गिंग में हो रही गाली गलौज का क्या हुआ परिणाम ,
रोमन में की टिपण्णी , हो गया काम तमाम
कोई कहता है बादशाह, कोई कहें हमें डॉन,
अमरीकीयों ने फिर भी पूछा ,आप हैं कौन
इंसानों के पढ़ लिए अब पढिये किस्से भूत के,
हाय क्या लिखा है जालिम, दिल ले गए लूट के
स्वप्न लोक में घुमते हुए , पहुंचे कहाँ से कहाँ ,
जाओ जहां मर्जी चाहे, मगर रहो हमेशा यहाँ
डाकखाने ने अपने सचिन से पूछे हैं कुछ सवाल ,
अरे क्रिकेट के नहीं, पोस्ट के, कैसा हुआ कमाल
प्रधानमंत्री के भाषण में ,न्यायव्यवस्था पर कुछ कहा गया,
देखिये तीसरे खंभे पर , इस बारे में क्या लिखा गया
राजीव भाई को हंसते हंसते , सबने इतना प्यार दिया,
आज उनके ब्लॉग पोस्ट ने सौ का आंकडा पार किया
डाक्टर साहब ने जाकिर साहब को क्या खूब है समझाया,
धर्म और आस्था का अब मतलब समझ में आया
ताऊ जी की पहेली अबकी जीते सुशील कुमार .
मेरिट लिस्ट आ गया जी अबकी नाम हमार
पांच पंक्तियाँ लिख के ये चुप्पी किसने ओढी ,
आप पढ़ के देखिये , ये चुप्पी किसने तोडी
चलती रहे ये जिन्दगी, अलविदा मत कहा करो,
नहीं कहेंगे जी, कभी, आप यूँ ही लिखा करो
लविज़ा की मम्मी को कैसा अनोखा आईडिया आया,
आपम खुद ही देखिये, उसने कैसे इनदेपेंदेंस डे मनाया
आज की चर्चा ..यहीं पर समाप्त करते हैं ...
कोई कहता है बादशाह, कोई कहें हमें डॉन,
जवाब देंहटाएंअमरीकीयों ने फिर भी पूछा ,आप हैं कौन
वाह वाह
आप तो दिन पर दिन निखरते जा रहे हैं!
ब्लॉग जगत में संगीता जी
जवाब देंहटाएंअमेरिका में शाहरूख खान
रूख बदला ऐसा कि पकड़ने
पड़े कान
क्या शाहरूख और
क्या प्रवीण जाखड़ ???
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंभूत की चर्चा देखकर हमने अपना ब्लोग समझ् कर् क्लिक किया तो विदेशी भूतो पर चर्चा मे पहुंच गये . भई हमे तो अभी देसी भूतो से ही निपटना है ना जादू ना टोना पर
जवाब देंहटाएंइस चर्चा में अब विविध रंग आने लगे हैं, बधाई!
जवाब देंहटाएंनिखर रही है आपकी लगातार चर्चा
जवाब देंहटाएंझा जी कुछ तो करो मिठाई का खर्चा
बढ़िया चर्चा ठेलते झा जी अजय कुमार
जवाब देंहटाएंयह भी धाँसू लग रहा चर्चा का इतवार !
चिट्ठाचर्चा तो बहुत ही बढिया है बन्धु लेकिन मेरी रचनाओं ने सौ का आँकड़ा पार किया है ना कि मेरी ब्लॉग पोस्टों ने :-) :-) :-)
जवाब देंहटाएंमेरे कहने का तात्पर्य आपकी रचनाओं से ही था राजीव भाई...जो भी हो..बधाई स्वीकार करें....और सब स्वीकार करें धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत और प्रवाहपूर्ण चिट्ठी चर्चा । बेहतर । आभार ।
जवाब देंहटाएंआपकी कवितामयी चर्चा हमेशा ही आनंद दायक लगती है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
behtreen chittha charcha
जवाब देंहटाएंचिठ्ठे अनन्त तिन कथा अनंता!
जवाब देंहटाएंइस अनोखी चर्चा का
जवाब देंहटाएंले लिया हमने भी मज़ा ..