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शनिवार, 8 अगस्त 2009

चलो जी ,ये हफ्ता भी हो गया ख़तम ,,चिट्ठी चर्चा लेकर फिर से आ गए हम.

मेरा हमेशा ही मानना है कि..किसी भी बात को देखने के दो नजरिये होते हैं..एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक...ऐसा हो सकता है कि हमेशा ही ऐसा न होता हो..मगर अधिकांशतः तो होता ही है..और कुछ लोगों को न जाने क्यूँ ..सिर्फ नकारात्मक नज़रिया ही पसंद है..जब देखो तब एक ही रवैय्या..हो सकता है कि इस बार सामने वाला कुछ और ही कहना चाहता हो..या कि आप पहले से ही मान के चलते हैं कि ..नहीं जी ये तो वही बात है ..जैसा हम सोच रहे हैं..और एक पल को यदि मान भी लिया जाए कि सचमुच ही गलत है...तो उसके विरोध के भी कई रास्ते हैं...हर वक्त हाथों में पत्थर लेकर बैठे रहना..कहाँ की इंसानियत है...मुझे लगता है कभी कभी ..मेरे लिए तो अक्सर ही फूलों से भी बात बन जाया करती है...और पत्थर भी फेंकना हो तो रेशम में लपेट लें ...देखिये कितना गहरा असर होता है...न जाने किस बात से प्रेरित होकर ये सब कह गया.

आप तो चिट्ठीचार्चा का मजा लीजिये

ब्लॉग बुखार नापने को इक नया थर्मामीटर आया,
इस अद्भुत ब्लॉग से,पाबला जी ने , फिर से लोहा मनवाया ...

सायकल चलानी की प्रथा बेशक कम हो रही आज,
बाल संसार में खुल गया सायकल का सब राज

स्त्री विमर्श में आज की बागी लड़कियों की दास्तान..
नहीं पढ़ा , तो क्या पढा....आपने श्रीमान...

ना नेकी बची , न बचा है कुँआ, दोनों हुए ख़तम,
विवेक भाई की पोस्ट से सम्मझ गए जी हम..

पंद्रह अगस्त नजदीक है, मुर्गियों का गणतंत्र देखिये,
आप भी ऐसे ही साईन बोर्ड लगा कर अपना माल बेचिए

बुलडोज़र पहुंचा घर गिराने महिला पत्रकार का,
नया तमाशा देखिये बहन जी की सरकार का

ताऊ की पहेली ने फिर सबको है घुमाया,
और उनकी रामप्यारी ने बस में है बैठाया,
दो दो बार हिंट दिए कोई काम न आया,
मैंने खुद कई बार गूगल बाबा को दौडाया

अदा की अदाकारी का फिर देखिये चमत्कार,
मुहावरों के प्रयोग से कर दी अद्भुत पोस्ट तैयार

भागिए जल्दी जल्दी , स्वाइन फ्लू है आया...
बचने-फंसने पर क्या खूब कार्टून है बनाया

आप भी अपने बीच के इन ब्लॉगर को पहचानिये,
अजी कैश इनाम की घोषणा है ,ये भी तो जानिए,,

तीसरा खम्भा पर छपा आज एक अनोखा ही विवाद है
दहेज़ लेना ही नहीं , दहेज़ देना भी अपराध है ..

वर्मा जी ने फिर लेखनी से किये हैं तीखे वार ..
कहते हैं ,उम्मीद से भी आधे हुए हैं बलात्कार ,

शुकल जी ने आज इक टुईयाँ सी चर्चा दी है बांच
झूम झूम के चर्चा में शकीरा रही है नाच

खेलगढ़ ने पोस्टों की तीसरी सेंचुरी है जमाई.
देर किस बात की दे दीजिये बधाई

आप खुद ही जानिए असली अर्थ हाथ मिलाने,
ये अच्छा मौका है, पढने और टिपियाने का

राम जी ने इस पोस्ट में पंक्तियाँ उकेरी ख़ास हैं..
जितनी बार पढिये , मिटती नहीं ये प्यास है

इन्होने अपनी डायरी के पन्नो से इक पोस्ट निकाली प्यारी,
वो तब कहते थे , हम अब , आ गयी देखो बरसात की बारी

सफ़र ठीक कटेगा पक्का , यदि साथी हो सवारी,
पत्नी के भरोसे ही , चलती रहे ये गाडी

कह रही हैं डाक्टर पूजा जी, ढल गयी इक और शाम,
आप भी पढ़ लीजिये ,दिल को मिले आराम


ये साजिश है कुछ और है ,,आप खुद कीजिये तय ,
जाइए जल्दी दूर कीजिये , इनके मन का भय ...

पोस्ट को पढिये , चिंतन -मनन को आँखें कीजिये बंद,
निर्मल जी की लेखनी का खूब लीजिये आनंद

डंके की चोट पर गूगल का इन्होने कर दिया है त्याग .
चिंगारी है सुलग उठी, अभी और फैलेगी आग..

अच्छा जी राम राम..सन्डे की सनसनाती चर्चा के साथ कल मिलते हैं...

11 टिप्‍पणियां:

  1. जिसको जैसे देखना है आप उनको देखिये
    चिटठा चर्चा चलता रहे बस इसको कभी मत रोकिये....
    बहुत बढियां रहा चर्चा हरदम जैसा रहता है.. आनंद आ गया बस..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढिया चर्चा करते हैं .. करते रहें !!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा! यह चर्चा विकसित हो कर नए कीर्तिमान स्थापित कर सकती है।

    जवाब देंहटाएं
  4. हमेशा की तरह -मस्त

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत लाजवाब चर्चा है. आनंद आता है इस छंदमय तुकबंदी को पढकर.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन चर्चा पर ---
    कभी कभी अपने चिट्ठे की चर्चा भी तो करिये.
    आपकी शैली काफी प्रभावशाली लगी.
    चर्चा शब्द यूँ तो रूखा सा है पर आपने तो सरस बना दिया.
    साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी चिट्ठी चर्चा में है दम
    जो भी पढ़े मिट जाए गम
    जिसकी चर्चा करें वो हो जाए बम
    बाकी का निकल जाए दम

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी चिट्ठी चर्चा में है दम
    जो भी पढ़े मिट जाए गम
    जिसकी चर्चा करें वो हो जाए बम
    बाकी का निकल जाए दम

    जवाब देंहटाएं
  9. बढ़िया! हमें कल ही पता चला कि शकीरा कोई पहलवान का नाम नहीं, मेहरारू है। :)

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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