आज कुछ भी लिखने का मन नहीं कर रहा है..सो सीधे सीधे चर्चा पर आता हूँ..
ताउजी के परिचय नामा में,आज मेहमान हैं इक ख़ास,
वाचस्पति जी ज्ञानी हैं, नाम है अविनाश
आंखों की धार भी चुपचाप बहती है,
देर किस बात की है , भई, जल्दी किजीये..
बता रहे हैं, कहां आजकल इन दोनों का डेरा..
कुछ नहीं लिखने का था मन तो ,लिखा दनादन,
शाम का अंधेरा देखा होगा, अब शाम का देखिये उजाला,
शिक्षा के क्षेत्र में ये चली है कैसी हवा...
लो जी..आज अचानक एक घट्ना हो गयी सच्ची,
आपने नहीं पढा क्या, नाम है चोखेरबाली..
एयरटेल और डिश टीवी में क्या है आखिर अंतर,
इन्होंने जीता पुरुस्कार, आप तो मुंह मीठा किजीये,
भविश्यवाणी है ये , इस बार दिवाली में दिक्कत आयेगी,
आप भी जानिये, हिन्दी ब्लोग्गिंग में हम क्या कर रहे हैं,
वो कह्ते हैं, उन्हें मिली थी एक लडकी ,
खून की क्या हुई कीमत, पोस्ट पढ के ही जानी
रविश जी की कलम से आज कौन है छपिस,
तसवीरें देख के , हम तो गये सिहर
उनको आप समझाइये, इसलिये आप तक पहुंचाया है..
ऐसे ही शब्दों से अजित बाबु करा रहे पह्चान
आपकी इस लेखनी पर कुर्बान जन-जन..
आप तो खुद ही देखिये, मैं क्या कहूं, हज़रात...
हंसने हंसाने में ही तो है, जिंदगी का राज...
चलिये ..तो बस आज इतना ही...
गजब की उर्जा है आपमें .. इतनी मेहनत करके हमारे लिए कितनी सामग्री इकट्ठा कर देते हैं !!
जवाब देंहटाएंबेलिखी चर्चा का यह रूप अद्भुत है।
जवाब देंहटाएंबहुत किरपा महाराज आपकी लोगन को आप बताये हैं
जवाब देंहटाएंयेही वास्ते साइद इ लोग हमको समझाने आये हैं
बस आप धीरज से करते रहिये हजुर हमलोग आपके साथ हैं...
सुंदर चर्चा!
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंझा जी आपकी चर्चा है लाजवाब
जवाब देंहटाएंहर बात का आपके पास जवाब
बहुत सुंदर चर्चा किये है जी.
जवाब देंहटाएंराम राम
वाह अजय जी कहते हैं कि आज कुछ लिखने को मान नही कर रहा, हाँ..............????????????
जवाब देंहटाएंइतना पढ़ना
जवाब देंहटाएंपढ़ने के बाद बुनना
फिर
कहना - ऐसे कि
बस मन कर वाह वाह...
कैसे कर लेते हैं?
कैसे कर लेते हैं जी आप इत्ती सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआप अथक परिश्रमी हैं...आप साधुवाद के अधिकारी हैं..आपका प्रयास अनुकरणीय है...यह सब आहिसियल..लेकिन यार, सॉलिड काम कर रहे हो!! बधाई.
जवाब देंहटाएंकैसे कर लेते हैं जी आप इत्ती सुन्दर चर्चा!---हीरा पूछे माणिक से!!! :)
जवाब देंहटाएंकैसे कर लेते हैं जी आप इत्ती सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंये शौक है भाई. और शौक मे किया गया हर काम नायाब होता है. बहुत बधाई झा जी.
रामराम.
अच्छा लगा चर्चा का ये नया अंदाज़....
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही इतने चिट्ठॊं को पढ़ना और फिर उन्हें व्यवस्थित चिन्तन से इस तरह सजाना आपकी रचनाधर्मिता का परिचायक है । आभार चर्चा के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ....गब्बर वाली पोस्ट नज़रों से चूक गयी थी ..अभी जाते हैं
जवाब देंहटाएंताउजी के परिचय नामा में,आज मेहमान हैं इक ख़ास,
जवाब देंहटाएंवाचस्पति जी ज्ञानी हैं, नाम है अविनाश
जिसने नहीं क्लिकाया पहली पंक्ति को आज
वो खो देगा बहुत सारी ज्ञान की जो है बात
ज्ञान की बात अविनाश वाचस्पति ने बतलाई
ताऊ ने पूछी थी हमारी भी समझ में आई
जो रह गए हैं। समय बचाने के लालच में नहीं पढ़े हैं। जायें दोबारा और पढ़ आयें। यह ऐसा पहला ब्लागर इंटरव्यू है ताऊ का, जिसने नहीं पढ़ा खो देगा बहुत सारी ज्ञान की बात।
bahute mehanat karate ho bhai
जवाब देंहटाएं