#बागवानीमन्त्र :
आज बागवानी से जुड़ी कुछ साधारण मगर जरुरी बातें करेंगे।
बागवानी बहुत से मायनों में इंसाओं के लिए हितकर है , बल्कि बाध्यकारी भी है। प्रकृति के साथ सहजीवन और सामंजस्य के लिए सबसे सरल साधन बागवानी ही है। दायरा देखिए कि इंसान बाग़ बगीचे उगाएं इसके लिए प्रकृति कभी इंसाओं की मोहताज़ नहीं रही है उसे कुदरत ने ये नियामत खूब बख्शी हुई है। तय हमें आपको करना है कि हम कितना और क्या क्या कर सकते हैं।
बागवानी घर , बाहर जमीन पर भी छत पर भी और बालकनी में भी। बच्चे से लेकर बूढ़े तक और धनाढ्य परिवार से लेकर साधारण व्यक्ति तक कोई भी , कभी भी कर सकता है। शौक के रूप में शुरू की गई बागवानी इंसान के लिए तआव ख़त्म करने का एक बेहतरीन विकल्प होने के कारण जल्दी ही आदत और व्यवहार में बदल जाती है। बागवानी शुरू करने के सबसे आसान तरीकों में से एक ये की माली से गमले सहित अपेक्षाकृत आसान और सख्तजान पौधों से शुरआत करना बेहतर होता है जैसे -गुलाब , तुलसी , एलोवेरा , गलोय।
बागवानी के लिए मिट्टी , बीज , पौधे , मौसम पानी इन सभी बिंदुओं पर थोड़ा थोड़ा सीखते समझते रहना जरूरी होता है। मसलन पौधों में पानी देना तक एक कला है ,विज्ञान है और उसकी कमी बेशी से भी बागवानी पर भारी असर पड़ सकता है। बागवानी विशेषकर अपने क्षेत्र (मेरा आशय मैदानी ,पहाड़ी या रेतीली ) को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले वहां के स्थानीय , आसानी से उपलब्ध और उगने लगने वाले पौधों को लेकर शुरुआत करना श्रेयस्कर रहता है। मसलन -राजस्थान में बोगनवेलिया और महाराष्ट्र में अंगूर , बिहार में आम अमरूद , उत्तर प्रदेश में गेंदा गुलाब आदि।
बागवानी की इच्छा रखने मगर समयाभाव के कारण नहीं कर सकने वालों को पाम म क्रोटन , एलोवेरा , कैक्टस आदि और इनडोर पौधों से शुरुआत करना बेहतर रहता है क्यूंकि अपेक्षाकृत बहुत काम श्रम व् समय माँगते हैं ये पौधे। लम्बे समय तक हरियाली बनाए रखते हैं तथा बाहु के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। खिड़की व बालकनी में बागवानी करने के लिए बेलदार पौधों का भरपूर उपयोग करना बेहतर विकल है क्यूंकि इससे उनकी जड़ छाया में और बेल धूप हवा में रह कर अच्छा विकास कर पाती है -जैसे मधुमालती ,अपराजिता आदि।
बागवानी में सिद्धहस्त होने तक पौधे उगाने लगाने से बचते हुए पहले से विकसित पौधों की देखभाल , खाद पानी डालना , काटना छांटना निराई गुड़ाई आदि धीरे धीरे सीख कर फिर खुद उगाने लगाने की शुरुआत करनी चाहिए। यदि फिर भी खुद करने का मन कर ही रहा है तो फिर घरेलु बागवानी के लिए धनिया ा, पालक , मेथी आदि जैसे बिलकुल सहज साग सब्जी से शुरू करना ठीक रहता है।
बागवानी में सबसे जरूरी होता है धैर्य और सबसे बड़ा सुख आता है अपने बोए बीज को अंकुरित ,पुष्पित -पल्ल्वित होते हुए देखना। मिटटी के अनुकूल होने से लेकर पौधे के फूल फल आने की आहात तक एक खूसबूरत सफर जैसा होता है। बागवानी धीरे धीरे मिटटी , पानी , बनस्पति , हवा , पक्षी और सुबह शाम तक से सबका परिचय करवाने का एक खूसबूरत माध्यम है।
नए पौधों को लगाने , उगाने और स्थानांतरित करने का सबसे उपयुक्त समय शाम का होता है। गमलों के पौधों की जड़ों में पानी देना सुरक्षित रहता है और कई बार शीर्ष पर या कलियों , फूल आदि पर पानी पड़ने /डालने से नुकसानदायक हो जाता है। बागवानी में सबसे ज्यादा अनदेखी हो जाती है जड़ों की निराई गुड़ाई। जबकि वास्तविकता ये है की ,जड़ों की मिट्टी को ऊपर नीचे करके , निराई गुड़ाई नियमित पानी डालने से ही आप बागवानी का आधा और जरूरी दायित्व निभा लेते हैं।
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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..