इस ब्लॉग पर चिट्ठों की चर्चा ..मैंने अपने अंदाज में ..सिर्फ एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया था ....साथ ही ये भी सोचा था की ...ये एक विकल्प के रूप में ..नियमित ब्लॉग चिट्ठाचर्चा का साथ भी निभाएगा...आप सबका प्यार और समर्थन पाकर लगा ...चलो ...प्रयास ठीक दिशा में जा रहा है..मगर फिर कुछ मित्रों ने कहा ..आप समय जाया कर रहे हैं..और शायद इससे मेरी दूसरी दिशा और लेखनी प्रभावित हो रही है..और ये भी की ये महज तुकबंदी जैसा है...मैं थोडा असमंजस में पड़ गया...क्यूंकि मैं मन ही मन इस प्रयोग के साथ और भी कई प्रयोग करने की योजना पर कम शुरू कर रहा था ,...सो रुक कर सोचने पर विवश हो गया ...मगर फिर लगा ..क्या करूँ ....जो भी जैसा भी आता होगा वही तो कर पाउँगा न ..सो लीजिये फिर से आ रहा हूँ ...चिट्ठियों की चर्चा लेकर.....कुछ नयी तब्दीलियों के साथ
देखें आज कौन का का चेपा है
कुछ कवितायें हो जाएँ
कुत्तों पर रिसर्च करने में वर्मा जी ने कित्ती मेहनत है लगाई
हाय आज तो अपने कुत्ते न होने का अफ़सोस हो गया भाई
शेफाली ने टाईप टाईप की गैसों का कर दिया बखान ,
कईयों की हवा निकाल दी देखिये श्रीमान ..
इतने कम शब्दों में इतना कुछ बहुत कह नहीं पाते,
वो कहते हैं, तूफ़ान कभी मात नहीं खाते
वो कहते हैं किश्तों में भी सुख मिल जाता है,
बस पता नहीं इन्स्तौल्मेंट कितना आता है
अब कुछ और पोस्टों पर नज़र डालते हैं
जितेन जी अपनी रूटीन का वर्णन करते हैं,
आईये उनकी ये पोस्ट पढ़ते हैं ...
अमीर धरती के गरीब लोगों का मंदी से बुरा हाल है,
आप खुद ही पढ़ के देखिये पोस्ट ये कमाल है ..
ब्लॉगजगत का ये छोटा सा ब्लॉगर है बड़ा ख़ास
देखिये आज किसको कर रहा है ,आज baul ये पास
संविधान में क्या क्या लिखा है , एक बार पढ़ के देखिये,
किताबों में जो लिखा है , उससे आगे बढ़ के देखिये
आलसी के चिट्ठे में एक लंठ केकड़े ने एंट्री मारी है,
पूरे आलस से पढिये , कथा अभी भी जारी है
ब्लॉग , ब्लॉग है या साहित्य , हम इस बात पर लड़ रहे हैं,
अखबार वाले पोस्टें चुरा कर छाप रहे हैं, लोग वही साहित्य पढ़ रहे हैं
अनिल भाई कहते हैं ,,,ख्वाब कभी मरा नहीं करते ,
पछताते हैं जो ऐसी पोस्टें , पढ़ा नहीं करते ..
कहती हैं पूजा ,यादों का इन्तजार और सही ,
लिखने का ,कहने का , अब भी है उनका अंदाज वही
इस दोस्ती दिवस पर अविनाश जी ने कुएस्चन मार्क है लगाया,
आज इस मौके पर , एक नए एंगल से उनका ये विचार है आया
उनके लिए ख़ास तौर पर निशांत जी लाये ये आज हैं,
जो अपनी पोस्टों के चोरी होने से बहुते नाराज हैं
दोस्ती दिवस पर जिनकी भी कुछ और भी पढने की है आकांक्षा ,
इनको जाकर पढ़ लीजिये , इन्होने लिखा है बहुत ही अच्छा
ताऊ जी की पहेली में कौन भाग नहीं है लेता ,
देखिये नंबर तैंतीस का कौन बना विजेता..
अब मिलिए कुछ नए चिट्ठों से
ब्लॉग जगत में देखिये ये नया दृष्टिकोण है आया,
आप खुद ही पढिये, है इन्होने क्या पढ़वाया
पढ़ते पढ़ते ये पुरानी डायरी हाथ आई है
मेरे पास नहीं ब्लॉग जगत के साथ आई है
ब्लोग्ग्गिंग में इन्होने भी अपने धर दिए हैं पैर
इनके साथ आप भी कीजिये प्रेमांचल की सैर
और अब चलते चले एक सूचना
हिंदी साहित्य मंच ने फिर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया है ,
अपनी अपनी रचना भेजने का सबको आमंत्रण दिया है ..
तो बस बंधु ..इस दोस्ती दिवस पर इतना ही इश्वर करे .इस दोस्ती जहाज दिवस (अरे फ्रेंड शिप डे) पर यही दुआ है की आपकी कश्ती और जहाज दोनों चलते रहे ..
बढ़िया पोस्ट लगाई है।
जवाब देंहटाएंदोस्ती का जज़्बा सलामत रहे।
मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।
बढिया है .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंचर्चा खूब जमती है अजय भाई । जमे रहिये । नवीनता है इसमें और ईमानदारी भी ।
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंजमे रहिए!
बहुत सही है आपकी शैली. बिल्कुल मौलिक. शुभकामनाए.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बदली हुई शैली भी पहले की तरह धांसू!
जवाब देंहटाएंवाह ....बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंजमाये रहो बंधु.
जवाब देंहटाएंकौन कह रहा है भाई, महज तुकबंदी है, उनका आभार करो कि तुकबंदी में पास हुए, कविता फिर कभी कर लेंगे. :)
आप तो निश्चिंत हो मन का करिये.
बढिया है .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंझा जी ,,
जवाब देंहटाएंआपकी वापसी बहुत अच्छी लगी, चलिए अब महफ़िल में रंग आएगा...
आपको 'द्विरागमन' की बधाई...
बस अब जम के बैठ जाइये...
अरे हमें भी तुकड़ दिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
लेकिन भाई हमें तो दर्शक दीर्घा में ही रहने दें। ताली बजाने और मुँह बिचकाने का आनन्द नाटक में स्वयं पात्र बन जाने में कहाँ!